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Showing posts from December, 2012

अखिलेश जी जरा सोचिये, राज आपका फिर हिंसा क्यों ???(सच का आईना)

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अखिलेश जी जरा सोचिये, राज आपका फिर हिंसा क्यों ???(सच का आईना) Box…… .. इन नौ माह के कार्यकाल के दौरान राज्य में मानवता शर्मशार हो रही है. क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. यादवों के बलबूते कानून व्यवस्था बनाये रखना अखिलेश यादव के आगामी भविष्य को खतरे में डाल सकता है .... समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही दलितों पर अत्याचार के अंकुर क्यों फूट जाते है. उत्तर – प्रदेश में इन नौ महीनों में दलितों पर अत्याचार की वजह साफ़ दिखाई दे रही है. तमाम कानूनों और जागरूकता के बावजूद दलित समाज पर अत्याचारों का बदस्तूर जारी रहना भारतीय सामाजिक व्यवस्था की अंतहीन त्रासदी बन चुकी है. अखिलेश सरकार में दलितों पर अत्याचार किसी साजिस वश है. या वोट न देने पर डराने का जरिया मात्र है.  इन नौ माह के कार्यकाल के दौरान राज्य में मानवता शर्मशार हो रही है. क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. यादवों के बलबूते कानून व्यवस्था बनाये रखना ऐसे में अखिलेश यादव क्या कभी दुबारा मुख्यमंत्री बनकर राज कैसे कर पाएंगे.  अखिलेश सरकार के आने के बाद पुलिस में भय है. दबी जुबान में सब विरोध कर रहे है. एक ओर सरकारें दलित समुदाय

मुझे तलाश है एक लापता युवराज की (सच का आईना)

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                                मुझे तलाश है एक लापता युवराज की (सच का आईना) box……. देखा जाये तो विदेशी संस्कृति में रचा बसा ये युवराज शायद भारतीय संस्कृति में बहिन-बेटियों की इज्जत का आंकलन करने में पूरी तरह से असमर्थ है. वहीँ दूसरी तरफ राजसी ठाठ-बाट में पला ये युवराज भारतीय युवाओं के दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से भी पूरी तरह अन्जान है… …… कहने को तो हमारे देश में न तो युवा नेताओं की कमी है न ही युवाओं के मसीहाओं की ही कोई कमी है. परन्तु जब भी युवा अपने ऊपर होने वाले किसी भी जुल्म या मांग को लेकर सड़कों पर उतरते हैं तो ये युवा नेता अमूमन नदारद रहते हैं और युवा शक्ति ज्यादातर पुलिस की लाठी की चोट से सड़क पर कराहती नजर आती है इन पढ़े-लिखे देश के भविष्य पर जानवरों की भांति लाठी भांजने वाले पुलिस बल के जवान एक पल के लिए भी ये नहीं सोचते कि ये बच्चे हमारे ही परिवार के बच्चे हैं दरिंदगी की हद तो तब होती है जब अपने आपको सुरक्षा में मुस्तैद सिद्द करने की होड़ में पुलिस बल के जवान लड़कियों पर भी लाठी चटकाने से गुरेज नहीं करते और सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि मानव अधिकार व मह

आखिर क्यों और कब तक होगा ये सब ??(सच का आइना )

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आखिर क्यों और कब तक होगा ये सब ??(सच का आइना ) Sub heading……..... एक बार फिर भारत देश शर्मसार हुआ.. .. Box…… गौरतलब है कि साल दर साल बढ़ते इन अपराधों को लेकर अपनी किस्मत पर रोता देश और उसकी राजधानी दिल्‍ली में रविवार की रात एक बस में एक मेडिकल की छात्रा का गैंग रेप हुआ. ये घिनौना कुकर्म करने के बाद में उन जल्लादों ने खून से लथ-पथ छात्रा और उसके दोस्‍त को बेहोशी और नग्‍न अवस्‍था में चलती हुई बस से नीचे फेंक दिया इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया........... ऐसा नहीं है कि इस तरह के ब्लात्कारिक कांड कभी हुये नही है.हुये हैं पर सरकार और पुलिस प्रशासन की अनदेखी का शिकार होते रहे हैं ये कांड. पर विगत दिनों से जो आवाजें उठ रही है. उसका श्रेय मीडिया और जनता को जाता है. आखिर कब तक जनता इन अपराधों को अनदेखा करती रहेगी. अब वक्त आ गया है जुर्म को जड़ से उखाड़ फेकने का. आवाम की आवाज जब बुलंद होती है तो सियासी तख्ता पलटते देर नहीं लगती .  दिल्‍ली में जगह-जगह इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किये जा रहे हैं. पुलिस प्रशासन और सरकार की नाकामी को देखते हुये सवाल पर सवाल उठाये जा रहे हैं. इस

महिला पुरुष की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि पूरक है(सच का आईना )

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Heading…. महिला पुरुष की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि पूरक है(सच का आईना ) Sab heading …. ये है सारस्वत सत्य कि स्त्री की सच्ची हार ही स्त्री की सच्ची चिरस्थायी जीत. Box….. महिला-पुरुष समानता हर नारी चाहती है और मैं भी चाहती हूं लेकिन ऐसी समानता नहीं कि जहां घर बनने से पहले उजड़ जाता हो. मैं प्रकृति की नहीं सिर्फ नारी के अधिकारों की समानता चाहती हूँ. सही मायने में महिला-पुरुष की समानता तब होगी जब महिलाओं के जीवन में व्याप्त विसंगतियों को दूर किया जाएगा . पुरुष समाज ही दोषी क्यों ....... जब भी हम महिलाओं के पिछडेपन के लिए दोषीजन की बात करते हैं  तो बेचारा पुरुष समाज हमेशा ही कटघरे में खड़ा नजर आता है. हालांकि ऐसा बिलकुल नहीं है कि पूरा पुरुष समाज ही दोषी हो इसके बावजूद पुरुष समाज को इस प्रकार हमेशा ही अपराधी ठहराने के कारण पर जब हम नजर डालते हैं तो हमारे सामने समाज के कुछ ऐसे अद्रश्य ठेकेदारों के चेहरे नजर आते हैं जो भगवान की अनुपम कृति स्त्री व पुरुष के मध्य लकीर खींचकर हर पल अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं. ये हमेशा स्त्री व पुरुष को एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी सिद्द करने पर आ

10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस ( सच का आईना )

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Heading……. 10 दिसंबर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस ( सच का आईना ) sub heading…… बहुत गहरी है हिन्दुस्तान में मानव अधिकार की जड़ें मानवाधिकार मनुष्य को बिना किसी भेदभाव के सम्मान के साथ जीने का अधिकार सुनिश्चित कराता है ! मानव अधिकारों के लिए जारी संघर्ष , इन्सानी अधिकारों की पहचान और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्‍ट्रीय मानवाधिकार दिवस (यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स डे) मनाया जाता है. मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने और अमानवीय कृत्यों के खिलाफ संघर्ष की आवाज को मुखर करने में इस दिवस की महत्वूपूर्ण भूमिका है ! सही मायने में देखा जाए तो मानवाधिकार एक ऐसा विषय है जो सभी सामाजिक विषयों में सबसे गंभीर है जिसे हम एक तरफा होकर नहीं सोच सकते. पर अपने राजनीतिक या अन्य बुरे मंसूबों को सफल बनाने के लिए मानवाधिकारों का सहारा लेना बिलकुल गलत है. मानव अधिकार जो कि प्रकृति ने मानव को जन्म के समय उपहार स्वरूप प्रदान किये इन मानव अधिकारों को कभी-कभी मूलभूत अधिकार , आधारभूत अधिकार , अन्तर्निहित अधिकार , प्राकृतिक अधिकार और जन्म सिद्द अधिकार भी कहा जाता

अन्ना बीमार हैं या बेबस... (सच का आईना )

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अन्ना बीमार हैं या बेबस... (सच का आईना ) Sub heading……. हौसलों से उड़ान भरने वाली साहसी किरण बेदी   Box…… अन्ना और उनकी टीम ने जिस तरह के लोकपाल की परिकल्पना की थी , उसके तहत राजनीतिक भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती थी … …….. पिछले दिनों कुछ अखबारों के अंदर के प्रष्ठों पर अन्ना के हॉस्पिटल में भर्ती होने का समाचार देखकर में हैरान रह गई और मन में एक सवाल कौंधा कि क्या ये वही अन्ना हैं जो अभी कुछ माह पूर्व अनशन से शरीर में आई कमजोरी के इलाज के लिए दिल्ली के एक जाने-माने और बेहद मंहगे सेवन स्टार स्तर के हॉस्पिटल में भर्ती हुये थे और इलाज के उपरान्त जब अन्ना को रालेगण सिद्धी लौटना था तो रातों-रात एक गुप्त दरवाजे से इस कारण से अन्ना को निकलना पड़ा क्योंकि मुख्य द्वार पर अन्ना के हजारों समर्थक अपने महाजन नायक के एक दर्शन और स्वास्थ्य का हाल जानने को बेबस व भयभीत खड़े थे कि अब क्या होगा ? लोग अपने इष्ट से मन ही मन लगातार अन्ना के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होने की कामना की गुहार कर रहे थे. वहीँ दूसरी तरफ प्रेस व मीडिया के सैकड़ों कर्मचारी भविष्य में अन्ना की रणनीति पर एक प्रतिक्र

कसाब को मिली फांसी और अफजल की फांसी का इंतजार बढ़ा (सच का आईना )

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कसाब को मिली फांसी और अफजल की फांसी का इंतजार बढ़ा (सच का आईना ) 26 नवंबर , 2008 को मुंबई में कई आतंकवादियों ने तांडव मचाया था ! आतंकियों ने एके 47 और ग्रेनेड से लैस होकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी )पर अंधाधुंध फायरिंग की थी ! इसके बाद अलग-अलग कई जगहों पर धमाके और फायरिंग की भी खबर आई थी ! मुंबई में बुधवार को रात की रौनक चढ़नी शुरू हुई ही थी कि शहर दहशत में डूब गया था ! पूरी दक्षिण मुंबई आतंकी साये में धमाकों और गोलियों की गूंज से हिल गई थी ! यह समझना बहुत मुश्किल हो गया था कि कहां कितने धमाके हुए और कहां फायरिंग हुई ! सिनेमा घर , सरकारी दफ्तर , रेलवे स्टेशन , फाइव स्टार होटल , अस्पताल , कालेज सबको निशाना बनाया गया था ! आतंकियों ने दो दर्जन से भी ज्यादा स्थानों को निशाना बनाते हुये एक के बाद एक लगातार विस्फोट और अंधाधुंध फायरिंग कर मुंबई को दहला दिया था ! जिसमें 80 से ज्यादा लोग मारे गए और दो सौ से भी ज्यादा लोग घायल हो गए थे ! आतंकियों के निशाने पर उस समय पाश दक्षिणी मुंबई का इलाका था ! इस इलाके में दो फाइव स्टार होटल जो कि होटल ताज और ओबेराय के नाम से मशहूर हैं उनको खास

शाही हुक्मरानों अब तो जाग जाओ (सच का आईना )

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शाही हुक्मरानों अब तो जाग जाओ (सच का आईना ) तुम्हारी इतने सालों की हुकूमत भी देश के भविष्य को सुरक्षित न कर पाई, तुम्हारी ढुलमुल नीतियों के चलते देश पर कभी भी मुसीबतों का पहाड़ टूट सकता है. देश के सभी राज्यों में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ,  गैरसरकारी संगठनों ,   राजनीतिक नेताओं तथा आतंकवादी संगठनों के बीच एक गठबंधन हैं ! इस गठबंधन के तार पंजे की हुकूमत से अछूते नहीं है इस गठबंधन के हावी होने के कारण इन आतंकवादियों के और उनको पनाह देने वाले देशों के खिलाफ निर्णय लेने में कठिनाई होती है ! यही कारण है कि आतंकवादियों-माओवादियों की कारगुजारियां केन्द्र सरकार को चुनौती दे रहीं हैं और केन्द्र सरकार इसे चुपचाप बरदाश्त कर रही है ! इसका खामियाजा केन्द्र सरकार व राज्य सरकार को नहीं बल्कि निर्दोष जनता को भी भुगतना पड़ रहा है ! कुछ वर्षों से भारतीय सामरिक विशेषज्ञ और विश्लेषक इस बात को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं कि चीन ने अपने नापाक इरादों के तहत भारत की घेराबंदी के लिए पाकिस्तान ,श्रीलंका ,  म्यांमार और नेपाल जैसे जहरीले नगों से जहर भरी अंगूठी में पिरोकर चीन ने सामरिक महत्व के ऐसे अड्डों

2014 बनने लगे हैं चुनावी रिश्ते ( सच का आईना )

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2014 बनने लगे हैं चुनावी रिश्ते ( सच का आईना ) लगता है कि एन.डी.तिवारी ने बेहयाई का रिकॉर्ड तोड़ने का फैसला कर ही लिया है , कभी महिला मित्र के साथ नाजायज सम्बन्ध ,  कभी पितृ जिम्मेदारियों से इनकार ,तो कभी महिलाओं का शोषण और अब अभी तक शांत ना हो सकी अपनी राजनैतिक हवस की पूर्ती के लिए नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की तुलना समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से करना . अवसर था शनिवार 1 दिसंबर 2012 को उस मुलाक़ात का जिसका इन्तजार साईकिल      (सपा) व नारायण दत्त तिवारी को काफी लंबे समय से था. बंद कमरे में चली इस मीटिंग के ४० मिनट के बाद सभी के चेहरे खिले हुये थे हालांकि एन.डी.तिवारी ने इस मीटिंग को व्यक्तिगत मीटिंग करार दिया वहीँ दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव व अखिलेश सिंह यादव के जमकर तारीफों के पुल बांधे तो मुलायम सिंह यादव ने भी एन.डी.तिवारी के बगैर उत्तर-प्रदेश को अनाथ तक कह डाला. मोहब्बत के पैगाम और जाम दोनों ओर से दनादन चल रहे थे और लगता था कि जल्दी ही कांग्रेस के कुछ और नेता भी शायद इस नए रिश्ते के भागीदार बनेंगे. वैसे भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने अस्तित्व की ल

हमें बना के आम और आप बन गये खास :-- ( सच का आईना )

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हमें बना के आम और आप बन गये खास :-- ( सच का आईना )    अरविन्द केजरीवाल ने 26-11-2012 को औपचारिक तौर पर अपनी आम आदमी की पार्टी की शुरुआत करते हुये कहा था कि 65 साल पहले मिली आजादी के बाद भी आज आम आदमी अपने हक को पाने के लिए जूझ रहा है इसलिए इस आम आदमी पार्टी के जरिये नेताओं ,नौकरशाहों के साथ आम आदमी की सीधी लड़ाई होगी ! ये पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम चलाते हुये ! चुनाव जीतने ,सत्ता हथियाने और किसी अन्य दल के साथ गठबंधन जैसे कार्यों को नहीं करेगी ! देश भर से आये ३०० प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद उन्होने ये भी कहा था कि उनकी पार्टी चुनाव लड़ने के लिए नहीं बल्कि राजनीति बदलने के लिए बनी है ३० सदस्यों की राष्ट्रीय समिति बनाई गई है ! जब तक राजनीति नहीं बदलेगी तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिलेगी ! आज देश के ये हालात हैं कि आम आदमी को न्याय या तो भीख में या पैसा खर्च करने पर मिलता है ! इसलिए सरकार के कामकाज और क़ानून बनाने की प्रक्रिया में आम आदमी का अधिकार होना चाहिए ! अरविन्द केजरीवाल ने भारतीय राजस्व व्यवस्था में रहते हुए देखा  कि किस तरह से व्यवस्था की खामियों का