राजनैतिक पार्टियों के डंक का शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस :--

राजनैतिक पार्टियों के डंक का शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस :--समय के साथ-साथ सियासत का चेहरा कितना बदल गया है ! एक समय था जब सत्ता परिवर्तन के बाद सत्ता में आई पार्टी पूर्व सरकार द्वारा कराये गये जनहित के कार्यों से पूर्व सरकार के नाम की तख्ती उखाड़कर अपने नाम की तख्ती टांगने का उतावलापन दिखाती थी ! सत्तारुल पार्टी का इरादा होता था कि सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ लोकप्रिय कार्यों के नाम से पूर्व की सरकार का नांम भी परिवर्तित हो जाये तथा सत्तारुल पार्टी की अपनी सही ताकत पूर्व सरकार से बेहतर कार्य करने की होती थी परन्तु आज राजनीति देश-प्रदेश के विकास से हटकर स्वयं पार्टी के विकास पर आकार रुक गई है आज जो भी पार्टी सत्ता में आती है वो किसी भी प्रकार से आने वाले समय में अपनी निजी पहचान छोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा देती है अपने हर कार्य पर अपनी पार्टी का रंग चढ़ाने का भरसक प्रयास करती है ! जब बात रंगों की चल गई है तो उत्तर-प्रदेश की राजनीति में रंगों को लेकर दो बड़ी पार्टियों में जंग चल रही है जिसकी हालिया शिकार उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस हुई है !  
पिछले कुछ दिनों से ट्रैफिक पुलिस बदली-बदली नजर आ रही है ! ट्रैफिक पुलिस के जिस्म से नीला रंग गायब हो गया है ! उसकी जगह ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपने पारंपरिक ड्रेस खाकी वर्दी में नजर आ रहे हैं ! इनकी शर्ट सफेद और पूरा ड्रेस सिविल पुलिस जैसा है !
उत्‍तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती ने बसपा के नीले रंग में राज्‍य के कई शहरों के साथ-साथ ट्रैफिक पुलिस को भी नीले रंग में रंग दिया था !
सन 
2007 में मायावती ने सत्ता संभालते ही उत्तर-प्रदेश की ट्रैफिक पुलिस की ड्रेस का रंग बदल कर नीली पैंट,नीली बेल्टनीली कैपनीली डोरी और काले जूते कर दिये थे ! दो पार्टियों के बीच हुयी सियासी हुकूमत ने जब फिर अंगडाई ली और सियासी तख्ता पलटा तो अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही इस वर्दी को पुराने रंग में लाने की घोषणा कर दी ! जिसके तहत अब नीले रंग की जगह खाकी पैंट,खाकी टोपीखाकी डोरीखाकी बेल्ट और लाल जूता  ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को पहनना होगा ! कांस्टेबिल और ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर को एक जुलाई से यह ड्रेस पहनने का निर्देश दिया गया था !
सही मायने में देखा जाये तो दलों के मुखियों की आँखों में चढ़े राजनैतिक रंग ने उनके राष्ट्रभक्ति के रंग को रंगहीन कर दिया है ! इनका रंगों से व्यक्तिगत मन-मुटाव प्रदेश को किस रंग में रंग रहा है और इससे भ्रष्टाचार का रंग कितना गहरा होता जा रहा है इससे इन राजनैतिक दलों को कोई सरोकार नहीं है ! जब हमने एक पुलिस अधिकारी से इस रंगहीन फैसले से ट्रैफिक पुलिस कर्मी के बजट पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय में प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उसने नाम न छापने की शर्त रखते हुये बताया कि पुलिस कर्मियों को प्रतिवर्ष लगभग
1800 रुपये वर्दी भत्ता मिलता है ! अब चाहें उतने रुपयों में ड्रेस सिल कर तैयार हो पाए या ना हो पाए ! नौकरी तो आखिर करनी ही है और जहां  तक बात पुरानी ड्रेस की है तो उन्हें प्रैस करके रख देते हैं क्योंकि न तो मतदाता का भरोसा है और न ही सरकार का !
उत्तर-प्रदेश की सरकार के आदेश का असर यह हुआ कि दो हजार रुपए की वर्दी के चक्कर में पुलिस कर्मियों का बजट बिगड़ गया ! सरकार के इस तरह के बचकाने फैसलों से आम आदमी भी कहने लगा है कि सरकार अपनी हुकूमत के दरमियाँ ऐसे फैसलों के चलते आम आदमी की जरूरतों और बिजली
पानी व सड़कों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है !
हमने जब सीधे ट्रैफिक पुलिस कर्मियों से इस रंग बदलती ट्रैफिक पुलिस की वर्दी और उससे उनके दिल,दिमाग और जेब पर होने वाले प्रभाव पर बात करनी चाही तो अधिकांश कर्मियों ने हमारे सवाल पर चौंक कर इधर-उधर देखा ! फिर अपनी डयूटी पूरी करने में व्यस्त हो गये बड़े प्रयास से कुछ ट्रैफिक पुलिस कर्मियों ने कुछ कहने की हिम्मत जुटाई और बोले कि जिसकी वर्दी पर सरकार का इतना रंग चढ़ा हो उसकी कार्य प्रणाली पर सरकार का कितना हस्तक्षेप होगा उसका सहज ही आप अंदाजा लगा सकते हैं ! आज के माहौल में ट्रकों से भी पैसा वसूलना उतना आसान नहीं रह गया है जहाँ एक ओर तो ट्रक मालिक सीधे सत्ता-पक्ष से जुड़े रहते हैं वहीँ दूसरी ओर वसूली के रुपयों में पुलिस अधिकारियों का भी हिस्सा होता है और जहाँ तक बात सरकारी भत्ते की है तो उससे वर्दी धोने का साबुन खरीदना भी मुश्किल होता है ! ऐसे में बार-बार नई वर्दी सिलवाना तो और भी मानसिक आघात पंहुचाता है बेरोजगारी के दौर में नई नौकरी मिलना तो बहुत मुश्किल है इसलिए तसल्ली रहती है कि चलो दो  वक्त का चूल्हा तो जल रहा है भले ही दिल जल रहा हो !
सरकार के आदेश के बाद पूरे प्रदेश के करीब चार हजार ट्रैफिक पुलिस कर्मियों पर ड्रेस का अनावश्यक खर्च बढ़ गया है ! सरकार को नीले रंग में बसपा का रंग नजर आता था ! तो मौजूदा सरकार ने अपनी मनमानी कर ली ! यदि अब इसके बाद आने वाली किसी सरकार को इसमें संघ का रंग नजर आया तो एक बार फिर इसका रंग बदल दिया जाएगा ! आजकल राजनैतिक दल जिस प्रकार से असंवैधानिक रूप से जांच एवं पुलिस विभाग का बेजा स्तेमाल करके अपने विरोधियों को परेशान व अपनी कार्यगुजारी पर विरोध व्यक्त करने से रोकने के लिए कर रहे हैं इसने यकीनन एक घिनौनी राजनीति को जन्म दिया है ! 
सत्ता पक्ष अपनी हनक दिखने के लिए पुलिस जैसे अति महत्वपूर्ण विभाग के कर्मियों की पोशाक भी अपने झंडे के रंग में रंगने से नहीं चूक रहे हैं ! तब फिर इस विभाग का सत्ता पक्ष द्वारा कैसा दुरुपयोग किया जा रहा होगा ये बताने की जरुरत नहीं है !
राजनेताओं को समझना चाहिए कि यहाँ पर कुछ भी स्थाई नहीं है सरकारें बदलती रहतीं हैं और जहाँ एक ओर इन विभागों के माध्यम से एक दूसरे के कार्य कर्ताओं का शोषण बड़ता जा रहा है ! वहीँ ये विभाग बेलगाम होकर आम जनता पर मनमाना क़ानून चलाने लगे हैं ! आग लगाने वालों को सोचना होगा कि जब इस आग की लपटें फैलेंगी तो यकीनन उनके घरों को भी झुलसा देंगी ! देखा जाये तो सरकार को इस बात से जरा भी फर्क नहीं पड़ता है ! 
रंगों की लड़ाई से कितनों के ईमान बेरंग होते जा रहे हैं ! चोर-बाजारी, भ्रष्टाचार व लूटमार दिन दुनी रात चौगुनी गति से बढ़ रहे हैं ! और सरकार है कि रंगों की होली खेलने में मशगूल है ! 
          सुनीता दोहरे ....लखनऊ ... 

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