बड़की भाभी का बलिदान . ✍ (एक कहानी ) "स्वरचित"
बड़की भाभी का बलिदान . ✍ ( एक कहानी ) "स्वरचित" आज रोहित को देखने और उसके परिवार से मिलने लड़की वाले देहरादून के इंद्रलोक होटल में आने वाले थे । रोहित ने फ़ोन पर भइया और बड़की भाभी को तैयारी के लिए बोला था।इंजीनियरिंग करने के बाद रोहित दिल्ली के बड़े कंपनी में एक साल से जॉब कर रहा था । इधर बड़की भाभी और भइया बड़े चिंता में थे क्योंकि भाभी के पास एक अच्छी सी साड़ी और भइया के पास अच्छा से कुर्ता तक न था। सात साल पहले बड़की भाभी छोटे घर से बेरोजगार बड़के भइया से व्याह कर आईं थीं।।मंझले भइया को डॉक्टरी पढ़ाने में पिताजी की छोटी से जमा पूंजी भी ख़त्म हो गयी थी और डॉक्टर बनने के बाद मंझले भइया एक डॉक्टरनी से खुद शादी कर लिए थे । मंझली भाभी ने परिवार से उनका रिश्ता नाता भी तोड़वा दिया था। फिर बड़े भइया किसी तरह परीक्षा पास कर बैंक में क्लर्क हो गए । माँ बाप को गाँव मे रखकर देहरादून में एक कमरे का छोटा सा फ्लैट लेकर छोटे भाई रोहित को पढ़ाने लगे। रोहित को कंप्यूटर इंजीनियर बनने का बड़ा शौक था। ऊपरी आमदनी कुछ थी नहीं। देहरादून जैसे महँगे शहर में रहने छोटे भाई रोहित को क...