सरकार द्वारा शराब बेचने का निर्णय राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण फैसला : मुर्तजा अली



शराबबंदी संघर्ष समिति के अध्यक्ष जनाब मुर्तजा अली ने शराबबंदी की मांग कर रहीं महिलाओं को संबोधित करते हुए एक मीटिंग के दौरान कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता याहन की जम्हूरियत के स्वास्थ्य की होनी चाहिए l जबकि, सरकार लोगों को शराब बेच कर उन्हें मौत के मुंह में धकेल रही है। जहां एक ओर आप सभी बहिनें शराबबंदी लागू करने की मांग को लेकर आवाज़ उठा रही हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार स्वयं इस जहरीली वस्तु की दुकान खोलकर यहाँ की आवाम पे अत्याचार कर रही है l शराब के कारण जहां समाज में बिखराव हो रहा है वहीं आपराधिक घटनाएं व महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें बढ़ रही है।


शराब के कारण ही आज हजारों गरीब परिवार भयंकर रूप से कई परेशानियों से जूझ रहें है। क्यूंकि शराब सभी बुराइयों की जड़ है l ये हमारे नैतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन का पतन कर देती है शराब हर वर्ग को प्रभावित करती है अगर सरकार इस पर रोक लगा दे तो कोई समस्या ही नही होगी l कई नामी स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि जितने भी मरीजों में कैंसर, क्षय रोग या हृदयरोग के लक्षण मिलते हैं उनमें सबसे ज्यादा कारण शराब और धूमपान होते हैं। अल्कोहल धीरे धीरे व्यक्ति के हृदय को नुकसान पहुंचाता हैंजिससे किडनी, फेफड़ों के काम करने तक बंद कर देते हैं। एक तरफ सरकारें बाबा रामदेव का पूर्ण समर्थन करते हुए योग दिवस मनाती है। वहीं दूसरी ओर राज्य में शराब की बिक्री कर लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस दोहरी नीति से राज्य के लोग असमंजस में हैं l शराब के कारण जहां हजारों घर बर्बाद हो रहे है। वहीं सड़क दुघटनाओं एवं अपराधिक घटनाओं का बढ़ा कारण शराब है अत: राज्य सरकार को गुजरात एवं बिहार के तर्ज पर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करना चाहिए। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो को भी दर किनार कर धार्मिक स्थलो, शैक्षणिक संस्थानों और रिहाईशी इलाकों में दुकाने खोल दी है l वहीं शहर के भीतर भी दुकानें खोल दी है जो कि कोर्ट के आदेश की अव मामनना है। सरकार को आबकारी नीति बनाने का अधिकार है लेकिन लोगों के जीवन एवं जनभावना से खेलने का अधिकार नहीं है। तो आइये हम सब मिलकर ये शपथ लेते हैं कि जब तक राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू नहीं होगा तब तक हम सबका आंदोलन जारी रहेगा।

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