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टूटता कांच बिखरता नारी का अस्तित्व ( सच का आइना )

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टूटता कांच बिखरता नारी का अस्तित्व ( सच का आइना ).. .....   बॉक्स........ वर्तमान में बलात्कार का ग्राफ चिंताजनक स्तर पर, कहीं पर जाति  की दबंगई,   कहीं पैसे की हनक, कहीं पुलिस प्रशासन की लापरवाही, कहीं नेताओं और अपराधी किस्म के निठल्लों के कारण सिसकता समाज, सिसकते परिवार और सिसकती है नारी....... भारत में इस समय सबसे ज्यादा जो अपराध हो रहा वह है बलात्कार व सामूहिक बलात्कार का. वर्तमान में इसका ग्राफ चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. आज की तारीख में बलात्कार और भ्रष्टाचार ये दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे होने के साथ-साथ हमारे समाज में ज्वलंत और विचारणीय हैं कहीं पर जाति की दबंगई,   कहीं पैसे की हनक, कहीं पुलिस प्रशासन की लापरवाही, कहीं नेताओं और अपराधी किस्म के निठल्लों के कारण सिसकता समाज, सिसकते परिवार और सिसकती है नारी....... कारण है कि संसार का निर्माण होते ही स्त्रियों को पुरुषों का गुलाम समझा जाने लगा. एक ही माँ से और एक ही प्रक्रिया से पैदा होने के बाबजूद उनेह कभी भी पुरुषों के समकक्ष स्थान प्राप्त नहीं हो सका. देखा जाये तो भारतीय संस्कृति में स्त्रियों को माँ, बेट

इस आधुनिक युग में स्त्री आज भी पुरुषों के समकक्ष नहीं(सच का आइना )

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बॉक्स ..... स्त्रियों को लेकर हमारी सामाजिकता में आज भी वही तय मानक हैं जो पुरुषवादी मानसिकता ने तय कर रखे हैं. स्त्री-पुरूष में विषमता की जड़े तो मुझे इस पढ़े लिखे वर्ग में भी कम होते दिखाई नहीं देती....... भारतीय संविधान भले ही प्रत्येक नागरिक के समान अधिकार की घोषणा करता हो लेकिन स्त्री आज भी पुरुषों के समकक्ष नहीं है. वो सारे अधिकार जो एक पुरुष को जीवन के प्रथम क्षण से मिलते है वो स्त्रियों को नहीं मिलते l इस भारतीय समाज में जीवन के किसी न किसी मोड़ पर उसे यह अहसास करा दिया जाता है कि वह स्त्री है. सच तो ये है कि हमारे पुरुष-प्रधान समाज स्त्री अधिकारों में स्त्री अस्तित्व के भ्रम को अभी तक स्त्री अधिकारों को ठीक तरह से   परिभाषित न किया जाना ही सबसे बड़ा मूल कारण है. क्योंकि स्त्रियों को लेकर हमारी सामाजिकता में आज भी वही तय मानक हैं जो पुरुषवादी मानसिकता ने तय कर रखे हैं. स्त्री-पुरूष में विषमता की जड़े तो मुझे इस पढ़े लिखे वर्ग में भी कम होते दिखाई नहीं देती . क्योंकि स्त्री खुद चुटकी भर सिंदूर और मंगलसूत्र सहित लाल जोड़े में लिपटी हुई अपने आपको एक बने बनाये खांच