कच्ची पक्की नीम निबोली, कंघना बोले, पिया की गोरी
हमारी भारतीय संस्कृति
में हर त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है l तीज का आगमन सावन में
होने वाली भीगी फुहारों से ही शुरू हो जाता है। जिससे चारों ओर हरियाली भी अपने
मधुर गान से इस त्यौहार को मनाने के लिए प्रकृति के गले लग जाती है। इस समय बरसात
और प्रकृति के मिलने से पूरे वातावरण में मधुर झनकार सी बजने लगती है। इस त्योहार की
मधुर बेला के आगमन के उपलक्क्ष में सखियों ने खूब गीत गाये l सभी सखियों ने
ड्रेस कोड ग्रीन कलर पहन रखा था । सोलह श्रंगार से सजी हुई सभी सखियाँ मानो देवलोक
से उतरी अप्सराएं लग रहीं थी l मेरी सभी सखियों ने तीज का पर्व बहुत ही उल्लासपूर्वक
मनाया l इस दौरान सब सखियों ने मिलकर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए। परंपरागत
तरीके से मैंने तीज कार्यक्रम की शुरुआत की.
तीज क्वीन बनी शशी तिवारी
को हमने अपने दिल से निकली कुछ पंक्तियों को सुनाकर बधाई सन्देश दिया l जिसे आपके
सामने प्रस्तुत कर रही हूँ....
(तीज क्वीन)
सज संवर के चली
है गोरी, पायल सी रुनझुन है छोरी
हरी चूड़ियाँ, हरी चुनरिया, मेहँदी लगा के सज
गई गोरी
सर पर है ताज
क्वीन का, तीज क्वीन है रस की गोली
पेड़ों पर हैं
झूले लग गये, पड़े सावन की फुहार रसीली
कच्ची पक्की नीम
निबोली, कंघना बोले, पिया की गोरी
दे रहीं
मुबारकबाद हैं सखियाँ, होंठों पे मुस्कान छबीली
“हम सभी सखियों की
ओर से तहे दिल से तीज क्वीन को बहुत बहुत मुबारक”.
कार्यक्रम के दौरान हर
साल की तरह इस बार भी मैं सभी सखियों के लिए “पिया की पाती” (शब्द मेरे, भावनाएं
सखियों के पति की) लिखकर लाई, जिसे मैंने पढकर सभी सखियों को सुनाया l जिसे मैं
यहाँ आप सभी के साथ शेयर करना चाहती हूँ l आप भी पढ़िए और लुफ्त उठाइये........
(1-) आंचल के पिया
की पाती
मेहँदी, टीका, बिंदी, कंगना, चूड़ी पायल सबने
शोर मचाया था
जिस दिन तेरे शोख
बदन को, मैंने हाथ लगाया
था
तेरे सुर्ख
होंठों के जलवों पे, जब
जर्रे को आफताब बनाया था
झुमका, बिंदिया, लाली, संग तेरे हुश्न
का शोख रंग इतराया था
चैन उड़ा था नीदों
का, जब तूने अंग लगाया था
जिस दिन तेरे शोख
बदन को, मैंने हाथ लगाया
था.....
(2-)अनीता जी के पिया की पाती
सजनी तुम तो एक
ऐसा दर्पण हो, जो मेरे मन का कुंदन हो
तेरी बिदिया हों
या लाली हों, बस तुम ही मेरे
दिल की रानी हों
तुम जब भी होती
हो मेरे सामने, बस मूक भाषा का इजहार होता है
न कोई शिकवा न
कोई गिला न कोई तकरार, हर बात में सिर्फ प्यार होता है
सुन सजनी मेरे
दिल की बात, कुछ मैं बहूँ कुछ तुम बहो
तेरे मेरे जीवन
में धीरे-धीरे प्रेम की बरसात हो
तेरी प्रगति के
साथ में, मेरी जिन्दगी की धार हो
तुम साथ हो जग
साथ है, फिर चाहें कोई न साथ हो......
(3-) पिंकी के पिया की पाती
सुन सजनी, सुन सुन सजनी, मेरे दिल की मीठी
मीठी बतियाँ
होयें जीवन भर
तेरे मेरे रिश्तों में, प्रेम की मीठी मीठी बतियाँ
तुम संग बीते दिन
रैन हमारे, प्यार करूँ मैं सारी सारी रतियाँ
नैनन बीच कटारी
चल गई, भाड़ में जाए अब
सारी दुनियां.....
(4-) मंजू जी के
पिया की पाती
कजरा, गजरा सजा लो सजनी, सावन के सुहाने
मौसम में
टूटे हैं सभी
उसूल सनम, तेरे नयनों के दीवाने मौसम में
कर सोलह सिंगार
बदरिया, झम झम बरसी मेरे
आँगन में
चुभते हैं जिया
में शूल सनम, चल कहीं दूर
सुलगते मौसम में
तेरे हांथों में
मेहँदी खूब रची, ओंठों की लिए लालिमा हांथों में
तेरे मेरे बसती
हैं दिलों में प्रीत सनम, आ जाओ न मेरी बाँहों में
तुम और भी प्यारी
लगती हो जब आती है ये सुहानी तीज सनम...
(5-) सुनीता वर्मा के
पिया की पाती
थाम ली तूने जब
मेरी जिन्दगी की डोर, सुनहरे सपनों वाली
हो गई ये जिंदगी
इक भरे गिलास सी महकते रूह अफजा वाली
कहाँ वो लुत्फ़
कुंवारेपन में था, या हो कोई राह पगडंडियों वाली
बनके आई हो
दुल्हन मेरी तुम, तब से भूल बैठा हूँ राह फकीरों वाली
लाली, बिंदी, कजरा, गजरा और पहनी जो
चूड़ियाँ हरी खनकने वाली
शर्मा शर्मा के
हवाओं ने उड़ाई जो चुनरी फिर तेरी घूंघट वाली
ना जाने कहाँ हुई
गुम वो पोटली, जो छाई थी मेरे चेहरे पे उदासी वाली.....
(6-) गुड़िया के पिया
की पाती
तुम हो सजनी कुसम
की कोमलता से फूटी ऐसी काँति
हो जैसे बौराई
बगिया की अलसाई सकुचाई सी सांझ
तुम रच देती हो
देह में मेरे, और कहती हो तुम हो मेरे प्राण
बुन देती हो मेरे
पलकों में मेरी चाहत में, लफ्ज़ों की सुनहरी लड़ियाँ
भर लाती हो ऑंचल
में अपने, और देती हो हजारों खुशियाँ.....
(7-) शशी के पिया की पाती
कसम इश्क की हूँ
मैं तेरा दिवाना, इक फरियाद करूँ तो गलत नहीं हूँ
नयन मूंदकर खड़ा
हुआ हूँ, तुम्हे खुदा कहूँ
तो गलत नहीं हूँ
मुझे उठाकर अदा
से तूने गले लगाया, तुझे इश्क करूँ तो गलत नहीं हूँ
कई जनम का साथ है
अपना, गर ये मैं कहूँ
तो गलत नहीं हूँ
न टूट सकता किसी
जफ़ा से, तभी तो दर पे खड़ा हुआ हूँ
है सनम तुम्हारी
अदा इबादत, तभी तो दिल में बसा हुआ हूँ…
(8-) रेखा के पिया की
पाती
वल्लाह तेरी
निगाह क्या कामकर गई, उफ्फ शोखी ये अदाकी गुमनाम कर गई।
तेरी प्रीत की
चिंगारी क्या गुल खिला गई, ताजिंदगी तू जान मेरे नाम कर गई।
फूल से दामन और
शहद सी हँसी से, तू बेकाम अरमानों का मुकाम कर गई।
हीर-राँझा, सोनी-महिवाल सी
बनके तू, बेजोड़ अपने हुस्न की गुलाम कर गई।…
(9-) मीनाक्षी के पिया
की पाती
मैं आब बना हूँ
तेरा, तू ख्वाब मेरी बन जा
मैं इक ठंडा
महताब, तू आफ़ताब मेरी बन
जा
सुन बात फकत यह
जाना, नहीं बना अभी है फ़साना
प्रियतम आ जाओ
बाहों में, चल लिखें कोई अफसाना
मैं जजबात बना
हूँ तेरा, तू शबाब मेरी बन
जा
मैं आईना बना हूँ
तेरा, तू हिजाब मेरी बन
जा
मैं खुश्बू बना
हूँ तेरी, तू गुलाब मेरी बन
जा…..
(10-) अर्चना के पिया
की पाती
आ जाओ जो तुम
मेरे पहलू में, मैं श्रृंगार
तेरा कर देता हूँ
आलिंगन में लेकर
यौवन तेरा, कुछ देर ठहर के जी लेता हूँ
तू कह देती है
मैं सुन लेता हूँ, तू कह देती है
मैं बुन लेता हूँ
प्रियतमा तेरे
ओंठों की खामोशी को, मैं बिन बोले ही
पढ़ लेता हूँ
आजा तेरी चाहत के
इस दरिया में, मैं मीठा शरबत भर देता हूँ
कार्यक्रम को आगे बढाते हुए मैंने अपने एक अजीज दोस्त के लिए कुछ पंक्तियाँ लिखीं जिसे आप लोग भी पढ़िए ......
"वंदना ने लिखी पिया को पाती"
"वंदना ने लिखी पिया को पाती"
ओ मेरे साजन ! सावन की शबनम बूँदें बन शोला मुझे जलाती है
ऐसे तड़पूं बिन तेरे, मेरे सजना, जैसे बिन नीर मीन मर जाती है
बैरन सखियाँ जब बाँहों में झूला झूले हैं, मेरी सांस अटकती जाती है
सुन हर झोंके के संग सजना, मेरे अधरों की प्यास बिखरती हैं
कैसे धीर धरू में साजन ! रात अधखुली खिड़की से जब तेरी आहट आती है
उपर से ये कातिल बिजली की तड़पन, मेरा मन घायल कर जाती है
अखियाँ बरसे नीर बहे, आये हैं सबके साजन, इक तेरी पाती भी न आती है
सखियों की मुस्कानें देख देख, मेरे दिल पे लाखों कटारें चल जाती हैं....
सखियों की मुस्कानें देख देख, मेरे दिल पे लाखों कटारें चल जाती हैं....
(11-) ( कमलेश के पिया की पाती)
तुम ख़ुद को खोकर मुझमें, एक नया आकार लिये हो
धूप हुई तो आँचल बनकर, घर के आँगन छाँव किये हो
सुन सजनी l घर के
झीने-रिश्ते लाखों बार संभाले तुमने
सब रिश्तों की बाँध पिटारी, चुपके से तुरपाई किये हो
तुमसे सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तन्हाई सिये हो
मेरे दिल की रानी हो तुम, दुःख सुख में तुम संग जिए हो
(12-) प्रीती के पिया
की पाती
प्रिय तुम हो नई
नवेली दुल्हन की आँखों के काजल सी
बारिश में तुम
भींगे आँचल सी, दिल के दरबाजे पे बजती सांकल सी
वायु संग बहती खुशबू सी, तुम मेघ मल्हार
संग गूंजी पायल सी
जैसे उड़के आई
भूरी बदरी, आँगन में बरसी हो रिमझिम बूंदों सी
चाँद सितारों के
संग सोनजुही सी महकी हो, तुम चंचल हिरनी
सी
मेघ राज की
शहजादी हो तुम, सावन की बरखा रानी सी……
(13-) अनीता जी के पिया की पाती
जब तू करे श्रृंगार सजनियाँ, तब मैं एक दर्पण बन
जाऊं
तेरे कानों का कर्णफूल बनूँ, मैं माथे की बिंदिया
सज जाऊँ
तेरे बालों का गजरा बन सजनी, मैं गले का हरवा बन
जाऊं
तेरी अंखियों का कजरा बन सजनी, मैं अधरों की लाली बन
जाऊँ
जब तू करे श्रृंगार सजनियाँ, मैं तेरे हाथों का
कंगना बन जाऊँ.....
(14-) बीना जी के पिया की पाती
ये मेरी हमसफर l तेरी खुशी से नही गम से भी रिश्ता है मेरा,
सच कहूँ तू l ज़िंदगी का एक हसीं अनमोल हिस्सा है मेरा
सुन सजनी l मेरी मोहब्बत सिर्फ़ लफ़ज़ो की मोहताज़ नही
ये जान ले जानेमन l तेरी रूह से रूह का
रिश्ता है मेरा ......
(15-) निर्मला जी के पिया की पाती
ऐ हसीना l जिंदगी में तेरे आने से हर मुकाम मिला है मुझको
ऐसा लगता है जैसे किस्मत का जाम मिला है मुझको
तुमने भर दिया हमारी जिंदगी को प्यार
से लबालब इतना
यूँ लगता है जैसे खुदा से की दुआ का अंजाम मिला है मुझको…
(16-) ममता के पिया की पाती
ये प्याले सी अँखियाँ कजरारी, गजब नशीली देह तुम्हारी
सुन इन आँखों की गहराई में, भरा है कितना प्यार कहूंगा
अपने प्रेम की ज्योती से, जो तूने अलख जगाई
तेरे गदराये यौवन पे, लिख पाती इजहार करूंगा
साँसों का संगीत तुम्हारा, कैसे लगता मुझको प्यारा
आज तुम्हारी हर धड़कन पर, हृदय के उद्गार कहूंगा।…..
(17-) मांडवी जी के पिया की पाती )
सुन सजनी l इक है मेरा सपना, तू कह दे तो, आज उसे साकार करूं
अपने हाथों से दिलबर, तू कह दे तो,
फिर आज तेरा श्रृंगार करूं
हांथों में सजाकर मेहँदी फिर माथे पे सजा दूंगा बिंदी, मांग मध्य सिंदूर भरू
बालों में गूथुंगा गजरा फूलों का, इन दो अंखियों में
अंजन मैं भरूं
इक बार मैं फिर से सात जनम के बंधन का, तुमसे आज करार करूं।…
(19-) संयोगिता के पिया की
पाती)
एक बार फिर कर सजनी तू, दुल्हन सा श्रंगार
नाक पे नथनी, आँख में काजल, गले लगा हो कुंदन हार
हांथों में मेहँदी, अंगुली मुंदरी, पड़ी कलाई चूड़ी लाल
पैर महावर, पाँव की बिछिया, रस घोले पायल की झंकार
तेरे यौवन की तिरछी नजरों से, चल आ गले लगा ले मुझको
यार…..
(20-) रितु के पिया की पाती
गहरी गहरी आंखों वाली, मेरे दिल पे तुमको तो जादू करना था
तेरे ओठों की सुर्ख शबनम पे, मुझको तो यूँ ही मरना था
पहनी जो तूने हरे कांच की चूड़ियाँ, उनको तो खन खन होना था
धड़कन मेरी तुमसे है, इसलिए तो सीने से लगा के रखना था……
( 21-) सुनयना के पिया की पाती
जब धड़कने मेरी धड़कती हैं, तो साँसे तुझमें आ जाती हैं
ख़ुश होता हूँ जब जब मैं, चेहरे पर मुस्कराहट तेरे आ जाती हैं
जब भी तू मेरे पास आती है, मेरा हर लम्हा ख़ास बन जाता है
सँवरने लगती है ये ज़िन्दगी, जब भी तू मेरी बाहों में मुस्कुराती है…..
(22-) संध्या के पिया की पाती
तुमसे जीवन हुआ मेरा संगीतमय, अपनी साँसों का मनमीत बनाके मारा
चूड़ियों की झनकार से, किस किस अदा से तूने जलवा दिखाके मारा
आज़ाद हो चुके थे तेरी ऑंखों की कशिश से,तेरी सुरमई अखियों ने
बंधक बना के मारा
आँखों में तेरी ज़ालिम छुरियाँ छुपी हुई हैं, देखा जिधर भी तूने
पलकें उठाके मारा
बैचेनी है शेष बदन में, रूप मोहिनी सा छुपकर यूँ नैन लड़ाके मारा
(23-) बबिता के पिया की पाती
सुन मेरी सजनी l मैं तेरे कोमल मन की सूनी सूनी, बगिया में मंडराऊँगा
सुन मेरी सजनी ! तुम गुलाब की बनो पंखुड़ी, मैं भौंरा बन जाऊँगा
सुन मेरी सजनी ! तेरी अखियों की पंखुड़ियों के भीतर ही सो जाऊँगा
बस तुम रति बन जाना प्रियतमा और मैं कामदेव बन जाऊँगा
तुम बल खाकर जो गिरी गोद में, तो रोक ना खुद को
पाउँगा…..
(24-) आभा जी को दोस्ती के नाम
दिल मे एक शोर सा
हो रहा है l बिन आपके ये दिल बोर हो रहा है...
कोई छिपी हुई ये बात नहीं दोस्त, दुनिया का सबसे हसीं यार मिला हमको
नरही तमन्ना हमें नये नये दोस्तों की, आपकी दोस्ती में वो प्यार मिला हमको
आपके संग वक्त को संवारा, सच कहूँ तो इक सुखद एहसास मिला हमको
जिस दिल में ईश्वर का वास होता है, उसी दिल से सम्मान दिया आपको
आप यूँ ही मह्क्तीं रहें मेरे जीवन में, तक़दीर लिखने वाले एक एहसान दिया मुझको
कोई छिपी हुई ये बात नहीं दोस्त, दुनिया का सबसे हसीं यार मिला हमको
नरही तमन्ना हमें नये नये दोस्तों की, आपकी दोस्ती में वो प्यार मिला हमको
आपके संग वक्त को संवारा, सच कहूँ तो इक सुखद एहसास मिला हमको
जिस दिल में ईश्वर का वास होता है, उसी दिल से सम्मान दिया आपको
आप यूँ ही मह्क्तीं रहें मेरे जीवन में, तक़दीर लिखने वाले एक एहसान दिया मुझको
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