गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों ने आम आदमी की रोजी-रोटी पर किया कुठाराघात ......
गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों ने आम आदमी की रोजी-रोटी पर किया कुठाराघात ......
“ भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं गैस मंत्रालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने गत् दिनों में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से ये दावा किया था कि रियायती दर, गैर रियायती दर, गैर घरेलू, रियायती और गैर रियायती वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की आगामी त्योहारी सीजन में आपूर्ति के लिए व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं ! ये कितना सच होगा आने वाला समय ही बताएगा ’’
देखा जाये तो केंद्र व राज्य सरकारें भ्रष्टाचार और महंगाई पर अंकुश लगाने में नाकाम होने के साथ-साथ रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी करके आम जनता की उम्मीदों पर पानी फेर रहीं हैं ! सरकार ने खुद ही सत्ता विरोधी दलों को बैठे बिठाए स्वयं को घेरने का एक और अवसर प्रदान कर दिया है ! वहीँ दूसरी तरफ राजनीति से दूर दो वक्त का चूल्हा गरम के लिए रात दिन जी-तोड़ मेहनत करने वाला आम-आदमी भी सरकार के विरुद्ध मुखर होने को मजबूर हो गया है ! सत्ता विरोधियों को तो रसोई गैस के मूल्यों में होने वाले बदलावों के वास्तविक कार्यों से कोई लेना देना नहीं है और न ही ये वास्तव में आम जन की परेशानी को लेकर संवेदनशील हैं ! ये तो महज अपनी राजनीति चमकाने के फिराक में लगे रहते हैं ! अफ़सोस होता है कि जो दल सरकार की बैशाखी बने हैं वही दल रसोई गैस की बढ़ते दामों पर सड़क पर आकर सरकार के विरोध का नाटक कर चक्का जाम ,बंद व तोड़फोड़ कर आम-जन के लिए परेशानियों का सबब बनकर खुद को देश के लिए सबसे उपयुक्त व ईमानदार सिद्द करने की होड़ में लगे रहते हैं ! लेकिन बात अगर आम-जन की , की जाए तो रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने वाकई आम-आदमी की जेब , पेट व दिलों में आग लगा दी है आम-आदमी सत्ता विरोधी दलों के भ्रमात्मक आश्वासनों पर सड़क पर आकार सरकार का जमकर विरोध कर रहा है !
ये
विरोध प्रदर्शन पूरे भारत में देखने को मिले , जिसमें आम आदमी ने
भारी संख्या में भाग लिया देश में अनेक जगह सत्ता विरोधी दलों ने बड़े-बड़े प्रदर्शन
किये परन्तु आम जन का विरोध भले ही देश के लोकतंत्र के लिए हानिकारक न हो लेकिन
मौजूदा सरकार को भारी नुकसान पहुँचाने में समर्थ है ! सरकार जनता को परेशान करने
का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती ! काग्रेस चाहें जितना खुद को किसान व गरीबों की
हितैषी कहे, लेकिन प्रदेश का हर वर्ग कांग्रेस की नीतियों से परेशान है ! सर्दी और त्यौहारों
ने अपनी दस्तक दे दी है ! त्यौहारों के आते ही गैस की खपत बढ़ जाती है ऐसे में
उपभोक्ताओं का परेशान होना लाजिमी हैं अब अगर प्रशासन ने रसोई गैस की आपूर्ति नहीं
बढ़ाई तो इन आने वाले त्योहारों पर गैस के लिए मारामारी मचेगी ! उपभोक्ताओं को सड़क
पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा ! वैसे भी गैस आपूर्ति न होने के विरोध में आए दिन
सड़कों पर जाम लगते हैं, कई बार पथराव तक हुए हैं और गैस एजेंसियों पर उपभोक्ता हंगामा करते हैं
! ऐसी हालात में एजेंसी संचालकों को एजेंसी छोड़ कर भी भागना पड़ता है ! रसोई गैस की
किल्लत के कारण आम जनता सकते में है ! देश की कई गैस एजेंसियों के सप्लाई
सिलेंडरों में गैस कम होने की दुविधा भी अपनी जगह सही है ! इस मामले को लेकर
प्रशासन व फूड सप्लाई विभाग कुंभकरणी नींद सो रहा है ! देखा जाये तो इस मामले में
फूड सप्लाई विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आती है !
सुबह
होते ही हर शहर हर कस्बे की गैस एजेंसियों पर उपभोक्ताओं की लंबी कतारें लग जाती
हैं ! लोग जल्द से जल्द सिलेंडर पाने के लिए महिलाओं का सहारा लेते हैं ! शहरों और
कस्बों के अंतर्गत आने वाली हर गैस एजेंसी पर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भीड़
मिलती है ! इसके बावजूद भी सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पाता है ! जबकि प्रशासनिक
अधिकारी गैस की समस्या को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं ! उपभोक्ताओं ने दीपावली
पर गैस आपूर्ति बढ़ाने की मांग की है ! ये सच है कि यदि मांग पूरी न हुई तो
दीपावली पर गैस के लिए हाहाकार मचेगा ! और हर वर्ग का आदमी प्रशासन के खिलाफ सड़कों
पर उतरने को मजबूर हो जाएगा !
सिलेंडर
के बढ़ते दामों के बोझ से आम आदमी की जेब पर भारी असर पड़ा है ! देखा जाये तो मौजूदा
सरकार ने सर्दी के इस मौसम में परिवार की सबसे अहम वस्तु से आम आदमी की जेब पर
सीधा निशाना साधा है !
पहले लकड़ियों के जलते धुंये से हमारी आँखों में आंसू आ जाते थे महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता था ! परन्तु अब मंहगाई और सिलेंडर के बढ़ते दामों ने हमें बेबसी का मंजर दिखाया हैं ! सरकार विकास और तरक्की की बात करती है और महिलाओं को बराबरी का हक देने की भी बात करती है पर फिर भी महिलायें रसोई गैस की किल्लत और बढ़ते दामों से जूझ रहीं हैं ! डीजल के दाम , रिटेल सेक्टर में ऍफ़ डी आई जेसे मुद्दे पर आम गृहणी को शायद इतना गुस्सा ना हो , जितना वह रसोई गैस के छः सिलेंडर करने पर आज हर गृहणी सरकार को कोस रही हें !
रसोई गैस के लिए बनाई गई नई नीति ने आम आदमी को झझकोर कर रख दिया है ! देखा जाए तो आम आदमी के हितों पर सीधा कुठाराघात है ! सरकार आम आदमी के लिए सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रही है ! और उद्योगपतियों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वह सब कर रही है, जो वह करना चाहती है ! अगर राजनीति जनता के रुख, भाव और विचारों को समझ कर उसके अनुसार कार्य करने की कला है, तो सरकार इसमें पूरी तरह फेल है !
सरकार को सब्सिडी कम करने और समाप्त करने , दोनों के उपाय ढूंढने चाहिए ! जो बजाए गरीबों को मिलने के,जिनके लिए यह वास्तव में है, अमीरों को मिल जाता है ! दरअसल समस्या संप्रग सरकार का तरीका है,जिसके तहत सरकार समर्थित पूंजीवाद को अपना रही है.
हमारी सरकार एक ऐसी अर्थनीति की निर्माता बन चुकी हैं, जो एकदम ही अमीर कॉर्पोरेट सेक्टर को जल्दी से जल्दी ऊँचाइयों पर पहुंचाने की गरज से बनाई गई है ! इस अर्थनीति के चलते आम आदमी की डगर दुश्वार हो चली है ! पिछले कुछ वर्षों से जारी सिलेंडर के बढ़ते दामों ने पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं ! अमीर आदमी को यकीनन इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता, लेकिन एक गरीब इंसान की हालत कितनी बदतर हो चली है, इसका जरा भी अंदाजा प्रशासन को संभवतः नहीं है ! अगर प्रशासन जनता की इस मजबूरी को समझता तो इतना बेरहम रुख हुकूमत की ओर से अख्तियार नहीं किया जाता !
हमारी सरकार पता नहीं क्यों कभी भी आम-आदमी की बेबसी के बारे में नहीं सोचती ! सरकार कभी भी किसी भी समय कोई भी फैसला लेते हुये अपना फरमान जारी कर देती है जिससे आम-आदमी खुद को हर तरफ से बेबस पाता है ! मौजूदा सरकार ने गैस सिलेंडर को लेकर ऐसे कई आदेश जारी किये जो बहुत ही कठोरतम निर्णयों में देखे जा सकते हैं ! सबसे पहले सरकार ने कहा कि एक परिवार में दो कनेक्शन नहीं होने चाहिए , जनता ने मान लिया ! कुछ समय बाद फिर सितंबर माह में दूसरा आदेश आया कि सरकारी सहायता प्राप्त सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति प्रति परिवार छह सिलेंडर पर सीमित कर दी है ! फिर तेल कंपनियों ने कहा कि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर का दाम हर महीने की पहली तारीख को अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम की घटबढ़ के अनुरुप तय किया जायेगा !
सरकार का छः सिलेंडर का फरमान महगाई की मार झेल रही गृहणी के लिए कटे पर नमक छिड़कने जैसा है ! सरकार को देश की इकोनोमी के साथ-साथ आम आदमी के घर की इकोनोमी व क्रय शक्ति के बारे में भी सोचना चाहिए ! कहीं ऐसा न हो कि बढती महंगाई में आम-आदमी की इकोनोमी ही ढह जाए जिसके लिए देश की इकोनोमी बनाई जाती है ! वही जनता आज सिर्फ साल में छह सिलेंडर के लिए चिन्हित की गई है ! एक तो वैसे भी घर में सप्लाई होने वाले सिलेंडर में एक से दो किलो गैस कम आती हें और ऊपर से बढ़ती कीमतों का बोझ रीढ़ की हड्डी तोड़ कर रख देता है ! इस बेहद खतरनाक साजिश में सरकार की भी अमीरों के साथ पूरी तरह मिली-जुली सरकार हैं ! देखा जाये तो वास्तव में सरकार ने तेल कंपनियों की ताकतों को इतना प्रश्रय और समर्थन प्रदान कर दिया है कि घरेलू गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों से परिवारों का बजट नियंत्रण से बाहर होकर बेकाबू हो चुका है !
ये सरकार के बहुत ही कठोर निर्णय हैं जो एक साधारण और मध्यमवर्गीय परिवारों को आँसू देने के लिए काफी हैं ! रोजमर्रा की जिन्दगी में जब इनका पालन होगा, तब क्या-क्या मुश्किलें आएंगी, इन मुश्किलों से सरकार को क्या फर्क पड़ता है ! बहरहाल, सरकार ने अपनी मनमानी कर ली ! लेकिन एक बार भी वह बातें स्पष्ट नहीं की, जिसे लेकर जनता संकट में होकर कई शंकाओं से घिरी हैं ! अगर मौजूदा सरकार यह चाहती है कि हर घर में एक ही कनेक्शन हो तो क्या सरकार और गैस एजेंसियां यह सुनिश्चित करने की स्थिति में हैं कि वे आम –आदमी की जरुरत के अनुसार समय पर गैस सिलेंडर मुहैया करवाएंगी !
सरकार हमारी प्राथमिक जरूरतों के सामान की पूर्ती करने में फेल है ! और सिलेंडर की चोर-बाजारी चरम पर है ! जहां आम-आदमी गैस सिलेंडर का विकल्प ढूंढने में व्यस्त है वहीं इसकी आड़ में मोटी काली कमाई की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है ! इसपर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थिति अनियंत्रित हो सकती है ! यह एक गंभीर संकेत है ! रसोई गैस की काला-बाजारी पहले भी होती रही है ! लेकिन सरकार ने कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! जाहिर है इसका खामियाजा घरेलू उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है ! सरकार और लोकल अधिकारियों को हिस्सा मिलने के कारण `कार्यवाही होगी` की बात पर आकर सारी कार्यवाही और शिकायतें दम तोड़ देती हैं !
सिलेंडर की बढ़ी कीमतों का सबसे ज्यादा असर मध्यम-वर्गीय परिवारों पर पड़ा है ! उनके कोटे का सिलेंडर काला-बाजार में बिकने से किल्लत होना भी लाजिमी है !
सरकार के सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर तय करने के बाद आम-आदमी के लिए मुसीबतें और बढ़ गई है ! कहने को हम आजाद हैं और इस आजाद देश में हर परिवार को 21 दिनों में केवल एक ही सिलेंडर मिल पाता है ! लेकिन नौकरशाहों और नेताओं के लिए सिलेंडरों की कोई सीमा नहीं है ! नौकरशाहों और नेताओं को गैस कंपनियां रोज एक-एक सब्सिडी वाले सिलेंडर बांट रही हैं !………………….
मेरे इस सर्वेक्षण के दौरान कुछ अति विशिष्ठ लोगों के विचार सामने खुलकर आये जो इस प्रकार हैं ......
(१)लल्ला सिंह कठेरिया ....वरिष्ठ नेता समाजवादी पार्टी (उत्तर-प्रदेश)
पहले लकड़ियों के जलते धुंये से हमारी आँखों में आंसू आ जाते थे महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता था ! परन्तु अब मंहगाई और सिलेंडर के बढ़ते दामों ने हमें बेबसी का मंजर दिखाया हैं ! सरकार विकास और तरक्की की बात करती है और महिलाओं को बराबरी का हक देने की भी बात करती है पर फिर भी महिलायें रसोई गैस की किल्लत और बढ़ते दामों से जूझ रहीं हैं ! डीजल के दाम , रिटेल सेक्टर में ऍफ़ डी आई जेसे मुद्दे पर आम गृहणी को शायद इतना गुस्सा ना हो , जितना वह रसोई गैस के छः सिलेंडर करने पर आज हर गृहणी सरकार को कोस रही हें !
रसोई गैस के लिए बनाई गई नई नीति ने आम आदमी को झझकोर कर रख दिया है ! देखा जाए तो आम आदमी के हितों पर सीधा कुठाराघात है ! सरकार आम आदमी के लिए सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रही है ! और उद्योगपतियों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए वह सब कर रही है, जो वह करना चाहती है ! अगर राजनीति जनता के रुख, भाव और विचारों को समझ कर उसके अनुसार कार्य करने की कला है, तो सरकार इसमें पूरी तरह फेल है !
सरकार को सब्सिडी कम करने और समाप्त करने , दोनों के उपाय ढूंढने चाहिए ! जो बजाए गरीबों को मिलने के,जिनके लिए यह वास्तव में है, अमीरों को मिल जाता है ! दरअसल समस्या संप्रग सरकार का तरीका है,जिसके तहत सरकार समर्थित पूंजीवाद को अपना रही है.
हमारी सरकार एक ऐसी अर्थनीति की निर्माता बन चुकी हैं, जो एकदम ही अमीर कॉर्पोरेट सेक्टर को जल्दी से जल्दी ऊँचाइयों पर पहुंचाने की गरज से बनाई गई है ! इस अर्थनीति के चलते आम आदमी की डगर दुश्वार हो चली है ! पिछले कुछ वर्षों से जारी सिलेंडर के बढ़ते दामों ने पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं ! अमीर आदमी को यकीनन इससे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता, लेकिन एक गरीब इंसान की हालत कितनी बदतर हो चली है, इसका जरा भी अंदाजा प्रशासन को संभवतः नहीं है ! अगर प्रशासन जनता की इस मजबूरी को समझता तो इतना बेरहम रुख हुकूमत की ओर से अख्तियार नहीं किया जाता !
हमारी सरकार पता नहीं क्यों कभी भी आम-आदमी की बेबसी के बारे में नहीं सोचती ! सरकार कभी भी किसी भी समय कोई भी फैसला लेते हुये अपना फरमान जारी कर देती है जिससे आम-आदमी खुद को हर तरफ से बेबस पाता है ! मौजूदा सरकार ने गैस सिलेंडर को लेकर ऐसे कई आदेश जारी किये जो बहुत ही कठोरतम निर्णयों में देखे जा सकते हैं ! सबसे पहले सरकार ने कहा कि एक परिवार में दो कनेक्शन नहीं होने चाहिए , जनता ने मान लिया ! कुछ समय बाद फिर सितंबर माह में दूसरा आदेश आया कि सरकारी सहायता प्राप्त सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति प्रति परिवार छह सिलेंडर पर सीमित कर दी है ! फिर तेल कंपनियों ने कहा कि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर का दाम हर महीने की पहली तारीख को अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम की घटबढ़ के अनुरुप तय किया जायेगा !
सरकार का छः सिलेंडर का फरमान महगाई की मार झेल रही गृहणी के लिए कटे पर नमक छिड़कने जैसा है ! सरकार को देश की इकोनोमी के साथ-साथ आम आदमी के घर की इकोनोमी व क्रय शक्ति के बारे में भी सोचना चाहिए ! कहीं ऐसा न हो कि बढती महंगाई में आम-आदमी की इकोनोमी ही ढह जाए जिसके लिए देश की इकोनोमी बनाई जाती है ! वही जनता आज सिर्फ साल में छह सिलेंडर के लिए चिन्हित की गई है ! एक तो वैसे भी घर में सप्लाई होने वाले सिलेंडर में एक से दो किलो गैस कम आती हें और ऊपर से बढ़ती कीमतों का बोझ रीढ़ की हड्डी तोड़ कर रख देता है ! इस बेहद खतरनाक साजिश में सरकार की भी अमीरों के साथ पूरी तरह मिली-जुली सरकार हैं ! देखा जाये तो वास्तव में सरकार ने तेल कंपनियों की ताकतों को इतना प्रश्रय और समर्थन प्रदान कर दिया है कि घरेलू गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों से परिवारों का बजट नियंत्रण से बाहर होकर बेकाबू हो चुका है !
ये सरकार के बहुत ही कठोर निर्णय हैं जो एक साधारण और मध्यमवर्गीय परिवारों को आँसू देने के लिए काफी हैं ! रोजमर्रा की जिन्दगी में जब इनका पालन होगा, तब क्या-क्या मुश्किलें आएंगी, इन मुश्किलों से सरकार को क्या फर्क पड़ता है ! बहरहाल, सरकार ने अपनी मनमानी कर ली ! लेकिन एक बार भी वह बातें स्पष्ट नहीं की, जिसे लेकर जनता संकट में होकर कई शंकाओं से घिरी हैं ! अगर मौजूदा सरकार यह चाहती है कि हर घर में एक ही कनेक्शन हो तो क्या सरकार और गैस एजेंसियां यह सुनिश्चित करने की स्थिति में हैं कि वे आम –आदमी की जरुरत के अनुसार समय पर गैस सिलेंडर मुहैया करवाएंगी !
सरकार हमारी प्राथमिक जरूरतों के सामान की पूर्ती करने में फेल है ! और सिलेंडर की चोर-बाजारी चरम पर है ! जहां आम-आदमी गैस सिलेंडर का विकल्प ढूंढने में व्यस्त है वहीं इसकी आड़ में मोटी काली कमाई की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है ! इसपर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो स्थिति अनियंत्रित हो सकती है ! यह एक गंभीर संकेत है ! रसोई गैस की काला-बाजारी पहले भी होती रही है ! लेकिन सरकार ने कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया ! जाहिर है इसका खामियाजा घरेलू उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है ! सरकार और लोकल अधिकारियों को हिस्सा मिलने के कारण `कार्यवाही होगी` की बात पर आकर सारी कार्यवाही और शिकायतें दम तोड़ देती हैं !
सिलेंडर की बढ़ी कीमतों का सबसे ज्यादा असर मध्यम-वर्गीय परिवारों पर पड़ा है ! उनके कोटे का सिलेंडर काला-बाजार में बिकने से किल्लत होना भी लाजिमी है !
सरकार के सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर तय करने के बाद आम-आदमी के लिए मुसीबतें और बढ़ गई है ! कहने को हम आजाद हैं और इस आजाद देश में हर परिवार को 21 दिनों में केवल एक ही सिलेंडर मिल पाता है ! लेकिन नौकरशाहों और नेताओं के लिए सिलेंडरों की कोई सीमा नहीं है ! नौकरशाहों और नेताओं को गैस कंपनियां रोज एक-एक सब्सिडी वाले सिलेंडर बांट रही हैं !………………….
मेरे इस सर्वेक्षण के दौरान कुछ अति विशिष्ठ लोगों के विचार सामने खुलकर आये जो इस प्रकार हैं ......
(१)लल्ला सिंह कठेरिया ....वरिष्ठ नेता समाजवादी पार्टी (उत्तर-प्रदेश)
कांग्रेस सरकार सत्ता के मद में पूरी तरह चूर है प्रतिदिन खुलने वाले घोटालों , सरकार का अड़ियल रुख व मंहगाई ने देश में समय से पूर्व ही चुनाव के हालात पैदाकर दिए हैं ! कांग्रेस पार्टी को इस बात का भली-भांति आंकलन हो चुका है कि 2014 के चुनाव में किसान व मजदूरों के मसीहा माननीय मुलायम सिंह यादव जी के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी ! पूरी कांग्रेस पार्टी और मंत्रिमंडल में सम्मिलित सहयोगी दल खुलेआम लूट-पाट करने पर आमादा हैं ! चंदे के लालच में अनुचित मंहगाई बढ़ाकर बड़े-बड़े औधोगिक घराने को अवैध लाभ पंहुचाने का काम किया जा रहा है ,लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर निश्चित ही इस बेलगाम रसोई गैस की कीमतों पर अंकुश लगाने का काम किया जायेगा !
(२)अनिल
मैसी...इन्सपैक्टर....पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन ( पी.सी .आर.ए )
बेसक रसोई गैस के दामों में बेइंतहा इजाफा हुआ है लेकिन हम चाहें तो अपनी सूझ-बूझ व समझदारी से कॉफी हद तक इस बड़ी कीमत को अपने बजट के अनुरूप ला सकते हैं भारत सरकार द्वारा पी.सी .आर.ए का निर्माण इसीलिए ही किया गया है कि हम सामान्य उपभोक्ता को ईंधन का उचित व किफायती ढंग से स्तेमाल का तरीका बताकर बेबजह व्यय हो रहे ईंधन का दुरूपयोग रोककर अपनी जेब पर पड़ रहे बोझ को कुछ कम कर सकें ! आज भी हमारे देश में ईंधन का एक बड़ा हिस्सा अज्ञान व लापरवाही की भेंट चढ़ जाता है ! इसका सीधा असर ईंधन की खपत पर पढ़कर ईंधन के दामों को प्रभावित करता है ! ईंधन के व्यवहारिक उपभोग के लिए आप हमारी बेबसाईट www.pcra.org को लॉगऑन करके अधिक व अतिमहत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं.
(३)-मंगल
सिंह तिरंगा ...महासचिव हवन स्वैच्छिक संस्था ( रजि.)
बढ़ते रसोई गैस के दामों ने हमारे देश की प्राचीन सांझा-चूल्हा संस्कृति की रीढ़ की हड्डी तोड़ कर रख दी है ! गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों में तो दो वक्त का चूल्हा जलाना भारी है तो फिर ऐसी आसमान चूमती रसोई गैस के चलते सांझा चूल्हा की बात सोचना लगभग असम्भव है ! सरकार भारतीय संस्कृति को तहस-नहस करने पर आमादा है तथा सरकार आम-आदमी की मूल-भूत आवश्यकताओं की पूर्ती करने में पूरी तरह से असफल हो चुकी है !....
अब भले ही ये दिग्गज सच्चाई ब्यान कर दें पर नुकसान तो आम- जन का हो रहा है ! रसोई गैस की बढ़ती कीमतें , ब्लैक मार्केटिंग व अनुउपलब्धता की स्थिती में लगता है कि जैसे हम वापस आदिकाल में लौट रहे हैं जहाँ पर हम या तो कच्चा और अधपका खाना हमें खाना पड़ेगा या फिर पर्यावरण पर कुल्हाड़ी चलाकर देश की अमूल वन-सम्पदा का दोहन करना पड़ेगा ! हमारे देश में विपक्ष का टकराव और खस्ताहाल सियासी हालात ने गरीब आदमी की कमरतोड़ कर रख दी है ! सिलेंडर के बढ़ते दामों के प्रश्न पर जनमानस के रोष की अभिव्यक्ति को अत्यंत असहज कर दिया है, अपनी माली हालत को लेकर गरीब आदमी के अंतस्थल में जबरदस्त ज्वालामुखी धधक रहा है ! जो कभी भी फूट सकता है ! अमीर तबके का वर्ग और अधिक अमीर हो जाने की अंतहीन लालसा में आम आदमी को बुरी तरह निचोड़ रहा है ! इस आजाद देश के अमीरों की बढ़ती अमीरी ने अद्भुत तेजी के साथ कुलांचें भरीं ! मंत्रियों और नौकरशाहों के वेतन में जबरदस्त वृद्धि हो गई ! दूसरी ओर साधारण और मध्यमवर्गीय परिवारों में बेबसी का आलम है ! आम आदमी की रोटी-दाल की जुगाड़ भी एक सपने के तहत सरकार, तेल कंपनियों और गैस एजेंसियों के मालिकों ने दूभर कर दी है !
जब हम रसोई गैस के बढ़ते दामों पर नजर डालते हैं ! तो एक बात सपष्ट नजर आती है कि हमारी सरकार पश्चिमी देशों के दवाब में पूरी तरह से जकड़ी हुई है ! रसोई गैस के बढ़ते दामों ने हमारी साँझा-चूल्हा संस्कृति को जड़ से उखाड़ फेंका है ! दो परिवारों का भरण-पोषण भारी है ! ऐसे में साँझा चूल्हा की परिपाटी को कायम रखने की हिम्मत किसी भी आम व्यक्ति की ताकत से बाहर है ! अगर ग्रामीण परिवेश की बात करें तो स्तिथी और भी भयानक है ! रसोई गैस के बढ़ते दामों ने पुरुषों को संवेदनहीन बना दिया है ! पति सिलेंडर लाने में आनाकानी करने लगे हैं ! और वहीँ एक ओर सिलेंडर की अनुउपलब्धता पति-पत्नी में कलह का कारण बनती जा रही है ! और वहीँ दूसरी ओर सिलेंडर के बढ़ते दामों से लकड़ी का उपयोग ज्यादा मात्रा में होगा ! जो पर्यावरण के लिए बेहद विनाशकारी है क्योंकि लोग ईंधन के रूप में जंगली पेड़ों का जम कर दोहन करेंगें !
सबसे पहले तो सरकार को चाहिए था कि व्यावसायिक दुरूपयोग, एजेंसियों से सिलेंडर की कालाबाजारी और कारों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जाती, समय रहते अवैध कारोबारियों पर प्रशासन नकेल कसती, ताकि गैस सिलेंडर के अवैध कारोबार पर अंकुश लगता और उपभोक्ताओं को गैस की किल्लत न होती ! फिर उसके बाद सख्ती शुरू करते , लेकिन सरकार ने अपनी कमियों को छुपाते हुये सीधे जनता को परेशानियों के बबंडर में धकेल दिया ! सब्सिडी के नाम पर ये सरकार अपनी या अपने महकमे की नाकामी का खामियाजा जनता के सर फोड़ रही है ! मेरा ये मानना है कि रसोई गैस की कीमतों में नीति निर्धारण से पहले सरकार को पुन विचार करना चाहिए था क्योंकि सरकार की नई नीति से कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा ! सरकार को इस फैसले पर पुर्नविचार करना चाहिए तथा सिलेंडर की संख्या वर्ष भर में कम से कम बारह करनी चाहिए ! जिससे आम आदमी को लाभ मिलेगा ! देश में सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा कम होगा व सरकार की छवि धूमिल होने से बचेगी ! सरकार को इस मामले में गंभीरता से सोचना चाहिए, क्योंकि मामला आम-आदमी की दो वक्त की रोटी से जुड़ा हुआ है ! जिन्हें खाने के नाम पर सिर्फ दाल-रोटी नसीब होती है ! वो गरीब जनता इतनी मंहगाई में अपने परिवारों का भरण-पोषण कैसे करे !……………
सुनीता दोहरे ....लखनऊ
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