हमारी सरकार ईमानदार हैं या मौन ? (सच का आईना )


हमारी सरकार ईमानदार हैं या मौन ? (सच का आईना )

भ्रष्टाचार हमारे भारत देश को पूरी तरह से अपने पंजे में जकड़ चुका है ! ये एक कटु सत्य है ! बिना रिश्वत लिए काम ना करना एक रिवाज सा बन गया है !
चाहें मौजूदा सरकार किसी की भी हो भ्रष्टाचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सरकार ने कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! इसीलिए हमेशा प्रथम ऊँगली केन्द्र की सत्ता की ओर ही उठी है ......
पिछले कुछ वर्षों में केन्द्र सरकार के मंत्रियों तथा कांग्रेसी नेताओं पर किस प्रकार एक के बाद एक लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं देखा जाये तो प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह और केन्द्र सरकार के मौन ने देश की भोली-भाली जनता के विश्वाश को छला है ! देश की केन्द्रीय सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी का नारा  ` कांग्रेस का हाँथ आम जनता के साथ ` आज एक मजाक बनकर रह गया है ! लगता है जैसे कांग्रेस पार्टी का हाँथ आम-जन के साथ ना होकर भ्रष्टाचार से लिप्त हो गया है ! प्रतिदिन नए-नए खुलासों ने आम-जन के विश्वास  की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी हैं परन्तु सरकार बेपरवाह है ! देश आज ये जानना चाहता है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार के `प्रमुख `हमेशा कुछ भी कहने से मुंह क्यों छिपाते हैं और भ्रष्टाचार के आरोपी मुखर होकर खुद ही बयान बाजी कर अपने आपको पाक साबित करके ये समझते है कि जनता जैसे कुछ जानती ही नहीं !
ऐसा भी नहीं है कि भ्रष्टाचारियों में सिर्फ केन्द्र सरकार के वाशिंदे ही सम्मिलित हों बल्कि विपक्ष के अनेक नेताओं का नाम घोटालों में लिप्त पाया गया है ! अगर कार्यवाही की बात करें तो केवल ` जांच होगी ` पर बात आकर ठहर जाती है ! लगता है जैसे पक्ष और विपक्ष भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एक दूसरे को सहयोग प्रदान कर सारे विश्व को अपनी एकता और अखंडता का सन्देश देना चाहते हैं ! सत्ता और धन की लोलुपता ने पक्ष और विपक्ष के रिश्ते को आज एक नया नाम दे दिया है ! भ्रष्टाचारी और भ्रष्टाचार के विरोध पर बयानबाजी केवल समाचार पत्रों और न्यूज़ चेनलों तक ही सीमित रह गई है !
अगर कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता है तो वो भी अपनी जरुरत के अनुसार ही उठाता है ! आम-जन दोराहे पर खड़ा है उसका विश्वास दिन प्रति दिन टूट रहा है ! भ्रष्टाचारियों ने अभेद्य ताकत हासिल कर ली है जो भी इनसे टकराने की कोशिश करता है उसका वजूद खत्म कर दिया जाता है ! भ्रष्टाचारियों के पास अपनी बात कहने के कई साधन है जो ज्यादा और बार-बार कहता है वही आज के समय का सत्य कहलाता है !
हमारे देश में आज के दौर में जो मौन धारण करने की प्रवत्ति पैदा हुई है यकीनन ये बहुत ही खतरनाक है ! सरकार के मौन के साथ-साथ प्रधानमंत्री मौन ,कभी विपक्ष मौन और मतदान के वक्त मतदाता मौन ! देखा जाये तो भ्रष्टाचार के विकास के लिए उपयुक्त कारण ये ही होते है ! भ्रष्टाचार की जड़ें मौन वातावरण में तेजी से फैलतीं हैं अगर हमें वास्तव में विनाश के पेड़ को जड़ से उखाड़ना है तो हमें मौन तोडना ही पड़ेगा ! और जब हम मौन तोड़ेंगे तभी टूटेगा सरकार का मौन और विपक्ष का मौन ..........
अगर देखा जाये तो बहुत सी महान सभ्यताओं के पतन का मुख्य कारण भ्रष्टाचार ही रहा है ! भ्रष्टाचार से सृजनात्मकता का नाश होता है ! क्योंकि अयोग्य
,निकम्मी तथा भ्रष्ट सरकारें जनता को योजनापूर्वक भ्रष्ट बनाकर अपना शासन बचाये रख पाती हैं इसे 'भ्रष्ट बनाओ और राज करो' का फार्मूला अपनाती हैं ! भ्रष्टाचार, विकास व सुशासन का शत्रु  होने के साथ साथ गरीबों के हक को छीनता है, संसाधन आवंटन को विकृत करता है, लोगों के विश्वास को खत्म करते हुये नियमों की अनदेखी करता है ! देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है इससे आतंकवाद, अराजकता, जंगलराज की स्थिति निर्मित होती है ! लोगों के मन में निराशा के जन्म के साथ ही उनकी काम करने की उर्जा मारी जाती है ! लोग नये कार्य हाथ में लेने से डरते हैं जिससे देश के हित में किये जाने वाले कार्यों में बाधा आती है !

सुनीता दोहरे ......


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