( सच का आईना ) 15 अगस्त यानी भारत की स्वाधीनता का दिन :---

यह ऐसा दिन है जब हम अपने महान राष्‍ट्रीय नेताओं और स्‍वतंत्रता सेनानियों, जिन्‍होंने विदेशी नियंत्रण से भारत को आजाद कराने के लिए अनेक बलिदान दिए और अपने जीवन न्‍यौछावर कर दिए , आज के दिन हम सब भारतीय इन महान हस्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं हमें ये कदापि नहीं भूलना चाहिए कि हमारी आजादी की लड़ाई स्‍वतंत्रता-संघर्ष के इतिहासमें एक अनोखा अभियान था l  सत्‍य और अहिंसा के परम सिद्धांत के माध्‍यम से जीतकर

जिसने पूरी दुनियां को एक नया रास्ता दिखाया था ! बहुत कम लोग ये जानते हैं कि भारत की आजादी का संघर्ष मेरठ के कस्‍बे में सिपाहियों की बगावत के साथ 1857 में शुरू हुआ था l जो आगे चलकर 20वीं शताब्‍दी में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस  तथा अन्‍य राजनैतिक संगठनों द्वारा महात्‍मा गांधी के नेतृत्‍व में स्‍वतंत्रता का एक देशव्‍यापी आंदोलन चलाया गया और 15 अगस्‍त 1947 को भारत देश स्वतंत्र हो गया l

15 अगस्त यानि भारत की स्वाधीनता का दिन l हमें स्वाधीन हुए 65 वर्ष गुजर गए l  

15 अगस्त 1947 का वो दिन जब फिरंगी भारत छोड़कर हमें एक नए लोकतंत्र में एक संघीय ढांचे में ढालकर चले गए l  आज 65 वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी देश में शिक्षा,भुखमरी,गरीबी ,मंहगाई ,बीमारियाँ ,पीने को साफ़ पानी नहीं l तमाम तरह की ऐसी चीजें है जो हमें अभी तक नसीब नहीं है कुल मिलाकर ये कह लिया जाये ! कि हिन्दुस्तान के एक अरब, बीस करोड़ लोगो को हमारा मूलभूत ढांचा अभी तक नसीब नहीं हुआ है....

उसके बाद आतंकबाद, भ्रष्टाचार ,भाई भतीजा बाद और भौतिकबाद ये चार ऐसे पहलू  हैं l जो देश कि स्वाधीनता , स्वतन्त्रता ,जमरुहियत ,आजादी के लिए खतरा बनते जा रहे हैं l रजनीतिज्ञों का स्वार्थ देश कि स्वाधीनता में सबसे बड़ा खतरा पैदा कर रहा हैं l देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने हाल ही में राष्ट्रपति भवन में घुसने से पहले उनका सीधा ये कहना था l कि आंतकवाद और भ्रष्टाचार हमारी तरक्की में सबसे बढ़ी  बाधा है l कश्मीर से कन्याकुमारी और कन्याकुमारी से गंगटोक, गंगटोक से उत्तर पूर्व, कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ पर धर्म, नस्ल, जाति का बोलबाला न हो l असम को देखिये उत्तर पूर्व का बड़ा राज्य है l  पिछले कुछ दिनों से असम में जो हिंसा का दौर चला है l वो थमने का नाम नहीं ले रहा है l कई दर्जनों जाने इस साम्प्रदायिक हिंसा की शिकार हुई ! तीन लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए l  देश के सबसे बड़े उत्तर प्रदेश को लीजिये l  सावन में कांवडिया निकले तो फिर ठन गई दो गावों के बीच l सवाल हिंदू मुस्लिम का नहीं रहा !

दलित की बेटी को प्रताडित किया गया उत्तर प्रदेश में दिन दहाड़े सरेआम सूर्य की रौशनी के बीच ! अब ये सपा का वार था या किसी और की चाल l  गोमती नगर में सिर कलम कर दिया गया माया की मूर्ती का l  कौन है वो लोग जो हिंदू समाज के दो पहलू दलित और सवर्णों को बांटना चाहते है, लड़ाना चाहते है l

इस कांड के बाद उत्तर प्रदेश में आगजनी बसपा का जगह-जगह प्रदर्शन इन सबका एक नया  दौर... एक ऐसा  बीज बोता जाता है l  जो देश के लिए बहुत खतरनाक है l

याद होगा आपको भगतसिंह , राजगुरु , सहदेव ,याद करिये उन वीर जवानो को, नेता जी को उनकी आजाद हिंद फ़ौज को क्या सपने चाहते थे l क्या अरमान थे l किस भारत का निर्माण चाहते थे वो !...... और वर्तमान में जो हो रहा है एक लोकपाल के लिए पिछले कई सालों से कुछ लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है l जम्हूरियत है, तो लोकतंत्र है और वोट की गिनती के मायने है l  

65 वर्षों में ठीक है  कांग्रेस सबसे ज्यादा रही है लेकिन मौका जनता दल को भी मिला है l भारतीय जनता पार्टी को भी मिला है l लेखा जोखा कर लीजिए मोरार जी देसाई का, चौधरी चरण सिंह का, वी. पी. सिंह का, चन्द्रशेखर का, अटल विहारी बाजपेई का, या डॉक्टर मन मोहन सिंह का l तस्वीर जो उभरेगी उसमें ये पाया जायेगा कि आतंकबाद ही नहीं नस्लवाद, गुस्सा, बच्चियों से बलात्कार ,कईयों कि हत्याएँ और रक्षक् ही भक्षक् बने हुए हैं l  शिक्षक राक्षस बने हैं l  अस्पतालों में सुख सुविधाएँ क्या होंगी जब आगजनी हो रही है l सूखे कि मार से किसान परेशान  है l  लेकिन गठबंधन सरकारों के दौर में सबको अपनी कुर्सी चाहिए l किसानों की खुदकुशी का सिलसिला जारी है l  उत्तर प्रदेश के जेलर ने शिवपाल सिंह यादव की मुलाकात  क़ानून के मुताबिक़ नहीं होने दी l  तो उसे ख़ुदकुशी के लिए मजबूर होना पड़ा l  क्या किसान, क्या व्यापारी, क्या अधिकारी सब तरस रहे हैं हक के लिए l अधिकार नहीं, दस्तूर नहीं फिर काहे का लोकतंत्र काहे की स्वाधीनता l  लाल किले की तस्वीर भाषणों के लिए नहीं हैl  कारगिल को 13 साल गुजर गए फ़ौज में दिन प्रतिदिन घोटाले कुर्सियों की लड़ाई अधिकारियों का अहंकार l  क्या यही सपना था l  देश के लिए कुर्बान होने वालों का.

अन्ना और उनकी टीम जंतर-मंतर पर विफल है l तो क्यों है ? कौन सी सियासत कर रहे है रामदेव ? किस तरह भला होगा ग्रामीणों का l  कैसे आएगी शिक्षा l  किसके एजेंडे में है ये l  क्या कोई इस समाज को बताने की जहमत करेगा l स्वाधीनता अभिव्यक्ति लिखने की कागजी बातें होती हैं l  क्या कभी हम हिंदुस्तानियों को ये महसूस होंगी l कहने को हमारा देश स्वतंत्र तो हुआ है l  पर भारत में गरीबी एक विकट समस्या है l मानव संसाधन भारत की बहुमूल्य संपदा है। तथापि मानव संसाधन तभी उपयोगी हो सकता है, जब रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार तथा उत्तम प्राकृतिक और सामाजिक परिवेश जैसी बुनियादी जरूरतें सबके लिए पूरी हों l अगर देश में मानव संसाधन का बहुत बड़ा भाग गरीबी युक्त है l तो कोई भी देश समृध्द नहीं हो सकता.

संक्षेप में ये कहना चाहूंगी कि भारत भले ही स्वतंत्र हो गया हो पर अपनी गलत आर्थिक नीतियों और द्रष्टिकोण के कारण गरीब है l  हम अपनी सम्पदा को अनुत्पादक कार्यों में जाया करते है l सरकार  उधमियों का दमन करने और नौकरशाहों कि ताकत में इजाफा करने में कोई कसर नहीं छोड़ती l सरकार ने जिस भी उद्योग को हाथ लगाया उसे अनुत्पादक कि गर्त में डाल  दिया l तो भला देश कि गरीबी कैसे दूर होगी ? जहां तक सरकार कि नीतियों की बात है l  तो सबको प्राथमिक और उच्चतर शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य और खास तौर पर प्राथमिक ढाँचे पर पूरा ध्यान केंद्रित करने कि जरुरत है l साथ ही सरकार को उत्त्पाद्कता कि राह में आड़े आने वाले नियमों और नीतियों को समाप्त कर देना चाहिए l  यहाँ पर में अपने विचारों को प्रकट करना चाहूंगी कि अब सरकार को राष्ट्रीय उत्त्पाद्कता बढाने वाली बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है l सरकार का स्पष्ट आर्थिक द्रष्टिकोण न होने के कारण भारत ने आर्थिक और राजनैतिक दोनों ही क्षेत्रों में काफी कुछ सहा है l हकीकत ये है कि भारत अपनी आजादी के 65 वर्षों बाद भी गरीबी के मामले में निहत्था खड़ा है l  कहने का मतलब ये है कि भारत में अभी भी गरीबी का बोलबाला हैl इस स्वतंत्र भारत में इतनी कठिनाइयों का सामना करते हुये एक आम आदमी अपने आपको स्वतंत्र कैसे समझे.








सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समिति 

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