आश्चर्य और चिन्ता का विषय है शराब के बढ़ते ठेके और बढती खपत.......
यह एक कडुवी सच्चाई है कि देश में शराबखोरी के चलते चाहें जितने बड़े हादसे हो
जाएँ लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है हम सबको पूर्ण नशामुक्त समाज की
स्थापना हेतु अपनी-अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हम सबका दायित्व है
कि सम्पूर्ण मानवता को मद्य एवं मादक पदार्थों से बचाने हेतु अपनी-अपनी भूमिका को
अंजाम दें। स्वयं नशीले पदार्थों का परित्याग करें। जन-जन तक इसके दुष्परिणामों और
भ्रांतियों की जानकारी को पहुंचायें।
1-
हमारे देश में एक
ओर मद्य-निषेध विभाग शराब से बचने के लिए लोगों को नसीहतें करता है, दूसरी ओर आबकारी विभाग शराब की ख़ुद की दुकानें खुलवाता और इसकी बिक्री के लिए
लाइसेंस प्रदान करता है| इसका नतीजा यह है
कि शराब दूर-दराज़ गांवों तक पहुंच गयी है और उन लोगों का भी जीवन तबाह कर रही है
जो अभी तक शराब की पहुंच से बाहर थे । यह भी कम आश्चर्य और चिन्ता का विषय नहीं है
।
2-
देखा जाये तो जिनको
खाने को नहीं है परिवार भूख से तड़फ रहा है, बदन पर कपडे नहीं ,पेट में अनाज नहीं पैर में चप्पल नहीं, मगर होठो से शराब का
पौवा अवश्य लगा होता है l ....
3-
शराबखोरी और ऐसे
ही कई ज्वलंत विषयों का विरोध करने वाले इतने पाखंडी नही होते जितने इनका समर्थन
करने वाले होते हैं.....
4-
कई लोग इन चीज़ों
का समर्थन सिर्फ़ इसलिये करते हैं क्यूकि उन्हे लगता है कि विरोध करने पर उन्हे
दकियानूसी होने का खिताब दे दिया जएगा. और तो और कई लोग इसलिये शराब पीने लगते हैं
क्यूकि उनके कई दोस्त पीते हैं और अगर उन्होने अपने दोस्तों की हां मे हां मिलाते
हुए उनका साथ नही दिया तो उन्हे पुराने ख्यालात का पिछ्ड़ा हुआ व्यक्ति समझा जएगा.......
5-
गरीबी, जाति,
धर्म और महंगाई को दरकिनार कर देखा जाये तो इस देश की जनता के लिए सबसे बड़ा खतरा शराब
है l ...
6-
शराब के बढ़ते
ठेके और बढती खपत गरीबो को गरीब ही नहीं रख रही, बल्कि गरीबो के घरो को गाली, मारपीट, गुस्से, तोड़-फोड़ का निशाना बना रही है l
7- शराब पर तो हर तबके का शराबी अपनी आमदनी के एक बड़ा
हिस्सा खर्च कर ही डालता है, लेकिन बाद में उसका खामियाजा उसको और उसके
परिवार को भुगतना पड़ता है l
8- किस ने कितनी अपने हलक में उतारी, इसका हिसाब
नहीं होता l जहा चार लोग मिले, वो सभी एक दुसरे को उकसाते है l अतः परिणाम होता है
कि जो व्यक्ति नशा नहीं करता वो भी करने लागता है और शराब की जैसे जहर को पीकर
बेमौत मारा जाता है.....
9- जब सरकारें ये बात बखूबी समझते है कि शराब समाज
के लिए घातक है तो फिर क्यों इसकी इतनी छूट है यहाँ, यह बात किसी से छुपी
नहीं है कि देश में हर साल कितने गरीब जहरीली शराब की वजह से मारे जाते है.....
10- हाँ यह बात अलग है अमीर और पैसे वाले लोग इस
चंगुल में नहीं आते है, क्योकि उनके पास अत्यधिक धन होता है तो वो महँगी बोतले
गटकते है....
11- शराब शरीर की पची हुई शक्तियों को भी उत्तेजित
करके काम में लगा देती है, फिर उसके ख़र्च हो जाने पर शरीर काम
के लायक़ नहीं रहता ।....
12- शराब के लती कुछ डॉक्टर यह कहते फिरते हैं कि
शराब का हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। यह बात सरासर ग़लत है । शराब शरीर
में ऑक्सीजन के प्रसार को रोकती है,
अतएव चर्बी बढ़ने लगती है। चर्बी की बृद्धि
और मन-मस्तिष्क के प्रभाव होने का सीधा प्रभाव हृदय पर पड़ता है ।....
13- शराब पाचन शक्ति को भी नष्ट कर डालती है ।
शराबी व्यक्ति के पेट में जो पाचक-रस बनता है, उसमें पेप्सिन बहुत कम
होती है । नयी पेप्सिन के निर्माण में शराब रोड़ा अटकाती है । अतः पाचक-रस में
भोजन पचाने वाले तत्वों का अभाव हो जाता है ।....
14- शराब से ज़्यादा तंबाकू जानें लेती है और उसकी
आदत भी पड़ जाती है l तो तंबाकू पर सरकार पाबंदी क्यों नहीं
लगाती......क्योंकि वह पैसा देने वाली फ़सल है l....
15- कौन कहता है अल्कोहल किसी शराब निषिद्ध राज्य
में नहीं बेची जाती l राज्य एक हाथ से राजस्व खोता है और दूसरी ओर इस
तरह की मौतों पर ख़र्च करता है,
जो मर गए वे भाग्यशाली थे
l जो इससे बच गए वे ज़िंदगी भर के लिए अंधे भी हो सकते हैं
क्योंकि इन पेयों में शामिल मेथीलेटेड स्पिरिट आँखों की रोशनी पर असर डालती है.....
16- शराब पीने वाले का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है।
‘ऐसा प्रायः होता है कि नशे में आदमी अपनी स्त्री और बहनों
में तथा पिता और मित्रों में भेद नहीं रख पाता और अत्यंत अशिष्ट व्यवहार कर बैठता
है ।
सरकार को अच्छे से पता है कि ऐसी विषैली शराब पीकर उन प्रदेशों में लोग ज्यादा
मरते हैं जहां इस पर कोई पाबंदी नही है जहां मुख्य रास्तों पर, अस्पताल और यहां तक मंदिर से सिर्फ़ 50 मीटर की दूरी पर दारू के
कानूनी अड्डे चल रहे होते हैं, जहां हर शाम वातावरण ठर्रामयी हो जाता है, औरतों और बच्चियों को उस रास्ते से गुज़रने मे डर लगता है l क्यूंकी कुछ लोग तो
अपनी बोतल लेकर चुपचाप अपने घर चले जाते हैं, पर कई लोग वहीं खड़े रहते
है सड़क पर l हाथों मे कटिंग चाय छाप ग्लास लेकर एक के बाद एक अपने हलक़ से नीचे उतारते
हुए, वहीं ज़मीन पर या बेंच पर क्ल्लूराम की होटल का सस्ता नमकीन
कटे हुए नींबू के साथ पड़ा होता है,
और अगर ऐसे मे वहां से
कोई लड़की गुज़र जाए तो इनमे से कई लोग उसे तब तक घूरते है जब तक वो अगले मोड़ पर
आंखो से ओझल न हो जाए l
सरकार को शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए और साथ ही सरकार को
विज्ञापन अभियान चलाकर हर शख्स को शराब के खतरे से आगाह कराना चाहिए l “शराब पीने
से न जाने कितनी बीमारियाँ लगती हैं” ये हर बोतल पर लिखा होना चाहिए l इस विषय पर
जनमत लेकर सरकार को प्रतिबंध का निर्णय लेना चाहिए.
सुनीता दोहरे
प्रबन्ध संपादक/ इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष/ शराबबंदी संघर्ष समिति
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