मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का हो प्रावधान





हमारे समाज में अमूमन शराब, व्हिस्की, रम, बीयर, महुआ आदि का प्रचलन तो है ही, लेकिन कई अवैध मादक पदार्थ यथा भांग, गांजा, चरस, हेरोइन, ब्राउन शुगर, कोकीन और इन दिनों सर्वाधिक प्रचलित चिट्टा भी शामिल है।
नशा देश की सबसे बड़ी समस्या है। देश में नशे की जड़ें इस कदर फैल चुकी हैं कि अब सरकार को भी अपनी एजेंसियों को सक्रिय बनाकर नशे के कारोबारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।
अपराध जगत के क्रिया-कलापों पर गहन नजर रखने वाले मनोविज्ञानी बताते हैं कि अपराध करने के लिए जिस उत्तेजना, मानसिक उद्वेग और दिमागी तनाव की जरूरत होती है उसकी पूर्ति ये नशा करता है जिसका सेवन मस्तिष्क के लिए एक उत्प्रेरक की तरह काम करता है।
देखा जाए तो नशे का कारोबार जिस तरह से उत्तर प्रदेश में तेज़ी के साथ फैल रहा है, ये कहना ग़लत नहीं होगा कि आने वाले वक्त में यूपी नशाखोरी के मामले में अन्य राज्यों को पिछाड़ कर देश में अव्वल नंबर पर आ जाएगा स्कूली बच्चों में नशा करने का तरीका बदल रहा है आमतौर पर लोग  शराब, सिगरेट, गांजा, हेरोइन को ही नशा का प्रमुख कारक मानते हैं लेकिन बच्चे नशा के लिए डेनड्राइट, सिर दर्द में लगाया जाने वाला बाम, कफ सिरप व अन्य  कुछ दवाओं को ज्यादा सहारा बना रहे हैं विगत दिनों नशे की समस्या को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर हुए एक ताजा सर्वे से पता चला है कि पंजाब नहीं, बल्कि यूपी ही नशेबाजों का स्वर्ग है l सर्वे के मुताबिक देशभर में सबसे ज्यादा नशेड़ी यूपी से हैं l सर्वे के मुताबिक GFX IN देश में 73 लाख लोग गांजा और भांग का सेवन करते हैं l इनमें 28 लाख लोग यूपी के हैं l हेरोइन और अफीम का नशा देशभर में 77 लाख लोग करते हैं l इनमें से 11 लाख लोग यूपी के हैं l इसके अलावा यूपी के 20 लाख लोग नशीली दवाइयां लेते हैं l जबकि एक लाख बच्चे भी नशा करते हैं l इन बच्चों में से ज्यादातर बेघर हैं ये एक गंभीर चिंता के विषय हैं, जिससे निपटने की जिम्मेदारी युवाओं के अभिवावकों के साथ समाज और सरकार की भी बनती है.
यूपी के 28 लाख लोग गांजा-भांग का सेवन करते हैं l हेरोइन-अफीम लेने वाले 11 लाख लोग यूपी के हैं l 20 लाख लोग नशीली दवाइयां लेते हैं उत्तर प्रदेश में तकरीबन 1 लाख बच्चे भी नशेड़ी हैं l कई मामलों में कुछ अभिभावक नशे की बात की अनदेखी भी करते हैं, लेकिन शायद ऐसा करना उनके लिए महंगा पड़ सकता है, क्योंकि नशा के चंगुल में जकड़े व इसके आदी हो चुके बच्चे जब अंतिम चरण में पहुंच जाते हैं तो उनके  इलाज में खासी परेशानी होती है. समय रहते यदि बच्चों का इलाज कराया जाये तो स्थिति पहले जैसी सामान्य हो सकती है l इस मामले में समय रहते प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।



राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक सर्वे ने उत्तर-प्रदेश के बारे में चिंताजनक तस्वीर पेश की है l इस सर्वे के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा नशेड़ी उत्तर-प्रदेश में हैं l देखा जाये तो सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि इन नशेड़ियों में बेघर बच्चे भी शामिल हैं l प्रदेश में करीब 1 लाख बच्चों को इन्हेलेंट्स संबंधी समस्या के लिए सहायता और इलाज की जरूरत बताई गई है। सेडटिव ड्रग्स और इन्हेलेंट्स लेने वाले अधिकतर बच्चे या तो बेघर हैं या गली-मोहल्लों में अधिक वक्त बिताते हैं। प्रदेश में करीब 20 लाख लोग नशीली दवाइयों मसलन नींद की गोलियां, कोडीन सल्फेट युक्त सिरप जैसे सेडटिव ड्रग्स के आदी हैं। सर्वे के अनुसार, इनमें करीब 3.5 लाख लोगों को इलाज की जरूरत है.
यूपी में नशीले पदार्थ बेचने वाले तस्करों की आए दिन धरपकड़ के बाद भी वे बेखौफ होकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं l सरकार और समाज को चाहिए कि जागरूकता के साथ कानून को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। नशे का व्यापक फैलाव समाज से संबंधित है अत: ऐसे समाजों को चिन्हित करके व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। नशा रोकने के लिए कारगर रणनीति राष्ट्रीय स्तर पर क्रियान्वित होनी चाहिए। कायदे में नशे की रोकथाम वाली संस्थाओं एवं कानून एवं न्याय की संस्थाओं में आपसी समन्वय व सूचनाओं का आदान-प्रदान भी होना चाहिए। और साथ ही मादक दवाओं से जुड़े लोगों पर कठिन दंड का प्रावधान होना चाहिए।

 सुनीता दोहरे

प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समिति





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