“सपा” सुप्रीमों भेंट करेंगे, बेटे को एक हसीं तोहफा (सच का आइना).


     “सपा” सुप्रीमों भेंट करेंगे, बेटे को एक हसीं तोहफा (सच का आइना)....

बॉक्स...... हालातों को देखते हुए सपा सुप्रीमों ने उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से “दिल्ली पर कब्जे” की मुहिम शुरू कर दी थी. अब सपा सुप्रीमों को उस दिन का इन्तजार है जब “पंजे” को अपनी गिरफ्त में लेते हुए वो उत्तर-प्रदेश के युवराज को एक हशीन तोहफे के रूप में दिल्ली भेंट करेंगे.......


लखनऊ {लोकजंग-ब्यूरो} ..........

बीजेपी-कांग्रेस की नाजुक होती हालत...
देखा जाये तो अभी हाल ही में हुई “सपा” की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में “सपा”
सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार के मंत्रियों की और सपा कार्यकर्ताओं व नेताओं की क्लास लेते हुए उन्हें अच्छे आचरण की नसीहत दे डाली.
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर-प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्तारूढ़ होने के बाद
से ही
“सपा” राष्ट्रीय राजनीति में अपनी केंद्रीय भूमिका पाने के लिए “अभी नहीं तो कभी
नहीं”
की मुद्रा में मैदान में आ चुकी है.  और अब  “सपा” सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को जब तक मंजिल नहीं मिल जाती तब तक इस मुद्रा को बनाए रखने के लिए अपने युवराज अखिलेश की सरकार को भी बख्शने को तैयार नहीं दिखते. सपा सुप्रीमो २०१४ के लोकसभा चुनाव में पार्टी के उत्तम रिजल्ट पाने की बेचैनी के साथ-साथ “यूपी”  में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की फिराक में हैं.
देखा जाये तो कांग्रेस का मजबूत विकल्प होने का दम भरने वाली “भाजपा” के वरिष्ठ नेता इस बात को स्वीकारते हैं कि देश की राजनीति के जो हालात हैं, उसे देखते हुए लोकसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों का पलड़ा भारी रहेगा.   और वहीँ  राजनीतिक प्रेक्षक भी ये व्यक्त करते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद यदि समीकरण १९९६  जैसे बने तो “सपा” सुप्रीमो मुलायम सिंह की भूमिका बहुत ही अहम और एक छाप छोड़ने वाली होगी क्योंकि उत्तर-प्रदेश के चुनावी आंकड़े “सपा” के पक्ष में दिखाई देते हैं.
अगर हम चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो लोकसभा चुनावों में
“सपा” का अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन २००४  में उभर कर सामने आया था.   और उस समय केंद्र में “भाजपा”  नेता अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में “एनडीए”  की सरकार थी.  लेकिन फिर भी “सपा” ने उत्तर-प्रदेश में भाजपा को एक झटके के साथ उनके चेहरे की चमक उतारकर रख दी थी और लोकसभा की ८० सीटों  में से  ३५ सीटें जीत कर एक नया कीर्तिमान हासिल करते हुए कांग्रेस के साथ भाजपा को भी हाशिए पर धकेलते हुये अपना परचम फहराया था. जो काबिले तारीफ था. और देखा जाये तो पिछले साल हुए विधानसभा 
चुनाव
 में ४०३ सीटों में से २२४ सीटें जीतने में कामयाब रही सपा  को २९.१५ प्रतिशत 
वोट
 मिले थे. चुनावी गणित्यज्ञ ये कहते है कि अगर “सपा” उस जनाधार को ही देखे तो भी  २०१४ के लोकसभा चुनाव में उसे उत्तर-प्रदेश में ही ४० से ५०  सीटें मिल जायेंगी
“सपा” प्रवक्ता के अनुसार लोकसभा चुनाव में “सपा” के प्रति वोटों में अत्यधिक बढ़ोतरी होगी.
पिछले कुछ माह में सपा के कार्य पर नजर डाली जाये तो संसद में सपा सुप्रीमों मुलायम ने जिस तरह वामपंथी दलों को साथ लेकर भाजपा को कटघरे में खड़ा करते हुए 'कोलगेट' की जांच कराने की मांग की थी , उसे देखते हुए ये  साफ हो गया था कि उनकी मंशा क्या है. उनका तीसरे मोर्चे के गठन की बात पर सहमति न जताना और उत्तर-प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतना ही एकमात्र लक्ष्य है . और अगर वो इसमें कामयाब हो जाते हैं तो दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी ताकत होगी. फिर क्या है वो दूसरे अन्य दलों की मदद से नया मोर्चा खड़ा करके कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो सकते हैं .
सच तो ये है कि यूपीए- के समय ही से “सपा” की छवि कांग्रेस के तारनहार की बनी हुई है.  दूरदृष्टि वाले सपा सुप्रीमों अब ये ताड़ चुके हैं कि कांग्रेस जनता के बीच अलोकप्रिय होती जा रही है, दूसरी तरफ “भाजपा”  में भी अब वो दमखम नहीं दिख रहा जिससे उन्हें कोई डर हो  लिहाजा इन दोनों में से अब किसी को भी बहुमत मिलने की संभावना कम ही है.  
अब समझने की बात ये है कि सपा सुप्रीमो विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिले जनाधार को बांध के रखना चाहते हैं.  ताकि बढ़ती हुई महंगाई, गैंग रेप दिल्ली काण्ड, पैट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी, आम जन-आन्दोलनों के साथ ही कथित भ्रष्टाचार जैसे बडे़ मामलों के खुलासों के होने पर आम-जनता में कांग्रेस के प्रति बढ़ती हुई नाराजगी, राष्ट्रीय राजनीति में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के अंदरूनी पार्टी की टूटन के हालात को व क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ने के आसार से भी आशाएं बलवान होने के साथ“सपा” की बांछें खिली हुई है.  अब इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए कि उनकी निगाह 'दिल्ली की गद्दी' पर है.  और अब हालातों को देखते हुए  सपा सुप्रीमों ने उत्तर-प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही “दिल्ली पर कब्जे” की मुहिम शुरू कर दी है. अब सपा सुप्रीमों को उस दिन का इन्तजार है जब “पंजे” को अपनी गिरफ्त में लेते हुए वो उत्तर-प्रदेश के युवराज को एक हशीन तोहफे के रूप में दिल्ली भेंट करेंगे.......
 सुनीता दोहरे ..
 लखनऊ .....





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