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Showing posts from November, 2012

मंत्रिमंडल में फेरबदल कितना सही कितना गलत :---( सच का आईना )

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मंत्रिमंडल में फेरबदल कितना सही कितना गलत :---( सच का आईना ) चर्चा बड़े जोरों पर है कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी विश्व के सम्क्छ युवा भारत की तस्वीर पेश करना चाहते है और अपनी इस अति महत्वाकांक्षी सोच को मूर्ति रूप देने के लिए ही राहुल गाँधी के प्रस्ताव पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में एतिहासिक फेरबदलाव कर चुनाव से पहले अंतिम बड़ा विस्तार किया गया है ! हालांकि इस मंत्रिमंडल में हुये फेरबदल के सन्देश से विकास या युवा शक्ति  सशक्तिकरण का कुछ लेना देना नहीं है बल्कि युवराज राहुल गाँधी को  प्रधानमंत्री बनाने , युवराज का सरकार पर दबदबा दिखाने व युवराज की मनमानियों को पूरा करने तथा युवराज को खुश करने के लिए अवश्य किया गया है ! एक ओर तो कांग्रेसी ये कहते हुये नहीं थकते कि इस बार के मंत्रीमंडल में राहुल गाँधी की छवि दिखाई देती है वही दूसरी तरफ राहुल गांधी को और अधिक अधिकार दिए जायेंगे का राग अलापते रहते हैं ! यकीनन कांग्रेस दुविधा की स्थिती में हैं ! और राहुल गाँधी की स्थिती को लेकर गुमराह है !कांग्रेस पार्टी भ्रमित है कि क्या राहुल गाँधी वास्तव में सरकार से ऊपर है ? और जिस राहुल गाँधी क

राजनैतिक पार्टियों के डंक का शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस :--

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राजनैतिक पार्टियों के डंक का शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस :-- समय के साथ-साथ सियासत का चेहरा कितना बदल गया है ! एक समय था जब सत्ता परिवर्तन के बाद सत्ता में आई पार्टी पूर्व सरकार द्वारा कराये गये जनहित के कार्यों से पूर्व सरकार के नाम की तख्ती उखाड़कर अपने नाम की तख्ती टांगने का उतावलापन दिखाती थी ! सत्तारुल पार्टी का इरादा होता था कि सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ लोकप्रिय कार्यों के नाम से पूर्व की सरकार का नांम भी परिवर्तित हो जाये तथा सत्तारुल पार्टी की अपनी सही ताकत पूर्व सरकार से बेहतर कार्य करने की होती थी परन्तु आज राजनीति देश-प्रदेश के विकास से हटकर स्वयं पार्टी के विकास पर आकार रुक गई है आज जो भी पार्टी सत्ता में आती है वो किसी भी प्रकार से आने वाले समय में अपनी निजी पहचान छोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देती है अपने हर कार्य पर अपनी पार्टी का रंग चढ़ाने का भरसक प्रयास करती है ! जब बात रंगों की चल गई है तो उत्तर-प्रदेश की राजनीति में रंगों को लेकर दो बड़ी पार्टियों में जंग चल रही है जिसकी हालिया शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस हुई है !    पिछले कुछ दिनों से ट्रैफिक पुलिस

गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों ने आम आदमी की रोजी-रोटी पर किया कुठाराघात ......

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गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों ने आम आदमी की रोजी-रोटी पर किया कुठाराघात ......   “ भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने गत् दिनों में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से ये दावा किया था कि रियायती दर , गैर रियायती दर , गैर घरेलू , रियायती और गैर रियायती वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की आगामी त्योहारी सीजन में आपूर्ति के लिए व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं ! ये कितना सच होगा आने वाला समय ही बताएगा ’’ देखा जाये तो केंद्र व राज्य सरकारें भ्रष्टाचार और महंगाई पर अंकुश लगाने में नाकाम होने के साथ-साथ रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी करके आम जनता की उम्मीदों पर पानी फेर रहीं हैं ! सरकार ने खुद ही सत्ता विरोधी दलों को बैठे बिठाए स्वयं को घेरने का एक और अवसर प्रदान कर दिया है ! वहीँ दूसरी तरफ राजनीति से दूर दो वक्त का चूल्हा गरम के लिए रात दिन जी-तोड़ मेहनत करने वाला आम-आदमी भी सरकार के विरुद्ध मुखर होने को मजबूर हो गया है ! सत्ता विरोधियों को तो रसोई गैस के मूल्यों में होने वाले बदलावों के वास्तविक कार्यों से कोई लेना देना नहीं है और न ही ये वास्तव मे
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भारतीय  संस्कृति का  भारतीय परिवेश में खत्म होता वजूद :(सच का आईना ) विश्व में भारतीय संस्कृति अपनी विशिष्ट पहचान के कारण सदैव के लिए आदरणीय एवं वन्दनीय रही है ! विश्व को प्राचीन भारत की लोक कल्याणकारी भाई चारे और समन्वय की भावना ने शान्ति ,  समता और अंहिसा का मार्ग दिखाया ! भारत ने जगतगुरू के नाम से विश्व में ख्याति प्राप्त की है ! भारत के लोगों की अपनी एक अध्यात्मिक सोच रही है ! कुटुम्बकम की भावना ,  जनमानस के लिए प्रेरणा व आदर्श रही है ! इसके प्रमुख कारण यह हैं कि समाज एक सामाजिक सम्बन्धों का जटिल जाल होता है और  स्वयं   मनुष्य  ही इन सम्बन्धों का निर्माता होता है ! मनुष्य ही सामाजिक प्राणी के रूप में समाज के संगठन में व्यवस्था सुचारू रूप से स्थापित करते हुए इसे प्रगति एवं गतिशीलता की दिशा में ले जाने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहा है ! भारतीय संस्कृति क्या है  ? कभी-कभी लोगों के इस तरह के सवाल मेरे मन को विचलित कर देते है कि इस देश में रहने वाले नागरिकों के मन की व्यथा भारतीय  संस्कृति  के प्रति कितनी सजग है ! अमूमन लोग पूछते हैं कि  जैसे----हमारे इतने सारे देवी देवता क्यों है  ?

''जनप्रसून समाचार पत्र ''

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महिला राष्ट्रपति तथा किन्नर अधिकारों की मांग जैसे मुद्दों पर ऐतिहासिक सफलता अर्जित कर ख्याति प्राप्त  ` हवन `  संस्था द्वारा गठित  ` वीरांगना बुन्देलखण्ड रेजीमेंट `  की (केन्द्रीय प्रमुख्य) श्री मती सुनीता दोहरे से  '' जनप्रसून समाचार पत्र  ''  के विशेष संवाददाता के साथ हुई बातचीत के अंश .................. (  झांसी ब्यूरो ) विशेष संवाददाता..... प्रथक बुन्देलखण्ड राज्य निर्माण के आंदोलन के लिए बुन्देलखण्ड में अनेक संगठन संघर्षशील हैं फिर एक नए संगठन के गठन की आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?   सुनीता दोहरे ... . 914  ई० से अस्तित्व में आया बुन्देलखण्ड वीरांगनाओं की गौरव गाथाओं से जाना जाता है इसके बावजूद यहाँ नारी शक्ति हाशिए पर थी अतः नारी शक्ति को वजूद में लाने लिए ही वीरांगना बुन्देखण्ड का गठन किया गया ये महिलाओं का एकमात्र पहला संगठन है जिसकी सारी संस्थागत शक्तियों की स्वामी महिलाए ही होंगी ! विशेष संवाददाता .... रेजीमेंट शब्द किस ओर इशारा करती है ?  सुनीता दोहरे ... .हमारे नेता सुभास चन्द्र बोस द्वारा रानी झांसी रेजीमेंट का गठन किया गया था अतः रेजीमेंट शब्द बहुत ही ऐ

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डी आई) बनाम सरकार ( सच का आईना )

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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ डी आई) बनाम सरकार  ( सच का आईना ) एफडीआई ( प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ) को लेकर पिछले कुछ दिनों से पूरे सरकारी महकमें , राजनीति और आम जनता के बीच हलचल मची हुई है ! मल्टी ब्रांड खुदरा बाजार में एफडीआई और डीजल के मूल्य में बढ़ोतरी करके पशोपेश में फंसी केंद्र सरकार विपक्षी दलों की आलोचनाओं का शिकार बनकर आम आदमी को रिझाने के लिए खाद्य सुरक्षा बिल को ट्रम्प कार्ड की तरह इस्तेमाल करने को तैयार थी ! केंद्रीय कैबिनेट ने मल्टी ब्रांड रिटेल में पिछले २४ नवंबर २०११ को ५१ फीसदी और सिंगल ब्रांड रिटेल में १०० फीसदी एफडीआई की अनुमति देने का फैसला किया था ! सबसे पहले तो ये बता दें कि मल्टी ब्रांड रिटेल किसी किराना दुकान की तरह होता है ! इन्हें विभिन्न प्रकार के ब्रांड के सामान को एक ही छत के नीचे बेचने की इजाजत होती है ! क्रोमा और बिग बाजार मल्टी ब्रांड रिटेल के अत्यंत लोकप्रिय उदाहरण हैं ! केवल एक ही ब्रांड के उत्पाद सिंगल ब्रांड रिटेल स्टोर में बेचे जाते हैं ! भारत में सोनी और रेमंड के आउटलेट में   उनकी खुद की कंपनी के उत्पाद बेचे जाते हैं ! और अपने खुद के ब्रांड क