आखिर क्यों और कब तक होगा ये सब ??(सच का आइना )


आखिर क्यों और कब तक होगा ये सब ??(सच का आइना )

Sub heading……..... एक बार फिर भारत देश शर्मसार हुआ....

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गौरतलब है कि साल दर साल बढ़ते इन अपराधों को लेकर अपनी किस्मत पर रोता देश और उसकी राजधानी दिल्‍ली में रविवार की रात एक बस में एक मेडिकल की छात्रा का गैंग रेप हुआ. ये घिनौना कुकर्म करने के बाद में उन जल्लादों ने खून से लथ-पथ छात्रा और उसके दोस्‍त को बेहोशी और नग्‍न अवस्‍था में चलती हुई बस से नीचे फेंक दिया इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया...........
ऐसा नहीं है कि इस तरह के ब्लात्कारिक कांड कभी हुये नही है.हुये हैं पर सरकार और पुलिस प्रशासन की अनदेखी का शिकार होते रहे हैं ये कांड.
पर विगत दिनों से जो आवाजें उठ रही है. उसका श्रेय मीडिया और जनता को जाता है. आखिर कब तक जनता इन अपराधों को अनदेखा करती रहेगी. अब वक्त आ गया है जुर्म को जड़ से उखाड़ फेकने का. आवाम की आवाज जब बुलंद होती है तो सियासी तख्ता पलटते देर नहीं लगती . 
दिल्‍ली में जगह-जगह इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किये जा रहे हैं. पुलिस प्रशासन और सरकार की नाकामी को देखते हुये सवाल पर सवाल उठाये जा रहे हैं. इस हादसे को देखते हुये दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर फिर से गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं. रविवार रात को हुये दिल्‍ली में गैंगरेप का मुद्दा संसद में इस कदर छाया है जैसे कि सरकार अभी निर्णय लेने में देर नहीं करेगी.
लेकिन वही ढाक के तीन पात. इस पूरे मामले की देशभर में निंदा हो रही है. दिल्ली में हुई इस घटना से एक बार फिर राजधानी शर्मसार हो गई है.
वैसे देखा जाये तो पुलिस रात के वक्त आमतौर पर इनोवा
, बुलेरो व स्कॉर्पियों जैसी बड़ी कारों की जांच करती है. पुलिस काले शीशों वाली कार पर विशेष नजर रखती है, लेकिन बदमाशों के हौंसले तो देखो कि बस में वारदात को अंजाम देते हुये कितने निर्भीक और निडर होकर पुलिस की गिरफ्त में होकर भी मुंह उठाकर चल रहे हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि ज्यादा से ज्यादा हम लोगों को आजीवन कारावास होगा. क्योंकि  दिल्ली तो इस तरह की घटनाओं की राजधानी बन चुकी है. दिल्ली महिलाओं के लिए असुरक्षित होती जा रही है. यह घटना बहुत ही खौफनाक है. बड़े ही बेखौफ हो चुके हैं अपराधी.  पुलिस को सख्ती दिखानी चाहिए. 2012 में दिल्ली में 635 रेप केस रजिस्टर किए गए. लेकिन क्या किसी को सजा मिली ? नहीं. क्या हम इस तरह के अपराध को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं ?
चमचमाती हुई सड़कों पर
फर्राटे भरती एक से एक महंगी कारें फ्लाईओवरों का बेहतरीन नमूना, एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल लेवल का टी-3 टर्मिनल, इण्डिया गेट की शान ने दिल्‍ली को वो पहचान दी है जिस पर दिल्ली का हर निवासी गर्व कर सकता है. मगर दिल्‍ली में हुई इस घटना ने ये साबित कर दिया है कि दिल्‍ली की तस्‍वीर इससे कहीं अलग हटकर बेहद घिनौनी है.
पूरी घटनाक्रम पर नजर डालें तो रविवार की रात दिल्‍ली के मुनीरका इलाके में एक युवती अपने ब्‍वॉयफ्रेंड के साथ
 साकेत के एक सिनेमा हॉल से फिल्‍म देखकर द्वारका जाने के लिये एक प्राइवेट बस में सवार हुई. बस में पहले से ही पांच लोग मौजूद थे जिन्‍हें बस स्‍टाफ बताया गया. बस के थोड़ा चलते ही पांचों बदमासों ने युवती के साथ छेड़खानी शुरु कर दी. ब्‍वॉय फ्रेंड ने जब इसका विरोध किया तो बस में सवार एक व्‍यक्ति ने उस पर लोहे की रॉड से हमला कर घायल कर दिया. युवक बेहोश होकर बस के फर्श पर गिर गया और दरिंदे युवती को उठाकर बस के केबिन में ले गये. युवती मदद के लिए बस के शीशे से चीखती चिल्‍लाती रही मगर उस वक्‍त दिल्‍ली पूरी तरह से सो चुकी थी. पांचों दरिंदों ने एक-एक कर के युवती की इज्‍जत को तार-तार कर दिया और फिर महिपालपुर के पास फ्लाई ओवर पर युवती और उसके ब्‍वॉय फ्रेंड को फेंककर फरार हो गये. हमेशा की तरह घटना के बाद पहुंचने वाली दिल्‍ली  पुलिस इस बार भी उसी समय पहुंची और फिर युवती और उसके ब्वॉयफ्रेंड को  दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. लड़की की हालत बेहद  नाजुक है और वह कभी की कोमा में जा चुकी है. लानत है ऐसे समाज पर  जिसने उस मासूम से उसकी खूबसूरत दुनिया छीनने में कोई कसर नही रखी.  जो नारी संसार के जीवन चक्र को बनाये रखती है जिसकी गोद में बच्चा  पलकर पुरुष बनता है वो आज जिन्दा रहने के लिए संघर्ष कर रही है.
सोमवार की सुबह जब इस सनसनीखेज वारदात की जानकारी मीडिया के माध्‍यम से पूरे देश में फैली तो आनन-फानन में
11 प्राइवेट बसों को जब्‍त किया गया. युवती की चीखें जब राज्‍यसभा में गूंजी तो दिल्ली सरकार की समाज कल्याण मंत्री किरण वालिया ने सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की बात कह दी. प्रत्‍येक राजनीतिक दल ने इसकी भर्त्‍सना की.वहीँ सुषमा स्वराज जी ने कहा कि दोषियों को फांसी पर चढ़ा दिया जाना चाहिए, अब तक क्या कर रही है दिल्ली पुलिस और केन्द्र सरकार ? मीरा कुमार... ने भी कहा कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई करे. गिरिजा व्यास.. ने भी कहा दिल्ली में रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं और ये गैंगरेप की यह घटना शर्मनाक है.
मायावती ने भी अपने ब्यान में कहा कि आये दिन मासूम बच्चियां और महिलाये प्रताड़ना का शिकार हो रहीं है. माननीय गृहमंत्री से सख्त कार्रवाई की मांग करती हूँ. इस तरह के मामलों में अपराधी पकड़े तो जाते है पर लोगों को सबक देने की ज़रुरत है.
जया बच्चन ने अपनी बात रखते हुए कहा. कि
समझ नहीं आ रहा कहाँ से शुरू करूँ”. हम जिस देश में रहते है जहाँ महिलाओं को पूजा जाता है. मैं इस घटना से हिल गई हूँ. जया को जब बोलने से रुकने के लिए बोला गया तो उन्होंने कहा की जब तक सदन चलेगा तब तक खड़ी रहूंगी.
जया को जब मौका दिया गया तो उन्होंने भरी हुई आवाज़ में कहा कि मैं अपने आप को असहाय महसूस कर सदन में हूँ पर कुछ कर नहीं सकती”. ये कहते हुये जया सदन में रो पड़ीं.
अब देखिये कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्‍ला इस मुद्दे पर हो रही बात को सुनकर इस तरह मुस्‍करा रहे थे. जैसे कोई फिल्म चल रही हो.. राजीव शुक्ला की इस हरकत को देखकर यही कहा जा सकता है कि जैसे उनकी नजर में यह एक संवेदनशील मुद्दा हो ही ना. राजीव शुक्ला जैसे नेता इतने घृणित कार्य पर मुस्करा रहे थे तो विचार कितने गंदे होंगे. यहाँ पर मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं कि राजीव शुक्ला जैसे लोग देश को क्या देंगे. जिन्हें ये नहीं पता कि नारी की अस्मिता क्या होती है. जिस माँ से पैदा हुये है जिस माँ से बोलना और तहजीब सीखी है वो माँ भी उस पीड़ित बेटी की तरह ही एक नारी है. जिसके प्रति सम्मान में सर उठाना चाहिए उसके दर्द को नकार कर उसका मखौल बनाना राजीव शुक्ला की संवेदनहीनता ही मानी जायेगी. दिल्ली सरकार ये बखूबी जानती है कि उनके मंत्रीमण्डल में कितने ओछे विचारों के लोग हैं.
न्‍यूज चैनल
'इंडिया टीवी' द्वारा दिखाये गये वीडियों में राजीव शुक्‍ला मुस्‍करा रहे थे जबकि अन्‍य लोग इस मुद्दे पर बात कर रहे थे. 
सबसे ज्यादा ध्‍यान देने वाली बात ये है कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर बैठी शीला दीक्षित जैसी तुच्छ विचारों वाली महिला..........{ किसी बेबस और पीड़ित महिला के प्रति अपने विचारों को इतनी ध्रष्टता से कहे कि लड़कियां रात में घर से बहार निकलती ही क्यों हैं अगर निकलेंगी तो दिन दहाड़े ऐसी दुर्घटना होना लाज़मी है } क्या शीला दीक्षित के ये ब्यान उनकी संवेदनहीनता का परिचय नहीं कराते ? देखा जाये तो सरकार और पुलिस प्रशासन खुद ही इतना भ्रष्ट है इसलिए इस तरह के अपराधिक मामले में बलात्कारियों को '' फाँसी '' की सज़ा का कानून इतनी आसानी से नही बनाने वाले ये भारत के ढोंगी नेता /चालबाज सियार जैसी फितरत रखने वाले ये घटिया मक्कार नेता ..........क्योंकि इन दुष्टों को पता है ज्यादातर फांसी होगी नेताओं के लडकों को, राजनैतिक पार्टी के शरणागत नशेडी गुंडों को, पुलिस वालों की बिगड़ी औलादों को और वो व्यक्ति जो अपनी मानसिकता को गन्दी फ़िल्में देखकर दूषित कर चुके हैं. तो पूरी तरह से साफ़ है कि महिलाए स्वयं खुद अपनी रक्षा करें. सही मायने में देखा जाये तो मीडिया की सक्रियता के बाद राजनीतिक बयानबाजी होती है पर पीडि़तों को न्‍याय नहीं मिलता. दिल्‍ली में इस तरह की कई घटनायें हुई हैं. जिनको दिल्‍ली पुलिस अभी तक दबाने में जुटी हुई है. सरकार को चाहिए कि इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए और महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीरता से विचार करे. केन्द्र सरकार को ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि अगर जनता का विश्वास सरकार से उठ गया तो फिर सरकार राज की उलटी गिनती शुरू होते देर ना लगेगी........
 सुनीता दोहरे .....लखनऊ ...


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