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Showing posts from December, 2020

मदिरा मानव और समाज के लिये एक अभिशाप....

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  मदिरा मानव और समाज के लिये एक अभिशाप.... हमारे देश का अतीत गौरवशाली रहा है लेकिन वर्तमान में आडंबर व दिखावा हावी होता जा रहा है l जिसमें देश की आवाम पिसती जा रही है l जिस प्रकार राजस्व के लिए सरकारों ने जगह-जगह शराब की दुकानें खुलवा रखीं हैं , उस पर भी चिंता करने की आवश्यकता है। जब तक सरकारों की मौजूदा नीतियां कायम रहेंगी ,   तब तक शराब की लत की चपेट में आने से लोगों को नहीं बचा सकते l अगर हर गलीनुक्कड़ पर शराब की दुकानें खोल देंगे , तो लोग ज्यादा सेवन करेंगे ही l इस दिशा में जागरूकता लाने के लिए “ शराबबंदी संघर्ष समिति ” संयुक्त रूप से प्रयास कर रही है l वर्षों से समाज को अपना उल्लेखनीय योगदान देने वाले “ शराबबंदी संघर्ष समिति ” के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली की सेवा प्रंशसनीय और अनुकरणीय है l   “ शराबबंदी संघर्ष समिति ” की हमेशा यही कोशिश रही है कि और व्यापक रूप से समाज को अपनी सेवाएं दें सकें l अगर ध्यान दिया जाये तो मोदी सरकार ने देशहित में कई अहम निर्णय लिये हैं पर शराबबंदी से सम्बन्धित कोई ठोस निर्णय नहीं लिया l लेकिन जो देशहित में निर्णय लिए गये उन निर्णयों का समुचित लाभ ज़

अखियों से अंखियों ने कह दी....

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  अखियों से अंखियों ने कह दी , दिल की मीठी मीठी बतियां l बिन बोले सब कह जाती हैं,   मरी निगोड़ी चंचल अखियां ।l अखियों की इस मृदुभाषा को , समझे प्रिय की सुरमई अखियां । पल में रोती , पल में हंसती ,   हैं निश्चल सी बैरन ये अखियां ।l सांझ ढले ही व्याकुल होकर , राह निहारे बेबस अंखियां । प्रेम सुधा रस भरके रमणी , प्रेम ग्रंथ   को पढ़ गईं अखियां ll कभी ओढ़ती कभी बिछाती , गजल की राग हैं गातीं अंखियां । इक जंगल सा इन अखियों में , मीठे स्वप्न जगाती अखियां ।l कभी दुआ सी , कभी अदा सी , हैं झील कंवल सी उन्मुक्त अखियां l झुकके, उठके हया बनीं, उठके झुकती सदा बन जाती अंखियांl ll झुकी निगाहें , उठी निगाहें ,   अपने रंग दिखाती अंखियां । अखियों से जब मिलती अंखियां , डूब डूब उतराती अंखियां ।l सागर से गहरी बन अंखियां , प्रीत में गोता खातीं अंखियां l अंखियों में भर भरकर मदिरा , प्रेम का जाम पिलाती अंखियां ll   सुनीता दोहरे प्रबंध सम्पादक/इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़  महिला अध्यक्ष/शराबबंदी संघर्ष समिति