अखिलेश जी जरा सोचिये, राज आपका फिर हिंसा क्यों ???(सच का आईना)


अखिलेश जी जरा सोचिये, राज आपका फिर हिंसा क्यों ???(सच का आईना)

Box…….. इन नौ माह के कार्यकाल के दौरान राज्य में मानवता शर्मशार हो रही है. क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. यादवों के बलबूते कानून व्यवस्था बनाये रखना अखिलेश यादव के आगामी भविष्य को खतरे में डाल सकता है ....

समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही दलितों पर अत्याचार के अंकुर क्यों फूट जाते है. उत्तर प्रदेश में इन नौ महीनों में दलितों पर अत्याचार की वजह साफ़ दिखाई दे रही है. तमाम कानूनों और जागरूकता के बावजूद दलित समाज पर अत्याचारों का बदस्तूर जारी रहना भारतीय सामाजिक व्यवस्था की अंतहीन त्रासदी बन चुकी है. अखिलेश सरकार में दलितों पर अत्याचार किसी साजिस वश है. या वोट न देने पर डराने का जरिया मात्र है.  इन नौ माह के कार्यकाल के दौरान राज्य में मानवता शर्मशार हो रही है. क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. यादवों के बलबूते कानून व्यवस्था बनाये रखना ऐसे में अखिलेश यादव क्या कभी दुबारा मुख्यमंत्री बनकर राज कैसे कर पाएंगे.  अखिलेश सरकार के आने के बाद पुलिस में भय है. दबी जुबान में सब विरोध कर रहे है. एक ओर सरकारें दलित समुदाय के उद्धार” के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने का ढोंग करतीं हैं वहीं दूसरी ओर प्रशासन तंत्र दलितों पर होने वाले अत्याचार की ओर आंखें मूंदे रहता है. 10 दिसंबर को हर साल अंर्तराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर      सरकारें भव्य आयोजन करके जिन मानवाधिकारों के सरंक्षण के लिए जुमले गांठे जाते हैं. आखिर वास्तव में मानव के मानवाधिकार किस हद तक सुरक्षित हैं ? इस देश का ज्वलंत सवाल है कि क्या दलित, आदिवासी या वंचित तबके के मानव मानवाधिकारों की परिधि में नहीं आते ?
सरकार ने एक तरफ तो मानवाधिकारों के संरक्षण में जहां मानवाधिकार आयोगों का गठन कर अपने कर्तव्यों से मुक्ति पा ली वहीं दूसरी तरफ मानवाधिकार आयोग ने अपने टोल फ्री नंबर बांटकर स्वयं को सुरक्षित कर लिया. पर एक सत्य तो ये भी है कि आयोगो के अध्यक्षों की नियुक्ति भी सरकार ही करती है.ऐसे में आयोग कोई प्रभावी कदम भी नहीं उठा सकते. देखा जाये तो अनेक मसलों पर तो ये आयोग भी कन्नी काटते नजर आते हैं. इस मौन को खतम करना होगा वरना आए दिन सरेआम मानवाधिकारों का हनन होता रहेगा और हम मानवाधिकारों के संरक्षण का पर्व ही मनाते रहेंगे. सपा राज हो या माया राज दलितों पर अत्याचार होना कोई नई बात नहीं है. आए दिन ऐसी घटनाएँ देखने- सुनने को मिल ही जाती है, नाबालिग दलित बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ या बलात्कार की घटनाएँ भी होती रहती है. आजादी के बाद भी सरकार दलितों को अत्याचारों से निजात नहीं दिला सकी है, जिसका सबसे बड़ा कारण हुकूमत के वो गद्दार नेता हैं जो पुलिस को अपना गुलाम समझते हैं.पुलिस व्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप करके अपनी मनमानी करते हैं.
अच्छा तो हम बात कर रहे थे सपा सरकार में दलितों की दुर्दशा की जो आज भी बदस्तूर जारी है. वर्तमान  समय में प्रदेश के सभी थानों में केवल यादव जाति के थाना-प्रभारियों की नियुक्ति की गई है. इसलिए ये लोग दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के साथ मनमानी कर रहे है. सुयोग्य
, ईमानदार,और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी,कर्मचारी हाशिए पर खड़े है. जहाँ तक दलितों की नयी तस्वीर उभर कर आने का प्रश्न है. मायावती की बहुजन सरकार  के अतासुत होने के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं और उनके वर्तमान नौकरशाहों के ढांचे का ये प्रयास रहता है. कि दलितों को विशेष तौर पर हर सुविधा से वंचित रखा जाये. और सबसे प्रमुख कारण कि वर्तमान सरकार का अपराधियों पर कोई अंकुश नहीं है.
हमारे भारतीय संविधान धर्मनिर्पेक्छ वर्ग विहीन
,जाति विहीन, प्रजातांत्रिक गणराज्य की स्थापना के आधारभूत  सिद्दांतों की हिमायत करता है. किन्तु वर्तमान सरकार इसके विपरीत कार्य कर रही है. जिसके कारण दलितों के प्रति लगातार अत्याचार बढ़ रहे है. कमजोर वर्ग अपने आपको  भयग्रस्त ,असुरक्षित और असहाय  महसूस कर रहा है.
जहाँ तक संवेदनाओं का प्रश्न है चाहें दलितों के प्रति या किसी भी वर्ग के प्रति हो मानवीय दृष्टिकोण  में सभी व्यक्ति सामान है. आज वर्तमान सरकार में कमजोर वर्ग के व्यक्ति ही सर्वाधिक हिंसा और अपराध तथा जुर्म के शिकार हो रहे है. उनके प्रति आम आदमी के मन में संवेदना है और ये संवेदना इसलिए भी जायज है कि वर्तमान सरकार के द्वारा मानवीय मूल्यों का हनन किया जा रहा है. और केवल अपनी जड़ता और जाति कट्टरता के कारण  तमाम सामाजिक मूल्यों और कानूनों को दरकिनार कर कार्य किया जा रहा है.
अखिलेश सरकार को चाहिए कि उच्च जाति वर्ग के लोगो को प्रभावित करने के लिए निष्पक्ष कार्य प्रणाली अपनाई जाये . किसी भी वर्ग के प्रति पक्षपात पूर्ण रवैया न अपनाया जाये.  इस से उच्च वर्ग के लोगों की धारणा निश्चित रूप से समता मूलक समाज के दर्शन में बदलेगी. और जो हीन जाति भावना है. उस से ऊपर उठेगी  उच्च वर्ग भी राष्ट्र के समग्र विकास में सहायक होगा और जाति विद्देस्य समाप्त होगा. प्रदेश में दिन प्रतिदिन दलितों पर बढ़ते हुये अत्याचारों को देखते हुये सरकार से सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि दलितों पर अत्याचार करने वालों से सख्ती से निपटा जाए.

           .सुनीता दोहरे.....लखनऊ ....



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