विश्व पर्यावरण दिवस…( सच का आईना )

हरे-भरे पेड़-पौधे देखने में कितने खूबसूरत लगते हैं ! जहाँ तक नजर जाये
दी हुई नायाब अनमोल दौलत है ये ! ये देखने में कितनी सुखद लगती है 
!हमारे विश्व  में पर्यावरण एक विकट समस्या है ! संयुक्त राष्ट्र संघ केसर्वेक्षण के अनुसारहर साल धरती पर से एक प्रतिशत वनों की कटाई हो रहीहै ! जो पिछले दशक से पचाश प्रतिशत अधिक है ! कटाई के कारण प्रकृति कासंतुलन बिगड़ रहा है ! वहीं एक तरफ गलोबल वार्मिग का भी खतरा बढ़ा है !बढ़ती जनसंख्या और तेजी से हो रहे विकास के लालच में हम इस हरी-भरी कुदरतकी देन से कहीं वचिंत ना रह जाये ! जितनी तेजी से जंगल कट रहे हैं ! उतनीही तीव्रता से जीव- जन्तुओं की कई प्रजातियाँ संसार से विलुप्त होने कीकगार पर हैं ! गाँव-गली और घर के आँगन में नीम और आम के वृक्षों का होनाबहुत गुजरे समय की बात हो गयी है ! देखा जाये तो शहरों में लोग अपनेछोटे-छोटे घरों में बोनसाई या केक्टस लगाकर हरियाली को महसूस कर रहे है!पिछले दस सालों में गाँवों में हरियाली का 20 से 30 प्रतिशत हिस्सा घटाहै ! गाँवों में हरियाली का स्तर कम होने की सबसे बड़ी बजह भूमि अधिग्रहणमामला है ! गाँवों में किसानों की जमीन पर बिल्डरों के ख्वाब पूरे हो रहेहैं ! बड़े-बड़े प्रोजेक्ट हरियाली के दायरे को कम कर रहे हैं ! ग्रेटरनोयडा में दस सालों के अंदर 24 गाँव के किसानों की जमीन विभिन्नप्रोजेक्टों के लिये अधिग्रहित कर ली गई है ! यहाँ  पर गाँवों में भूमिअधिग्रहण की बजह से हरियाली क्षेत्र घट रहा है ! और प्रोजेक्टों के चलतेहुये ! जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम हो रही है ! अभी फिलहाल में ऩोयडा में2012 में 3.5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है ! और इन हरे-भरे पौधोंसे नोयडा हरा-भरा नजर आयेगा !अगर शहरी इलाकों की बात की जाये 28 प्रतिशत हरियाली के साथ नोयडा पहलेस्थान पर है ! वहीं और शहरों में औसतन 5 से 10 प्रतिशत ही हरित क्षेत्रहै ! नैशनल फॉरेस्ट पालिशी के मुताबिक किसी भी राज्य या शहर के कुलक्षेत्रफल के एक तिहाई हिस्से में हरियाली का होना जरूरी है !दिल्ली सरकार के वन-विभाग अधिकारियों का कहना है ! कि 1993 में जब पहलीबार सैटेलाइट से हरियाली की स्तिथी का पता लगाया गया ! तब शहर का केवल1.48 ही इलाका हरा-भरा था ! फिर बहुत ही मेहनत से 2003 तक इन आंकड़ों को18.07 तक पहुँचाया गया ! अभी स्तिथी ये है ! कि दिल्ली 20.20 प्रतिशतहरी- भरी हो चुकी है !हरियाली भरा परिवेश तन-मन को आत्मिक शांति देता है ! साथ-साथ सुख औरसम्रद्धि लाता है ! हरी-भरी वादियों को देखना अपना एक अलग ही आकर्षण है !आज हमारे जीवन में रसहीनता और जड़ता आ गई है ! इसका मूल कारण ये है ! किहम नैसर्गिक रसों के भण्डार से दूर होते जा रहे हैं ! जितनी तेजी सेदूरियाँ बढ़ रहीं हैं ! उतनी तेजी से जीवन नीरस होता जा रहा है ! किसी भीइमारत की शाश्वत सुन्दरता उसकी आस-पास की हरियाली से प्रतिबिम्बित होतीहै ! हरियाली हर प्राणी को सुख और सन्तोष का अहसास कराती है ! चाहें वोपशु हो या इन्सान जहाँ प्रकृति का विस्तार होता है ! वहाँ ईश्वर भी निवासकरना पसन्द करते हैं ! बड़े-बड़े मशहूर मन्दिरों,मठों और धर्मशालाओं सेलेकर जितने भी सार्वजनिक भवन और परिसरों का सौंदर्य तभी निखरता है ! जबइनके आस-पास हरियाली भरा परिवेश हो ! ऐसा सुन्दर माहौल इन इमारतों कोदेखने वालों को हरषाता है ! जब इमारतों की नींव रखी जाये ! तभी पौधारोपणकी परम्परा निजी व सरकारी क्षेत्रों में लागू कर दी जाये ! तो हमारी धरतीहरियाली से इतनी भर जायेगी कि सब समस्याओं से निजात मिल जायेगी ! हम अपनेघरों के नाम पित्र-छाया या मात्र-छाया भले ही रख लें ! ये सब दिखावे केलिये होता है ! जबकि असली छाया तो इन पेड़ों की छाया ही होती है ! मेहनतऔर लगन ही प्राकतिक सौंदर्य को बचा सकती है ! शहरों  गाँव और खाली पड़ेस्थानों में हरियाली के उद्देश्य से ऐसे पेड़ लगाये जाने चाहिये जो फल देसकें ! ग्राम-सभा की खाली भूमि जलाशय व सार्वजनिक स्थानों पर भी इन्हेंलगाना चाहिये !वास्तुशास्त्र में भी हरियाली को बहुत महत्व दिया गया है ! सामान्यवास्तु-दोषों को दूर करने के लियेआप अपने घरों में पौधे लगा सकते हैं !यह हरियाली आपको प्रकृति के बहुत नजदीक होने का अनुभव देगी        !
और साथ ही जीवन में खुशहाली भी लायेगी !भारतीय परिपेक्ष्य की बात की जायेतो दुनियाँ आधुनिक युग में होकर भी नाहोने जैसी हैआज का मानव अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो गया है ! कि वहगलत को भी सही साबित करने के जुनून में सब कुछ भूल जाता है ! एक तरफ धरतीके पर्यावरण के खतरे को देखते हुयेकुछ समझदार ब्यक्ति विधुत शवदाह गृहको अपनाने की सलाह दे रहे हैं ! वहीं  रूढी-वादियों में जकड़े कुछतथाकथित लोग भी हैं ! जो विक्रति परम्पराओं के कारण हरे पेड़ों की कटानको भी सही माते हैं ! आजकल पर्यावरण की बात करना एक फैशन सा हो गया है !पर्यावरण बचाने के नाम पर तमाम् सरकारी व गैर सरकारी संस्था रूपया वपुरुस्कार बटोरने में लगी हैं !दूसरा देखा जाये तो गंगा को साफ करने के लिये सरकार द्वारा करोड़ों रूपयेखर्च किये जा रहे है ! लेकिन इन रूपयों की गंगा सरकारी नौकरशाहों ,नेताओंऔर सरकारी बाबुओं के घरों में बह रही है ! अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूरनहीं कि गंगा इतिहास के पन्नों में सरस्वती नदी की तरह खो जायेगी !प्लास्टिक के दुष्परिणाम भी पर्यावरण के लिये हानिकारक हैं ! प्लास्टिकके उत्पादन के दौरान होने वाले इथाइल ऑक्साइडबेंजीन और जैलीन वातावरणको बेहद जहरीला कर रहे है ! और धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों के लियेखतरा बन रहे हैं ! इन खतरनाक रसायनों से केंसर,शरीर की प्रतिरक्षाप्रणाली जन्म दोष,तंत्रिका तंत्र का क्षरण रक्त और गुर्दे परप्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ! एक सच ये भी है ! कि प्लास्टिक पुनर्नवीनीकरण के दौरान भी यही रसायन दुगुनी मात्रा में  होते हैं ! इस धरती के पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना ही हमारा मुख्य उद्देश्य होनाचाहिये ! हमारे देश में जंगलों का कटान तेजी से हो रहा है !एक सर्वेक्षण के मुताबिक हिमालय क्षेत्र भू-क्षरण की दर बढ़ती ही जा रहीहै ! नतीजा ये निकल रहा है ! कि बहुत ज्यादा मात्रा में गाद झीलों  औरघाटियों में भर जाती है ! जिसकी वजह से नदियों में जल-भराव स्तर का गिरताजा रहा है ! हमारे देश की जीवन रेखा कही जाने वाली नदियों में अत्यन्तगरमी के कारण पानी का स्तर कम हो जाता है ! और बरसात के दिनों में बाढ़ आजाती है !पूरे हिमांचल और काश्मीर में हाल ही के सालों में हुई तबाही का कारणजंगलों की अंधा-धुंध कटाई है ! देखा जाये तो इस धरती पर हर एक ब्यक्ति को8 से 10 पेड़ लगाने चाहिये ! तभी इस समस्या निजात पायी जा सकती  है ! औरतभी हम आने वाली प्रलय से भी बच सकते हैं ! मनुष्य अपने वातावरण की उपजहै,इसलिए मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वच्छ वातावरण जरूरी है।लेकिन जब प्रश्न पर्यावरण का उठता है तो यह जरुरत और भी बढ जाती है।वास्तव में जीवन और पर्यावरण का अटूट संबंध है।बारिश के मौसम में हरियाली की अद्भुत छटा देखने को मिलती है ! जब चारोंओर हरियाली ही हरियाली नजर आये !  हर तरफ उफनती नदियों की कलकल होऔरखुले  आसमान  के नीचे शोर मचाते झरनेअपने पूरे उन्माद पर हों तोमनमहक  उठता  है  ! हमारा  देश खूबसूरत स्वर्ग तभी बन सकता है ! जब पौधारोपण किया जाये ! अगर आपकी तमन्ना  हमेशा युवा और स्वस्थ  रहने की  है !तो हरियाली से नाता जोड़िये और पर्यावरण को बचाइये !                                                
अगर काटते हो जंगल !!                                               
तो सूना होगा इस धरती का आँचल !                                               
कैसे गिरेंगे झरने झरझर- झरझर !!                                                
कैसेबहेंगी नदियाँ कलकल- कलकल !                                                
कैसे इस धरती पर होगा मंगल !!!...










सुनीता दोहरे 

प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़

महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समिति 

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