"संस्कार" ( एक तमाचा ) जो पड़ना चाहिए दहेज़ लेने वालों के मुंह पर ......



"संस्कार" ( एक तमाचा ) जो पड़ना चाहिए दहेज़ लेने वालों के मुंह पर ......
"पत्नी के घर के काम निपटाने के बाद, पति ने कहा सुनो ! घर का काम समाप्त करने के बाद रोज अम्मा जी और मेरे पैरों की मालिश कर दिया करो"
"अरे में भी तो थक जाती हूँ मुझसे इतना काम नहीं हो पायेगा" घर और ऑफिस दोनों जगह का काम निपटाते हुए वैसे ही देर रात हो जाती है ।
पति - तुम्हारा दिमाग ठीक है । अभी महीना भर हुआ नहीं तुम्हें आये हुए और तुम जवाब देने लगी हमें,,अम्माजी बुजुर्ग हैं,तुम उनके पैर की मालिश करने से मना कर रही हो। तुम्हे शर्म नहीं आती ।
पत्नी- "तो आप ही कर दिया करें उनकी मालिश,आप तो अभी एकदम ठीक हैं।"
पति - शर्म नहीं आती तुम्हें जवाब देते हुए।।यही संस्कार दिए हैं तुम्हारी माँ ने???
पत्नी - संस्कार !! लेकिन वो आपने माँगा कहाँ था??
शादी के पाँच दिन पहले आपने जिन सामानों की लिस्ट भिजवाई थी उसमें संस्कार तो कहीं नहीं लिखा था।
आपकी माँग को पूरा करने के लिए जब माँ ने अपने गहने और जमीन गिरवी रखे तो मैंने उनके दिए हुए संस्कार भी गिरवी रख दिये थे ।
जिस तरह तुम्हारी माँ और पिता जी ने तुम्हे पढाया और डिग्रियां दिलवाईं उसी तरह मुझे भी मेरे माता- पिता ने पढाया और डिग्रियां दिलवाई । अपने माता -पिता का आंगन छोड़कर में यहां आई और जो नौकरी से कमा रही हूं वो भी आप सबका है । आप पुरुष हैं आपकी कमाई का हक आपके माता-पिता का है ठीक उसी तरह मेरी कमाई का हक भी मेरे माता -पिता को मिलना चाहिए । मैं इस घर के कार्य कर रही हूं वो भी आप सभी के लिए, तो फिर ये भेदभाव क्यों ?तो फिर किसलिए इस रिश्ते के पनपने से पहले ही दहेज जैसे दानव को घर मे जगह दी आपने । हम लड़कियां भी आपकी तरह अपने माँ पापा के प्यारी होती है। फिर ये भेदभाव क्यों ?
सुनीता दोहरे 


प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़ 
महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समिति 
उप सम्पादक / सरस्वती मंथन न्यूज़ 

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