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Showing posts from 2018

शराब जैसी महामारी के लिए सरकारें मुख्य रूप से दोषी हैं l

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शराब जैसी महामारी के लिए सरकारें मुख्य रूप से दोषी हैं l आश्चर्य की बात है कि सब कुछ जानने के बावजूद सरकारें इस गंभीर मामले पर कोई ध्यान नहीं दे रही हैं l इस जहर ने परिवार के परिवार बर्बाद कर दिये हैं .... देखा जाये तो दुनिया के किसी भी देश के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है। हम इस खतरे के खिलाफ अपनी लड़ाई हमेशा से जारी रखे हैं l छात्रों और युवा पीढ़ी को इससे दूर रखने के लिये स्कूलों , कालेजों और कंपनियों का रुख करके उन्हें इन चीजों के खतरों से रूबरू करवाते रहे हैं और करवाते रहेंगे। देश के अलग अलग हिस्सों में शराब नामक आतंकवादी ने कोहराम मचा रखा है और इस आतंकवादी को हमारी सरकारों का पूरा समर्थन मिलता है क्योंकि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बेचने का लायसेंस तो सरकार के ही कारिंदे देते है। जबकि इन्हें बखूबी पता है कि शराब हमेशा से मानव समाज के लिए एक अभिशाप रही है। इसके सेवन से अनगिनत लोगों की मौत होती रही है। बोतल में बंद शराब से होने वाली मौतों का जैसे एक इंसान का , एक परिवार का , एक समाज का और एक देश का जिम्मेदार कौन है ? प्रदेश में समय समय पर शराबबंदी के मुद्दे पर गा

बड़की भाभी का बलिदान . ✍ (एक कहानी ) "स्वरचित"

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बड़की भाभी का बलिदान . ✍ ( एक कहानी ) "स्वरचित" आज रोहित को देखने और उसके परिवार से मिलने लड़की वाले देहरादून के इंद्रलोक होटल में आने वाले थे । रोहित ने फ़ोन पर भइया और बड़की भाभी को तैयारी के लिए बोला था।इंजीनियरिंग करने के बाद रोहित दिल्ली के बड़े कंपनी में एक साल से जॉब कर रहा था । इधर बड़की भाभी और भइया बड़े चिंता में थे क्योंकि भाभी के पास एक अच्छी सी साड़ी और भइया के पास अच्छा से कुर्ता तक न था। सात साल पहले बड़की भाभी छोटे घर से बेरोजगार बड़के भइया से व्याह कर आईं थीं।।मंझले भइया को डॉक्टरी पढ़ाने में पिताजी की छोटी से जमा पूंजी भी ख़त्म हो गयी थी और डॉक्टर बनने के बाद मंझले भइया एक डॉक्टरनी से खुद शादी कर लिए थे । मंझली भाभी ने परिवार से उनका रिश्ता नाता भी तोड़वा दिया था। फिर बड़े भइया किसी तरह परीक्षा पास कर बैंक में क्लर्क हो गए । माँ बाप को गाँव मे रखकर देहरादून में एक कमरे का छोटा सा फ्लैट लेकर छोटे भाई रोहित को पढ़ाने लगे। रोहित को कंप्यूटर इंजीनियर बनने का बड़ा शौक था। ऊपरी आमदनी कुछ थी नहीं। देहरादून जैसे महँगे शहर में रहने छोटे भाई रोहित को क

"संस्कार" ( एक तमाचा ) जो पड़ना चाहिए दहेज़ लेने वालों के मुंह पर ......

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"संस्कार" ( एक तमाचा ) जो पड़ना चाहिए दहेज़ लेने वालों के मुंह पर ...... "पत्नी के घर के काम निपटाने के बाद, पति ने कहा सुनो ! घर का काम समाप्त करने के बाद रोज अम्मा जी और मेरे पैरों की मालिश कर दिया करो" "अरे में भी तो थक जाती हूँ मुझसे इतना काम नहीं हो पायेगा" घर और ऑफिस दोनों जगह का काम निपटाते हुए वैसे ही देर रात हो जाती है । पति - तुम्हारा दिमाग ठीक है । अभी महीना भर हुआ नहीं तुम्हें आये हुए और तुम जवाब देने लगी हमें,,अम्माजी बुजुर्ग हैं,तुम उनके पैर की मालिश करने से मना  कर रही हो। तुम्हे शर्म नहीं आती । पत्नी- "तो आप ही कर दिया करें उनकी मालिश,आप तो अभी एकदम ठीक हैं।" पति - शर्म नहीं आती तुम्हें जवाब देते हुए।।यही संस्कार दिए हैं तुम्हारी माँ ने??? पत्नी - संस्कार !! लेकिन वो आपने माँगा कहाँ था?? शादी के पाँच दिन पहले आपने जिन सामानों की लिस्ट भिजवाई थी उसमें संस्कार तो कहीं नहीं लिखा था। आपकी माँग को पूरा करने के लिए जब माँ ने अपने गहने और जमीन गिरवी रखे तो मैंने उनके दिए हुए संस्कार भी गिरवी रख दिये थे । जिस तरह तुम्हारी

दुल्हन ही दहेज़ है ....

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दुल्हन ही दहेज़ है ।.... चौधरी साहब की बड़ी बेटी की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे और काफी धनी परिवार में तय हुई थी। चौधरी साहब के बड़े अरमान थे कि वो अपनी बेटी कि शादी अच्छे परिवार में करें l वो कहते थे मेरी बेटी के परिवार वाले बहुत ही सज्जन और भले लोग हों ताकि मेरी बेटी कभी दुखी ना रहे क्यूंकि उनकी बेटी बड़ी ही सुशील और प्रतिभावान थी l चौधरी साहब उदास बैठे थे l क्यूंकि बेटी के होने वाले ससुर का कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में दहेज की बात करने आ रहे हैं । चाय का कप हाँथ में लिए बैठे चौधरी साहब सोच रहे थे... कि बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था । कल की बातचीत में कहीं उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा ना हो कि मैं पूरी भी न कर सकूँ ?" सोचते सोचते उनकी आँखें भर आयीं.... घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...बेटी भी बहुत उदास थी अपने पापा का उदास चेहरा उससे देखा नहीं जा रहा था । लेकिन करती क्या ? खैर.. अगले दिन होने वाले समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी.. कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने चौधरी साहेब से कहा" 

जीवन की वास्तविकताओं से बेखबर है आज का युवा वर्ग ....

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जीवन की वास्तविकताओं से बेखबर है आज का युवा वर्ग . ... बलात्कार की घटनाओ पर काबू पाने के लिये अन्य उपायो के साथ साथ शराब की बिक्री पर भी रोक लगानी चाहिये l शराब इंसान को ही नही बल्कि उसकी आत्मा का भी नाश कर देती है इसके नशे मे इंसान को कुछ भी भला और बुरा नही सूझता ..... आधुनिक युग के नौजवान , जीवन की वास्तविकताओं से बेखबर हो , अनजान रास्तों की भूलभुलैयों में भटक कर रह गये हैं l युवाओं को दूध से ज्यादा शराब भाने लगी है। युवाओं में शराब के प्रति बढ़ता क्रेज समाज व परिवार के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है। शराब के नशे में युवा पीढ़ी बर्बाद होती जा रही है। देश का युवा तबका अब कम उम्र में ही मयखाने का दरवाजा तलाश रहा है. देश में बढ़ते सड़क हादसों की यह एक प्रमुख वजह है l दुनिया भर में शराब पीना मौत और अपाहिज होने का पांचवा सबसे प्रमुख कारण बन गया है l एड्स , हिंसा और क्षय रोग की वजह से जितनी जानें जा रही हैं , उनसे ज्यादा जानें शराब पीने की वजह से जा रही हैं l कहा जाता है कि किसी भी राष्ट्र   का विकास वहां के युवाओ पर निर्भर करता , है जिस देश के युवा जितने ज्यादा   जागरूक जोश ज