देखा जाए तो भारत में महिलाओ की बहुत ही दयनीय अवस्था थी । मनुस्मृती महिलाओ को किसी भी तरह की आज़ादी नहीं देती थी। इसलिए डाॅ बाबासाहेब आंबेडकर ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए। महिलाओं को और अधिक अधिकार देने तथा उन्हें सशक्त बनाने के लिए सन 1951 में उन्होंने ‘हिंदू कोड बिल’ संसद में पेश किया। बाबा साहेब का मानना था कि सही मायने में प्रजातंत्र तब आयेगा जब महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा और उन्हें पुरूषों के समान अधिकार दिए जाएंगे । बाबा साहेब का दृढ. विश्वास था कि महिलाओं की उन्नति तभी संभव होगी जब उन्हें घर परिवार और समाज में सामाजिक बराबरी का दर्जा मिलेगा । शिक्षा और आर्थिक उन्नति उन्हें सामाजिक बराबरी दिलाने में मदद करेगी । बाबा साहब ने संविधान मे महिलाओं को सारे अधिकार दिये .
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आइये जानते हैं कि विश्व के महान सविंधान निर्माता डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर के बारे में दुनिया क्या कहती है-
भारत:-"मुझे अपने संविधान पर गर्व है और मेरे देश का संविधान ही यहाँ का राष्ट्रीय ग्रंथ है।"
- PM नरेंद्र मोदी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी:-हमें गर्व है कि हमारी यूनिवर्सिटी में एक ऐसा छात्र पढ़ा जिसने भारत का संविधान लिखा।"
(यूनिवर्सिटी में मूर्ती स्थापना करते वक्त यूनिवसिर्टी प्रमुख)
अमेरिका:-"बाबा साहेब हमारे देश मे जन्मे होते तो हम उन्हें सूर्य कहते।"
-राष्ट्रपति ओबामा.
साऊथ अफ्रीका :-भारत से लेने लायक एक ही चीज़ है! वह है डॉ.अंबेडकर द्वारा लिखा संविधान।"
-नेल्सेन मंडेला
हंगरी :-"हमारी लड़ाई हम बाबासाहेब अंबेडकर की क्रांति के आधार पर लड़ रहे हैं।"
नेपाल:-"हमारा आने वाला संविधान भारतीय संविधान पर आधारित होगा।"
-PDC
पाकिस्तान:-"अगर हमारे देश में बाबासाहेब रहे होते तो हमें धार्मिक कट्टरता मिटाने में आसानी होती"(B Cel inPAK)
इंग्लैण्ड:-"अगर भारत को पूर्ण स्वतंत्रता चाहिये तो डॉ.अंबेडकर जैसे अनुभवी, निष्पक्ष राजनीतिज्ञ और समाजशास्त्री को संविधान सभा में होना ही चाहिये।"
-गवर्नर जनरल(आज़ादी से पहले)
जापान:-"डॉ. अंबेडकर ने मानवता की सच्ची लड़ाई लड़ी थी।"
दुनिया के 100 से ज्यादा देशों ने बाबासाहेब के विचारों को अपनाया है। पर जो सम्मान उन्हें दुनिया ने दिया वह सम्मान उन्हें अपने देश भारत ने कभी नहीं दिया क्योंकि भारत में राजनैतिक सत्ता की भूख के चलते राजनीतिक पार्टियां जाति वादि और धर्म नामक खेल खेलती हैं l
1950 के पश्चात् भारतीय दलीय व्यवस्था की कुछ विशेषताएं उभरकर सामने आयीं, जो चुनावी पद्धति, भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक-राजनीतिक परिस्थितियों की भी देन है जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा पर आधारित दल जो जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा की राजनीति करते हैं। इन मुद्दों के आधार पर वोट बैंक की राजनीति करते हैं।
सुनीता दोहरे
प्रबन्ध संपादक
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