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Showing posts from October, 2012

हमारी सरकार ईमानदार हैं या मौन ? (सच का आईना )

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हमारी सरकार ईमानदार हैं या मौन ? (सच का आईना ) भ्रष्टाचार हमारे भारत देश को पूरी तरह से अपने पंजे में जकड़ चुका है ! ये एक कटु सत्य है ! बिना रिश्वत लिए काम ना करना एक रिवाज सा बन गया है ! चाहें मौजूदा सरकार किसी की भी हो भ्रष्टाचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सरकार ने कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! इसीलिए हमेशा प्रथम ऊँगली केन्द्र की सत्ता की ओर ही उठी है ...... पिछले कुछ वर्षों में केन्द्र सरकार के मंत्रियों तथा कांग्रेसी नेताओं पर किस प्रकार एक के बाद एक लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं देखा जाये तो प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह और केन्द्र सरकार के मौन ने देश की भोली-भाली जनता के विश्वाश को छला है ! देश की केन्द्रीय सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी का नारा  ` कांग्रेस का हाँथ आम जनता के साथ ` आज एक मजाक बनकर रह गया है ! लगता है जैसे कांग्रेस पार्टी का हाँथ आम-जन के साथ ना होकर भ्रष्टाचार से लिप्त हो गया है ! प्रतिदिन नए-नए खुलासों ने आम-जन के विश्वास  की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी हैं परन्तु सरकार बेपरवाह है ! देश आज ये जानना चाहता है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार के `प्रम

The cancer of corruption:--- (sach ka aaina )

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Corruption has spread its roots all over the country of India. And every other day one or other incident of corruption takes its toll on the common man. Another significant fact is that how corruption has taken the whole society into its grip. Let’s talk about it in detail now..... If we talk about corruption there are mainly two questions which need to be answered. Firstly    what is the starting point of corruption and what are its reasons.      The second and most important question is how do we fight corruption. The lowering of general moral standards of society is the starting point of corruption and a moral-less society will be a corrupt society. A man’s behaviour is always shaped by his morality. One is able to discipline himself on the basis of good morals. An individual’s morals have a huge impact on his behaviour.    In modern times,the failure of parents to inculcate good morals in their child has a lasting effect over the entire life of the child. For e.g. If a child

कब तक रोयेगा बुंदेलखंड ( सच का आईना )

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बुंदेलखंड किसी परिचय का मोहताज नहीं है । मगर इसके बावजूद अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। क्यों ? किसके पास है इस सवाल का जवाब ? सत्तापक्ष या विपक्ष के पास ? या आप और हम के पास ? सवाल दर सवाल इसलिए क्यों कि 914 इसवी से अस्तित्व में आया बुंदेलखंड । अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है । पांच करोड़ की अबादी और 70 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र वाला बुंदेलखंड । अंग्रेजी हुकूमत के दौरान तो अलग प्रदेश था । मगर आजादी के बाद से कभी एक में तो कभी दूसरी चक्की में पिस रहा है । क्यों ?  जाहिरातौर पर इस्तेममाल करो और फैंक दो की नीति ने इस ऐतिहासिक खंड को तहस-नहस कर दिया है । राजनीतिज्ञों ने बुंदेलखंड पर बयानबाजी के तो कई कीर्तिमान स्थापित किए । मगर महिलाओं के लिए दुनिया में मिसाल बन चुके बुंदेलखंड के लिए किया कुछ नहीं । यहां के लोगों को छोड़ दिया उनकी किस्मत के सहारे । नीयति को अगर ये मंजूर होता तो बात अलग थी । इंसानों की गलतियों का दोष नीयति पर तो मढ़ा नहीं जा सकता । आज अनेक सवाल हैं परन्तु हम सबके लिए सबसे महत्वपूर्ण और अति संवेदन शील प्रश्न ये है कि प्रथक बुन्देलखण्ड की मांग पर केन्द्र व राज्य सरकारे

कल और आज के इस आधुनिक युग में दिल्ली ( सच का आईना )

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कल और आज के इस आधुनिक युग में वही भव्यता का सदियों पुराना शास्त्र ले कर दिल्ली फिर से    अभ्यावेदनों की दुनिया से मरहूम होकर जवां दिल्ली अब खिलाफत के नए शब्दों में पारंगत हो चुकी है जिसमें भ्रष्टाचार एक अहम पहलू है   ,  जो आज के जवां मौसम में पूरे भारत को अपनी चपेट में लिए हुये है ! भ्रष्टाचार से लवरेज नेता गरीबों के पसीने से नहाते हैं और उनकी आँहों को संगीत समझकर उनकी मेहनत की कमाई के तले फल-फूल    रहे है ! सत्याग्रह   ,  बहिष्कार ,  असहयोग और सविनय अविज्ञा अपने और बेगाने के भिन्न-भिन्न प्रतीक लोगों को संगठित करने के नए तरीके मानो गरीब और अमीर    के बीच की खाई को भरने के लिए कई ऐसे बेनाम पुलों का निर्माण हो रहा हो जैसे इन पुलों के सहारे वो दुनियां पे अपनी हुकूमत कर दलाली का बाजार सजा के रंग रेलियां मना सकें... और गरीब जनता को ये सन्देश देने को उतावले हो कि   इन पुलों को पार करके ही तुम पाओगे श्वेत ,  शुभ्र लिबास में लिपटी अन्नत दौलत   …….. ठीक यही नजारा उन दिनों इसके बिलकुल उलट था जब क्रांतिकारियों ने देश को आजाद करने की मुहिम शुरू की थी अ

भ्रष्टाचार का फैलता हुआ जहर :--(सच का आईना)

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भ्रष्टाचार एक ऐसा बीज है जो हमारे देश में बिच्छू घास की तरह अपनी पैठ जमा चुका है जिसको लोग जिगासा वश छूकर देखते हैं और इसके जहर का आनंद लेते हैं बिच्छू घास के काटे का इलाज भी घास के पास उगी घास से होता है ठीक उसी तरह रिश्वत लेने वाले के साथ उसके ऊपर बैठा अधिकारी खेल खेलता है उसके पास भी इसका हर तोड़ होता है ! भ्रष्टाचार की जड़े हमारे पूरे भारत देश में फ़ैल चुकी हैं आये दिन इनके अंकुर फूट-फूट कर भोली-भाली जनता को चूसते हैं ! देखने की बात तो ये है कि भ्रष्टाचार का बीज अंकुरित होकर अपनी कोपलों से उड़ान भरकर कैसे समाज को जकड़े हुये है ! आइये थोड़ा विस्तार से चर्चा करती हूँ ................. अगर भ्रष्टाचार की बात की जाये तो दो प्रश्न प्रमुखता से हमारे सामने उभर के आते हैं ! सबसे पहले तो ये कि भ्रष्टाचार का श्रोत कहाँ से फूटा है और क्या कारण हैं भ्रष्टाचार के ! सबसे अहम और दूसरा मुख्य प्रश्न है कि इसका निवारण कैसे हो ! नैतिकता का पतन ही मुख्य रूप से इसका पहला श्रोत होता है ,   आचरण का भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार है ! आचरण का प्रतिनिधित्व सदैव नैतिकता करती है ! नैतिकता के बल पर ही

.कोयले की कालिख ( सच का आईना )

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कोयले ने देश की सियासी तस्वीर का रुख करीब-करीब तय कर दिया है...अब वोटरों के मन में क्या है...इसका नतीजा देर से मिलेगा...फिलहाल इंटरवल... नई दिल्ली: की  18 अगस्त 2012  में  कोयला , पावर और एविएशन (उड्डयन) पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट पेश की गई थी l  जिसमें अब तक का सबसे बड़ा घोटाला अनुमानित 1.86 लाख करोड़ रुपए का कोयला आवंटन घोटाला सामने आया है जो कि 1.76 हजार करोड़ रुपए के 2जी घोटाले से भी बड़ा है l  समय पर इसकी नीलामी नहीं होने से काफी नुकसान हुआ ! कोयला आवंटन को लेकर कैग ( भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ) की रिपोर्ट में किए गए खुलासे पर देश भर में हंगामा मचा हुआ है ! हर कोई इसे अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बता रहा है l विपक्ष तो इस मामले पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की ही मांग कर रहा है l आरोप है कि कॉर्पोरेट घरानों को कोयले की खानें सरकार ने कौड़ियों के भाव दी जिससे सरकारी खजाने को 1.86 ..... लाख करोड़ रुपए का कोयला आवंटन घोटाला हुआ l भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में सरकार की नीतियों में खामी को सामने लाते हुए कहा कि यदि

( सच का आईना ) 15 अगस्त यानी भारत की स्वाधीनता का दिन :---

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यह ऐसा दिन है जब हम अपने महान राष्‍ट्रीय नेताओं और स्‍वतंत्रता सेनानियों , जिन्‍होंने विदेशी नियंत्रण से भारत को आजाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपने जीवन न्‍यौछावर कर दिए , आज के दिन हम सब भारतीय इन महान हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं हमें ये कदापि नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आजादी की लड़ाई स्‍वतंत्रता-संघर्ष के इतिहास ’ में एक अनोखा अभियान था l  सत्‍य और अहिंसा के परम सिद्धांत के माध्‍यम से जीतकर जिसने पूरी दुनियां को एक नया रास्ता दिखाया था ! बहुत कम लोग ये जानते हैं कि भारत की आजादी का संघर्ष मेरठ के कस्‍बे में सिपाहियों की बगावत के साथ 1857 में शुरू हुआ था l जो आगे चलकर 20वीं शताब्‍दी में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस  तथा अन्‍य राजनैतिक संगठनों द्वारा महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में स्‍वतंत्रता का एक देशव्‍यापी आंदोलन चलाया गया और 15 अगस्‍त 1947 को भारत देश स्वतंत्र हो गया l 15 अगस्त यानि भारत की स्वाधीनता का दिन l हमें स्वाधीन हुए 65 वर्ष गुजर गए l   15 अगस्त 1947 का वो दिन जब फिरंगी भारत छोड़कर हमें एक नए लोकतंत्र में एक संघीय ढांचे में ढालकर चले गए l  आज 65 वर्

पृथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण जनता की मांग नहीं बल्कि उनकी जिद है :----( सच का आईना )

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पिछले कुछ समय से जब से मैं बुन्देलखण्ड को अच्छी तरह से जानने लगी हूँ ! तो मुझे ऐसा लगता है कि जो अभी तक प्रथक बुन्देलखण्ड की मांग थी अब वो बुन्देलखण्ड वासियों की जिद बन गई है ! बुन्देलखण्ड भूमि देश की आजादी के   64   वर्षों के बाद भी विकास की किरणों से वंचित है !   आज भी यह क्षेत्र भुखमरी ,   गरीबी ,   कर्ज ,   अशिक्षा ,   बेकारी और अज्ञानता के अभाव में भारत के सबसे अधिक पिछड़े क्षेत्रों में से एक है !   बुन्देलखण्ड को दो भागों में बांट कर रखा गया है:   1)   मध्य प्रदेश   2)   उत्तर प्रदेश ! 5 करोड़ की लगभग आबादी वाला यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र   ,   दो लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल   और   70,000   किलोमीटर में फैला लम्बा-चौड़ा क्षेत्र   ,   केवल एक ही राज्य के रूप में होना चाहिये ! बुन्देलखण्ड की जनता ही इस क्षेत्र की समस्त परिस्थितियो को निकट से जानती है ! जब तक वो खुद इस मुहिम में विपरीत   परिस्थितियो के खिलाब आवाज नहीं उठाएगी तब तक उनकी विकट परिस्थितियो में विकास की रोशनी नहीं आ सकती ! उपरोक्त राज्यों में विकासमयी वातावरण को देखकर बुन्देखण्ड की आम जनता के द्वारा यह अनुभव क