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Showing posts from 2017

भड़कीले, शोख व अंग-दिखाऊ कपड़ों में महिलाओं की गरिमा धूमिल होने का खतरा बना रहता है...

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भड़कीले ,  शोख व अंग-दिखाऊ कपड़ों में महिलाओं की गरिमा धूमिल होने का खतरा बना रहता है... मैं हर पहनावे का सम्मान करती हूँ सलवार सूट हो , साड़ी हो , जीन्स हो या फिर मिनी स्कर्ट टॉप l क्यूंकि .....पहनावा एक निजी सवाल है , देखा जाए तो भारतीय साड़ी की गरिमा का जितना बखान किया जाए , उतना ही कम है। क्यूंकि साड़ी भारतीय नारी का वस्त्र ही नहीं , उसकी अस्मिता की भी पहचान है। महिलाओं के वस्त्र हमेशा शालीन व गरिमायुक्त ही होने चाहिए l मैं उन महिलाओं के संदर्भ में जो “ वेल ड्रेसड ” होने के बाद अपनी ब्रा की स्ट्रेप को दिखाने को ही फैन्शन समझती हैं जब कभी सोचती हूं , तो न जाने क्यों मन में अनंत सवाल कसमसाने लगते हैं l मिनी स्कर्ट और छोटा टॉप पहने हुऐ और ब्रा की स्ट्रेप दिखाने वाली लङकिया कहती हैं कि समाज के पुरूष हमें अपनी माँ बहनों की नजर से देखे... कौन सा पुरूष स्तन और जांघो को दिखाने वाली महिलाओं को अच्छी नजर से देखेगा ? और उन्हें अपनी माँ बहन मानेगा l ऐसी महिलायें अपनी मांगे जरा सोच समझ कर करें l समाज में छेड़छाड़ , यौन प्रताड़ना , बलात्कार जैसे अपराधों को देखते हुए इस तरह के परिधान को धा

गन्ना किसानों की पीड़ा......

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गन्ना किसानों की पीड़ा... 185 ग्राम का पैकेट है , 39/- रूपये का ये गन्ना है , छिला हुआ , कटा हुआ , पैकेटबंद और रिलायंस के मॉल में बिक रहा है । देखा जाए तो इस हिसाब से इसकी कीमत हुई 2,10,810/- रूपया प्रति टन । लेकिन जो इस देश के अन्नदाता हैं जिनकी रात दिन की मेहनत से हम जीवित रहते हैं वही किसान लोग 3250/- प्रति टन के लिए अपनी जान दे रहे हैं , वो भी उधारी में , और ऊपर से ये कि पैसा साल भर के भीतर मिल जाए तो बहुत बड़ी बात l कमी कहाँ और किसमे है ? ये विचारणीय है l आज गाँव मे रहने वाला हर युवा नेट से जुड़ा है हर तरह की जानकारी उसके पास है बाहर बहुत आकर्षण है और खेती मे हाडतोड मेहनत के बाद भी जीवन यापन के लाले हैं l इन हालातों को देखते हुए  अगर आने वाली पीढ़िया खेती से विमुख हो गई तो कौन ज़िम्मेदार होगा ? और ऐसे कब तक हम कृषि प्रधान बने रहेंगे ? गन्ने से हजारों करोड़ रूपये कमाने वाली सरकार की झोली तो भर जाती है परन्तु कड़वी सच्चाई ये है कि गन्ना किसानों की बदहाली चरम पर है l  इतने साल देश को आज़ाद हुए हो गए तो फिर देश मे क्यू नही एक सही व्यवस्था का निर्माण हुआ ? बस बिचौलिँए मलाई ख

जनाब मुर्तजा अली से: एक मुलाक़ात ....

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जनाब मुर्तजा अली से: एक मुलाक़ात .... मादक पदार्थों के बढ़ते सेवन से आये दिन होने वाली मौतों को मद्देनजर रखते हुए "शराबबंदी संघर्ष समिती उत्तर प्रदेश ” के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली ने जनहित के लिए कई संस्थाओं के साथ मिलकर एवं संगठन नशामुक्त अभियान का संचालन कर उत्तर प्रदेश को नशामुक्त करने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं l "शराब बंदी संघर्ष समिती उत्तर प्रदेश ”  का प्रयास है कि नशीले पदार्थो की आपूर्ति को रोका जाये l शराबबंदी संघर्ष समिति के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली ने अपने कार्यों से आम-जन पर होने वाले अन्याय व अत्याचारों पर अंकुश लगाने का काम किया है निश्चित ही शराबबंदी संघर्ष समिति आम-जन के विश्वास का पर्याय बन चुका है l आइये जनाब मुर्तजा अली जी से मिलकर उनके कुछ विचार जानते हैं l सौरभ दोहरे : सर, आजमगढ़ : रौनापार के केवतहिया , रसूलपुर व सलेमपुर में जहरीली शराब से मरने वालों की बढती संख्या को देखकर पूरे तहसील क्षेत्र में दहशत का माहौल था । जिसके चलते सीएम के निर्देश पर डीएम ने थानाध्यक्ष रौनापर , इलाके के सब इंस्पेक्टर समेत तीन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था और
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“बांस की सवारी” तो फिर घमंड किस बात का जनाब...! ज़िन्दगी भर की ऐंठन 5 मिनट में राख़ हो जाती है!! आप चाहें जितननी मंहगी से महंगी कार को खरीद लें लेकिन अंत में “बांस की सवारी” ही साथ देती है l इसलिए इस बात को बखूबी समझ लीजिये कि जो “राम-राम” कहता है , या जो “अल्लाह-अल्लाह” कहता है , राम कहने वालों को सूर्य उतनी ही रौशनी देता है जितनी कि अल्लाह कहने वालों को देता है l और वे लोग जिन्होंने कभी ईश्वर में विश्वास ही नहीं किया उनको भी सूर्य रौशनी , चाँद चांदनी देता है , प्रकृति हवा-पानी यानि कि सब कुछ बराबर मिलता है तो फिर आप कौन होते हैं जाति और धर्म का बटवारा करने वाले l  जिसको हमने अनुभव नहीं किया , वो हमारी समझ से परे है यानि हम उसे समझ नहीं सकते l मैं मानती हूँ कि व्यक्ति को अपने समाज , संस्कृति और देश पर नाज होना चाहिए है। और साथ ही स्वयं पर गर्व होना चाहिए। इससे हमारे अंदर स्वाभिमान पैदा होता है। यह आत्मविश्वास जगाता है और आत्मसम्मान दिलाता है। हमें गर्व करने में तो कोई हर्ज नहीं मगर प्रजातंत्र की जो हालत है उसको बताने की आवश्यकता नहीं। बस भीड़तंत्र है जिसमें “जिसकी लाठी उ
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सरकार द्वारा शराब बेचने का निर्णय राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण फैसला : मुर्तजा अली शराबबंदी संघर्ष समिति के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली ने शराबबंदी की मांग कर रहीं महिलाओं को  संबोधित करते हुए एक मीटिंग के दौरान कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता याहन की जम्हूरियत के स्वास्थ्य की होनी चाहिए l जबकि , सरकार लोगों को शराब बेच कर उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही है। जहां एक ओर आप सभी बहिनें शराबबंदी लागू करने की मांग को लेकर आवाज़ उठा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार स्वयं इस जहरीली वस्तु की दुकान खोलकर यहाँ की आवाम पे अत्याचार कर रही है l शराब के कारण जहां समाज में बिखराव हो रहा है वहीं आपराधिक घटनाएं व महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें बढ़ रही है। शराब के कारण ही आज हजारों गरीब परिवार भयंकर रूप से कई परेशानियों से जूझ रहें है। क्यूंकि शराब सभी बुराइयों की जड़ है l ये हमारे नैतिक , आर्थिक और सामाजिक जीवन का पतन कर देती है शराब हर वर्ग को प्रभावित करती है अगर सरकार इस पर रोक लगा दे तो कोई समस्या ही नही होगी l कई नामी स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि जितने भी मरीजों में कैंसर , क्षय रोग या