.कोयले की कालिख ( सच का आईना )
कोयले ने देश की सियासी तस्वीर का रुख करीब-करीब तय कर दिया है...अब वोटरों के
मन में क्या है...इसका नतीजा देर से मिलेगा...फिलहाल इंटरवल... नई दिल्ली: की 18 अगस्त 2012
में कोयला, पावर और एविएशन (उड्डयन) पर भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट पेश
की गई थी l जिसमें अब तक का सबसे बड़ा
घोटाला अनुमानित 1.86 लाख करोड़ रुपए का कोयला आवंटन घोटाला सामने आया है जो कि
1.76 हजार करोड़ रुपए के 2जी घोटाले से भी बड़ा है l समय पर इसकी नीलामी नहीं होने से काफी नुकसान
हुआ ! कोयला आवंटन को लेकर कैग ( भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ) की रिपोर्ट
में किए गए खुलासे पर देश भर में हंगामा मचा हुआ है ! हर कोई इसे अब तक का सबसे
बड़ा घोटाला बता रहा है l विपक्ष तो इस मामले पर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की ही
मांग कर रहा है l आरोप है कि कॉर्पोरेट घरानों को कोयले की खानें सरकार ने कौड़ियों
के भाव दी जिससे सरकारी खजाने को 1.86 ..... लाख करोड़ रुपए का कोयला आवंटन घोटाला
हुआ l भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने संसद में पेश की गई अपनी
रिपोर्ट में सरकार की नीतियों में खामी को सामने लाते हुए कहा कि यदि कोयला
क्षेत्र का आवंटन मनमाना तरीके से न कर प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर किया जाता तो
सरकार को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान नहीं होता l भारत के नियंत्रक और
महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी कम्पनियों को कोयला खदान आवंटन
में पारदर्शिता के अभाव के कारण सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये (37 अरब
डॉलर का नुकसान हुआ l यह प्रक्रिया जून
2004 में शुरू होनी थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें भारी विलम्ब हुआ l बहुप्रतीक्षित इस रिपोर्ट
में कहा गया है, "इस बीच 31 मार्च, 2011 तक विभिन्न सरकारी और निजी पक्षों को 194 कोयला खदानें आवंटित की गई
जिनमें लगभग 4,444 करोड़ टन कोयला होने का अनुमान है।" रिपोर्ट में ये भी कहा
गया है, "सरकार कोयला खदानों के आवंटन के
लिए जल्द नीलामी का निर्णय लेकर कुछ हदतक इस वित्तीय लाभ को अर्जित कर सकती
थी।" रिपोर्ट में कहा गया है कि
अधिकांश सिफारिशें राज्य सरकारों की ओर से आई थीं l
सूत्रों के मताबाकि, कोयला ब्लॉक आवंटन में धांधली जिसमें 1.86 लाख करोड़ के घोटाले का आरोप है।
सरकार ने 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 कंपनियों को 155 कोयला खदानों का आवंटन
किया गया ! कोयले की कालिख से किस-किस का मुंह
पुता है ? संसद के मानसून सत्र को बर्बाद
करने वाले सियासतदां क्या इस से वाकिफ हैं ? शायद नहीं होंगे ? होते तो मुल्क का धन और समय बर्बाद
न होता l जलाए बिना ही अंगारा बना दिया कोयले को ! अब ये अंगारे जैसे-तैसे शोले
बनेंगे ! शोले बनेंगे तो भयावह तस्वीर
लाजिमी उभरेगी l ये डरावनी तस्वीर बेड़ा गर्क कर देगी मुल्क के खजाने का ! आम आदमी
की खून पसीने की कमाई का l
मुल्क का खजाना भरने वाले तो हम आप ही हैं ! बड़े और ऊंची पहुंच रखने वाले
इससे अक्सर दूर ही रहते है l तभी तो एक-दूसरे को नंगा करने का सिलसिला शुरु करते
हैं -बड़े-l ! अब उनकी लड़ाई से किसी को कुछ मिले न मिले पर मुल्क का खजाना जरुर
लहूलहान होता है l कानून-व्यवस्था के नाम
पर और बातचीत के नाम पर अब ख़जाना इसी तरह लहूलहान होता रहा तो भूखमरी, अशिक्षा की माफिक बढ़ रही बीमारियों से कैसे निजात पाएंगे हम हिन्दुस्तानी ?
इसका जवाब देश को देना ही होगा। हो सकता है आज बच जाए मुल्क के सियासी ठेकेदार
l मगर भविष्य में उनका बचना मुश्किल होगा, इसलिए संभल जाए l वक्त है l मौके बार-बार नहीं मिलते l क्योंकि ये दुनिया का दस्तूर है l
अब इस पर भी नजरसानी हो जाए कि आखिर मुल्क की सियासत की तस्वीर एकदम बदल कैसे
गई l कैग को मुल्क के आम बजट के बाद से
लगने लगा था कि कोलगेट- का लेखा जोखा दुरुस्त नहीं है l अंदाजा लगाया जा रहा था कि
कोलगेट से मुल्क के ख़जाने को 162 करोड़ रुपये का चूना लगा है l इतनी राशि से
मुल्क के किसी प्रदेश की बीमारियों को खदेड़ा जा सकता था l शिक्षा के प्रचार-प्रसार
में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती थी l अनपढ़ता को करीने से दूर किया जा सकता था l मगर भगवान भला करे इस देश का,
कौन समझाए मुल्क के सियासी ठेकेदारों को l कोयले की कालिख से राजनीतिज्ञों के चेहरे ही नहीं
पुते l बल्कि दुनिया में मुल्क बदनाम हुआ l कोयले की कालिख से पुती कांग्रेस को तो
विदेशी मीडिया ने भी नहीं बख्शा l
वाशिंगटन पोस्ट- ने सार्वजनिक तौर पर डा. मनमोहन सिंह को अली बाबा की संज्ञा
दे डाली l अब अली बाबा से कौन अपिरचित
होगा l वहीं 40 चोरों का सरदार l खूब किस्से कहानिया है अली बाबा के l अब अन्ना और उनकी टीम तो राष्ट्रपति प्रणब
मुखर्जी समेत सवा दर्जन यूपीए मंत्रियों को घूसखोर करार दे रही है l हालांकि संविधान में दर्ज है कि महामहिम पर
दोषारोपण करना अपराध है l मगर फिर भी दबी जुबां से योग से सियासी आसन लगाने वाले स्वयंभू
बाबा ने प्रणब दा पर दोष मढ़ा है l वैसे
दिल्ली के जंतर-मंतर पर टीम अन्ना ने पहले प्रणब दा का चेहरा अपने मंच से दिखाया
था l मगर
संविधान का ख्याल आने पर उसे खारिज कर दिया गया l खैर,
-कोलगेट- पर कैग की रिपोर्ट ने मुल्क की सियासत का नया तानाबाना बुन दिया है l कोलगेट
ने सत्ताधारी कांग्रेस और देश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को आमने-सामने ला
दिया है ! फूल- वाले (बीजेपी) कोलगेट के सहारे –हाथ (कांग्रेस) को चोर बता रहे हैं l तो
कांग्रेस भी नहले का जवाब दहले से दे रही है l इसका कहना है कि बीजेपी शासित
राज्यों के मुख्यमंत्रियों के चेहरे भी कोयले की कालिख से पुते पड़े हैं l यानि
चोर-चोर मौसेरे भाई l कोलगेट पर कैग संसद
के मानसून सत्र के दौरान ही क्यों दहाड़ा l ये भी अलग मुद्दा है l खैर, जब दहाड़ ही पड़ा था तो संसद के अंदर यूपीए और एनडीए दो-दो हाथ हो लेते l लेकिन
–फूल-वाले तो न खेलेंगे और ना ही
खेलने देंगे की कहावत को बाजिद होते हुए चितार्थ करने लग पड़े l -हाथ-वाली मैडम को
–फूल-वालों की जिद रास आ गई l दोनों
आक्रामक l कैग की दहाड़ जहां थी वहीं रह गई l अगर आप कांग्रेसियों से बात करें तो उनका जवाब होगा,-संसद को दंगल का अखाड़ा बना दिया है फूलवालों ने l उधर, भगवा पार्टी (बीजेपी) कहेगी,- कोयले की कालिख से पुती है कांग्रेस l साथ ही ये कहना भी नहीं भूलेंगे फूलवाले कि देश
में घपले-घोटालों ने जो इतिहास रचा है वह सोनिया-राहुल के समय और दुनिया में विख्यात
अर्थशास्त्री डा. मनमोहन सिंह की नाक तले ये सब हुआ है l
लोकसभा के अगले चुनाव तक अब बस यहीं होगा l चुनाव के बाद मुल्क की सियासी तस्वीर
किस तरह की बनेगी l फिलहाल कहना मुश्किल है l लाल टोपी धारी साइकिल वाले नेता जी
कैग, कोयला और कांग्रेस के बाद फिर से
सक्रिय हुए हैं l तीसरे मोर्चे का राग
अलापने लगे हैं l माया के धुर विरोधी ममता का विश्वास भी खो चुके है l वामपंथी तो यूपीए-1 से उनसे सबक सीख चुके हैं l अब
नेता जी का राग कैसे वोटरों को मंत्रमुग्ध करेगा ये विचारणीय मुद्दा है l नौकरियों में पिछड़ों की प्रमोशन, उन्हें गंवारा नहीं l हालात देखिए l राज्यसभा में उनके अगड़े दलित से धक्का-मुक्की
हो गए l पिछड़ा वोटर लोकसभा चुनाव तक तो कम से कम इसे याद रखेगा l ये अलग बात है कि उनके बाहुबली यूपी में गुंडई से अपनी
साख बचा लें l मगर लोकसभा में 272 सीटों का आंकड़ा माया, ममता, जया तेदेपा और नवीन पटनायक सहित
वामदलों के समर्थन बिना इक्ट्ठा करना हसीन सपने जैसा ही होगा l अब सपने देखना तो इंसानी फितरत है l क्या कोई
किसी को सपने देखने से मना कर सकता है ?
सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक / इण्डियन हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष / शराबबंदी संघर्ष समिति
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