हसरत है कि वो देखे एक हसरत भरी निगाह से....
हसरत है कि वो देखे एक हसरत भरी निगाह से न जाने क्यों आज एहसास हों रहा है कि किसी बेबसी के तहत हमारा रिश्ता कराह रहा है न जाने कब से यही सोचती हूँ हर सुबह, हर शाम, हर पल तुम्हें याद न करूँ लेकिन अपने वादे पे कायम रहने की नाकाम सी कोशिश और रात होते ही नींद के आगोश में अपने ही ख़्वाबों को दरकिनार कर तेरे खवाबों की तह सी बिछाते हुए मेरे एहसास एक अनछुई कोपल से पनपने लगते हैं और मैं उन सपनों में अथाह गोते लगाते हुए उस पायल की झंकार को महसूस करती हूँ जो तुमने पायल मुझे दी थी वैसे हमने एक बात छुपाई थी आपसे. आपकी दी हुई पायल के घुंघरू टूटकर तो बहुत पहले ही मधुर ध्वनी देना छोड़ चुके थे. और हाँ उन दिनों मुझे भी कहाँ पता चला था कि तेरी प्रीत की चटख का. तुमेह तो पता ही न चला क्योंकि मेरे घुंघरू की खनक तो आप तक वैसी ही पहुँच रही थी जैसे अभी आज ही पहनी हो क्योंकि मैंने तुम्हे कभी महसूस ही नही होने दिया. कि मुझे पता है कि तुम उस पायल के घुंघरू तुमने किसी और के पैरों में संवार दिए थे पर मैंने तो पाने और गंवाने की हर कोशिश तेरे नाम लिख दी थी. जलते-जलते भी यूँ तमाम उम्र तेरे नाम लिख दी...