शाम की उंगलियों में थमा गुनगुनी चाय का प्याला....
सांझ का झुरकुटा अपने
यौवन पर झूम रहा था l बीते दो बरसों में क्या से क्या हो गया l धीरे-धीरे ठंडी
हवाओं के झोकों की खुमारी को महसूस करते हुए रोशनी अपने लॉन की
घास पर नंगे पैर अनवरत सी टहल रही थी, गुमसुम सी कुछ
सोचती हुई l हर रोज शाम की उंगलियों में थमा गुनगुनी चाय का प्याला होता है और
ऑफिस की व्यस्तताओं में राहत देने वाला उसका चेहरा भुलाए नहीं भूलता है l जैसे भयंकर गर्मी के बाद बारिश की छोटी छोटी
बूँदें बेचैन मन को आश्वस्ति सी देती रहतीं हो । ठीक उसी तरह रौशनी के लिए कमल की यादें थी l पलकों पे आंसू
छुपाये रोशनी अन्दर ही अन्दर टूट गई थी l रौशनी अपने
मातापिता की इकलौती औलाद थी l अपने मातापिता
के साथ. बहुत खुश थी जब जो चाहती वह मिल जाता, सबकुछ उसी का तो था l पिता पेशे से इंजीनियर हैं लिहाजा, उन्होंने अपनी बेटी रौशनी को भी इंजीनियर ही
बनाया था इसलिए कमी का तो कहीं सवाल नहीं था l
एक दिन अचानक
रोशनी ने माँ से कहा कि मैं कमल के साथ शादी करना चाहती हूँ कमल मेरी कम्पनी में
कार्यरत है और 4 महीने पहले ट्रांसफर पर आया है l रोशनी की माँ ने अपने पति विजयप्रताप
के कानों में ये बात डाल दी थी l विजय प्रताप बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित हो
गये थे l कमल के बारे में पता करने के बाद विजयप्रताप ने बेटी को समझाते हुए कहा
बेटी पहले उसे अच्छे से समझ लो l मैं बीमा एजेंट बनकर अपने दोस्त के साथ उसके घर मिलने
गया था l मैंने उसे ये नहीं बताया था कि मैं रोशनी का पिता हूँ l जितनी देर मैंने
उससे प्लान के बारे में बात की उतनी देर में उसके कई कॉल आये जिन पर बार बार ये कह
रहा था कि मेरा दिमाग मत खाओं l मैं घर नही आ सकता और ना तुम यहाँ आओगी l बाबूजी
के साथ रहो l मुझे कुछ ठीक नहीं लगा बेटी l
लेकिन रौशनी
ने जवाब में कहा, पापा कमल गलत नहीं है मैं शादी करूंगी तो उसी से वरना नहीं
करूंगी l माँ ने ही मना किया होगा इसीलिए आप मेरी नहीं सुन रहे हो l आपको माँ की
बात ही सही माननी है l
माँ ने गुस्से
में बोला, ‘‘चुप रहो,.... तमीज से बात
करो,..... तुम तो हद से ज्यादा ही बढ़ती जा रही हो,.... जो सही नहीं
है, उसे तुम सौ बार दोहरा कर भी सही नहीं बना
सकतीं” अपनी
इंजीनियरिंग अपने पास रखो, तुम्हारी कोई
सफाई मेरे लिए पर्याप्त नहीं है l ये शादी नहीं
होगी तो नही होगी l समझी तुम l
माँ की कही
बातें रह-रह कर उसके अंतर्मन में गूंज रही थीं l रौशनी देर तक सूनी-सूनी आंखों से
छत की तरफ ताकती रहीं l घर में कौन था, जिससे कुछ कहसुन कर वो अपना मन हलका करतीं l
अंजाम की परवाह किये बिना रौशनी नादानी में उस प्यार के कंटक भरे राह पर बढ़ चुकी थी,
जिसका अंजाम बहुत बुरा था। शायद जवानी के जोश में काँटों को तो पार कर लेती पर आगे
जो भयानक दलदल आने वाला था, उसका रोशनी को
भान नहीं था । उन दिनों रौशनी पर कमल के प्रेम का बुखार इस कदर चढ़ा था कि माता
पिता की भावनाओं को आहत कर रौशनी ने कमल के साथ आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली थी और माता पिता से नाता तोड़ कमल के घर सदा के
लिए चली गई थी l शादी के एक साल बाद ही पति की बेवफाई सामने आने से रौशनी की तो
जैसे साँसे ही थम गई थीं l पति कमल कुमार पहले से ही शादी शुदा था l कमल कुमार
अपनी पत्नी को गाँव में रखता था और उसने यहाँ रौशनी को अपने आपको कुंवारा बताकर रौशनी
की मति भ्रष्ट कर दी थी l शादी का एक साल भी न बीत पाया कि कमल की असलियत रौशनी के
सामने आ गई l हुआ यूँ कि कमल के पिता की तबियत खराब होने के कारण कमल का चचेरा भाई
कमल के पिता और कमल की पत्नी को लेकर शहर आ गया l रौशनी उस समय घर पर ही थी l पत्नी
और पिता को देखकर कमल की हालत देखने लायक हो गई थी l उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था l
कि अचानक रौशनी के सवाल से घबरा गया l
रौशनी अपने
सामने आये इन लोगों को देखपूंछ रही थी कि, कमल ये लोग कौन हैं ? कमल ने घबराकर कहा
मेरे गाँव से आये हैं कुछ दिन रहकर चले जायेंगे l कुछ दिन के लिए तुम अपने मायके
चली जाओ l फिर मैं लेने आ जाऊंगा l रोशनी को कुछ गड़बड़ लग रहा था वो कुछ बोली नहीं
चुपचाप अपने मायके चली गई l मायका भी कोई 3 किलोमीटर की दूरी पर ही था l अचानक घर
आई परेशान बेटी को देख माँ बोली ....
रौशनी तुमने
खबर ही नहीं दी अचानक आ गई l सब ठीक तो है l पिता को भी कुछ आशंका हुई l सबने रात
का खाना खाया और कमरों में सोने चले गये l सुबह होते ही रौशनी ऑफिस चली गई l कमल
को ऑफिस में बैठकर काम करते देख रौशनी चुपचाप अपने केबिन से बाहर आई और अपनी कार
स्टार्ट करके सीधे उस घर में पहुंची जहाँ वो कमल के साथ शादी करके रह रही थी l घर
में कमल की पत्नी ने दरवाज़ा खोला और बोली अन्दर आओ l....
रौशनी अन्दर
आकर सोफे पर बैठ गई l कमल की पत्नी बोली.... बहिन जी कल आप यहाँ पर किसलिए आई थी l
मेरे पति कह रहे थे कि आनाथालय के लिए चंदा मांगने वाली है उसे चैक दे रहा था
बनाकर, इसीलिए घर में बैठाया था l लेकिन मुझे शक है कि मेरे पति झूठ बोल रहे हैं,
पर मैं चुप रही क्यूंकि बाबूजी की तबियत बहुत खराब है अभी वो मेरे देवर के साथ
हॉस्पिटल गये हैं l रौशनी के पैरों तले जमीन खिसक गई l उसे यकीन नहीं हुआ, तो उसने
फिर पूंछा आपके पति का नाम क्या है l कमल की पत्नी के मुंह से निकले शब्द “रौशनी
के कानों में पिघले गर्म शीशे की तरह लग रहे थे”....
“मेरे पति का नाम
कमल कुमार है” l
सुनते ही वो सहम
गई, कार स्टार्ट कर जैसे तैसे घर पहुंची l उसे कुछ सूझ नहीं रहा था l घर पहुंचकर
रौशनी माँ की गोद में सर रखकर ऐसे रोई जैसे एक छोटी बच्ची खिलौना टूटने पर रोती है
l पिता अवाक् बैठे थे उन्होंने सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी के साथ इतना बड़ा धोखा
होगा l रौशनी के पिता कमल के घर गये l वहां पर कमल को अलग ले जाकर कहा, मेरी बेटी की
जिन्दगी तो तूने बर्बाद कर दी l तेरे पिता बीमार ना होते, तो तुझे में कोर्ट में
घसीट लेता l आज के बाद मेरी बेटी की तरफ ऑंख उठाकर ना देखना l उससे दूर ही रहना, वरना
मुझसे बुरा कोई ना होगा.
माँ और पिता
ने रौशनी के दर्द को समेट लिया था l फिर कभी उस दिन के बाद घर में कमल की बात नहीं
हुई थी l धीरे धीरे रौशनी ने अपने आपको सम्भाल लिया था l दिन बीतते गये l रोशनी
ऑफिस जाती अपना काम करती और वापस आ जाती l ऑफिस में सबको पता चल गया था कि कमल ने रौशनी
के साथ धोखा किया है लेकिन कमल के बॉस होने के कारण कोई एम्प्लाई मुंह नहीं खोल
पाता था l माँ अक्सर बोलती बेटी दूसरी शादी कर ले लेकिन रौशनी मना कर देती l रोजमर्रा
की जिन्दगी चल रही थी l एक दिन उसने देखा कि घर के सामने रहने वाले अंकल जी के घर की
खिडकी से एक शख्स एकटक उसे निहार रहा है l अंजान बन रोशनी ने खिडकी बंद कर दी l जब से रोशनी को देखा था तब से रोहन अक्सर अपने चाचा के घर आने लगा था
l शाम
को चाची खाना बनाने में लग जाती तभी रोहन घंटों खिड़की से रौशनी की एक झलक पाने को
बेताब रहता l इतवार
के दिन रोहन सुबह से ही चाचा के घर आ जाता था ताकि रौशनी के दीदार कर सके l रोशनी का शारीरिक
आकर्षण किसी षोडशी युवती से कम न था। माद्यम बदन, हिरनी से तीखे नयन, गुलाब की अधखुली पंखुड़ी से गुलाबी होंठ, लता सी लहराती लचीली कमर, घनघोर घटा सी जुल्फ़ें, ऐसा भरपूर यौवन रोहन को मदहोश कर जाता था। रोहन
को यूँ लगता जैसे रौशनी बिना वो जी नहीं पायेगा । घंटों खिड़की पे खड़े होकर एक ही
दुआ करता रहता कि, काश मेरी जिन्दगी में रौशनी नाम की बहार आ जाये l जबकि रौशनी को
प्यार शब्द से नफरत हो गई थी l दूर दूर तक रौशनी को ये खबर नहीं थी कि रोहन उसे
पसंद करता है l इन सब बातों से बेखबर रौशनी अपने ही गम में डूबी रहती l
रोहन जब भी
अपनी चाची के घर आता तो सर्दी की गुनगुनी धूप में बैठी रोशनी को देख रोहन अपनी
चाची के पास ही बैठकर चुपके चुपके उसे निहारा
करता l रौशनी नहाकर
खुले केशों को सुर्ख गालों पर लहराती, चहकती चिड़ियों
को देख कभी नशीली मुस्कान बिखेरती, कभी तिरछे
नैनों से मुस्करा देती, कभी शून्य में
निहारने लगती l इन अदाओं से
रोहन मचल उठता, वो अंदर ही
अंदर तड़पता और सोचता कौन सा वो दिन होगा जब मैं रौशनी से अपने प्यार का इजहार कर
पाउँगा और रौशनी मेरी जीवन संगिनी बनेगी ।
रोहन की चाची
समझ गईं थी कि रोहन को रौशनी बेहद पसंद है l उसके मन की बात जानने के लिए रोहन से
चाची ने कहा, .... रोहन ! रौशनी बहुत अच्छी लड़की है तुम उससे शादी करना चाहोगे क्या
?
चाची की बात
सुन रोहन को मानों मन मांगी मुराद मिल गई हो l शरमाकर बोला... जी चाची l .....
रोहन की चाची
और रोशनी की माँ की आपस में रोहन और रौशनी की शादी की बात हुई l दोनों को सब कुछ
ठीक लगा, तो रौशनी की माँ ने रौशनी के पिता को इस रिश्ते के बारे में बताया l दोनों
को रिश्ता ठीक ही लगा l दोनों मौके की तलाश में थे कि बेटी से कैसे बात की जाये l....
हालांकि आज दिन में एक बार माँ ने रोहन के
बारे में बताते हुए कड़क शब्दों में ये भी कहा था कि एक लड़का मैंने पसंद किया है
कुछ दिनों में तेरी शादी कर दूंगी पापा के सामने कोई नानुकुर नहीं करोगी l शाम को
चाय पर पापा से बात होगी l
बीती यादों से
पीछा छुडाकर अब रौशनी जीना चाहती थी l अचानक मम्मी की आवाज़ सुनाई देती है l रौशनी बाहर
ठण्ड बढ़ गई है अन्दर आजा तेरे पापा भी आ गये है l मम्मी तीन कप चाय बनाकर ले आई l
पापा हाँथ मुंह धोकर कमरे में दाखिल हुए l पापा ने पूंछा रोशनी बेटा कैसी हो l आज
का दिन ऑफिस में कैसा रहा l दिन अच्छा रहा पापा ये कहते हुए रौशनी ने पापा को चाय
का कप उठाकर दिया l बेटी का उदास चेहरा देखकर विजयप्रताप को कुछ शका हुई l बड़े ही
प्यार से सर पर हाँथ फहराते हुए बोले, आज मेरी बेटी कुछ उदास लग रही है l क्या बात
है रौशनी l अपने पापा को नहीं बताओगी l
रौशनी धीरे से
बोली, पापा माँ कहती है कि तुम शादी कर लो l क्या जरूरी है शादी करना ? पापा मैं
जिन्दगी भर यहीं रहना चाहती हूँ अपनी मम्मी और पापा को छोड़कर कहीं नही जाउंगी l मम्मी
को समझा दो रोज रोज ये बातें न किया करें l कमल की यादों का दर्द लिए हुए रौशनी
फूट फूट कर रो पड़ी l आंसू थे कि बरसों रुके बांध को तोड़ कर उन्मुक्त प्रवाहित
होते जा रहे थे l उस खारे जल की
कुछ बूंदें उस के मुख पर पड़ रही थीं l उसे लग रहा था
कि वह नदी में सूख कर उभर आए किसी रेतीले टीले पर खड़ी है l किसी भी क्षण नदी का बहाव आएगा और वह
बेसहारा तिनके की तरह बह जाएगी l
रौशनी को चुप
कराते हुए विजयप्रताप बोले कि.... "बेटी मैं तुम्हारे भविष्य के लिये परेशान हूँ, पर अच्छी बात ये है कि तुम अपने पैरों पर
खड़ी हो । जिन्दगी का सफर अकेले काटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है इसलिए मैं
बिना किसी परेशानी के, फिर तुमको
अपनी पसंद का जीवनसाथी चुन लेने की सलाह दे रहा हूँ।" एक लम्बी साँस खींचकर
फिर बोले, बेटी ! आज तुम्हे माँ की बात गलत लग रही है लेकिन कुछ समय बाद तुम कहोगी, कि माँ का निर्णय सही था l ये कहकर पापा चुप हो गये l
रौशनी को ये
बखूबी पता है कि पापा की चुप्पी रौशनी को उनकी बात मानने पर मजबूर कर देगी l यही सब सोचते हुए
रौशनी सोच रही थी कि आज पक्का चाय
की प्याली में तूफान आने वाला है l या तो पापा
मान जायेंगे या फिर मुझ पर सख्ती की जायेगी l एक ना एक दिन तो ये होना ही है l
पापा का
चिंतित चेहरा देख रौशनी सोचते हुए बोली पापा माँ ठीक कहती है वैसे रोहन में कोई बुराई
नहीं लेकिन आपकी बेटी के बीते हुए दिनों की काली परछाई को कैसे सहन कर पायेगा वो l
एक बार सारी बातें उसको बता दी जातीं तो ज्यादा ठीक रहता l माँ खुश होते हुए बोली,
बेटी ! रोहन की चाची ने रोहन को सब बता दिया है उसे कोई एतराज़ नहीं l मैं कल शाम
की चाय पर रोहन को बुला लेती हूँ एक बार तुम उससे मिल लो l तो ज्यादा ठीक रहेगा l
कमरे में आकर रौशनी
एकटक छत को घूरते हुए सोच रही थी कि पता नहीं शाम की चाय रोशनी की जिन्दगी में कौन
सा तूफ़ान लाएगी l अब जो भी है
पीना तो है ही, एक ऐसी नीबू
वाली चाय का घूंट जिसमें एक बार फिर अपने पति के साथ आजादख्याली की हाला भरी होगी
। जिसे पीते ही वो क्या खुद को संभाल पाएगी...
कल की शाम आई
और रोहन आया l उसकी आँखों की कशिश ने रौशनी की आँखों में सपने जगा दिए l सम्मोहित
सी वो रोहन को देखती रही l रोहन के विचार और उसकी कदकाठी देखकर रौशनी बहुत
प्रभावित हुई l अपनी झुकी हुई
नजरों से उसने रोहन से शादी के लिए हाँ कह दी l चलते समय रोहन ने उसे धीरे से कहा
l बहुत दिनों से तड़फ रहा था तुम्हारे दीदार करने को आज मेरी किस्मत चमकी है तो मेरी
दुल्हन बनकर जल्दी आ जाओ मेरे आँगन में l ये बन्दा हर पल हाजिर रहेगा तुम पर जान
लुटाने को l रौशनी हलके से मुस्करा दी l
रोहन की यही जिन्दादिली ने रौशनी को पर लगा दिए l रोशनी सोच रही थी कि उसकी ऐसी
ख्वाहिश पूरी होने वाली है जिस पर उन्मुक्त विचारों के नग्मे गूजेंगे, जिसकी मधुर ध्वनी अभी से उसे कानों में
सुनाई पड़ रही है । जिस पर उड़ने के तलबगार पंछियों को बांधने के लिए कोई पिंजरा
नहीं होगा l वो भी उड़
सकेंगे उन वादियों में जहाँ उड़ने की उसने कभी तमन्ना की थी l
शादी के दिन लाल
रंग का लहँगा, रौशनी के गोरे
चेहरे को जैसे और चमकदार बना रहा था, हाथों में लाल
लाल चूड़ियाँ जिनके बीच में कुछ कुंदन के कड़े भी थे, लाल सिन्दूर से लंबी भरी मांग, गले में मंगलसूत्र के साथ छम छम बजती पायल, घने काले बालों के जुड़े पे बेला के कलियों
का गजरा महक रहा था l रोशनी का ये रूप देख कर रोहन स्तब्ध रह गया l उसे लगा मानो
सारे जहां की सुन्दरता सिमट कर उसकी जिन्दगी सवारने आ गई हो l आँखों में सपने
सजाये हुए रौशनी उसकी दुल्हन बन गई l
शादी के अगले
दिन रौशनी को देख रोहन बोला कि, रौशनी ! एक बात बोलू...मुझे तुमसे बेइन्तहां प्रेम
है, ये “प्रेम है बोलने से कुछ नहीं होता उसे निभाना आना चाहिए” आज तुम मेरी जीवन
संगिनी हो ये मेरा सौभाग्य है आज के सौ सालों तक मेरा प्रेम तुम्हारे प्रति कभी कम
नहीं होगा l तुम हमेशा मेरे दिल पर राज़ करोगी l
आज रौशनी ने अपना
8वां वचन इसलिए निभाया क्योंकि वो रोहन के साथ प्रेम के ऐसे सूत्र में बंधी थीं जो
मरते दम तक निभाएगी l रोज की तरह कुछ दिनों बाद रौशनी शाम की चाय पर रोहन के आने
का इन्तजार कर रही थी l जैसे सुकरात के हाथों में धरा हलाहल का पैमाना छलकने को
बेताब हो, इन सुनहरी चाय
की प्यालियों में ही तो अक्सर सुकून के या बदलाव के तूफान छुपे होते हैं l रोहन ने आते ही अपनी उसी अदा से मुस्कराते
हुए मध्यम संगीत की धुन लगाई और रौशनी को बाहों में उठा कर गाल पर प्यार से थपकी
देते हुए बोला..... “मैं राधा का, राधा मेरी..... आज मेनू नच लेंन दे.... मेनू नचना
राधा दे नाल... आज मेनू नच लेंन दे....पैरा के बीच घुंघरू बनके, अपनी राधा का जोगी
बनके.....आज मेनू नच लेंन दे....
सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक /इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समित
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