नारी है तो कल है.....
आज के इस मॉडर्न युग में महिला
और पुरुष में कोई अंतर नहीं है l दोनों ही एक दूसरे को कांटे की टक्कर देने में
सक्षम हैं| आधुनिक युग में नारी पुरुष से किसी भी क्षेत्र में पीछे
नहीं है चाहे वह राजनीति का क्षेत्र हो या सामाजिक या व्यवसायिक या वैज्ञानिक या
कला का क्षेत्र, नारी हर क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान बना चुकी है। आज महिलाओं
ने कई क्षेत्रों में भरपूर सफलता हासिल की हैं| महिलाओं की
कर्मशीलता ही उनके सक्षम होने का सबूत है| आज भी महिलायें हमारे
समाज की शान मानी जाती हैं| महिलाएं प्रशासनिक क्षेत्रों में भी आज पुरूषों से आगे निकल
रही है। देश के विकास में महिलाओं ने जो भागीदारी सुनिश्चित की है उसे भुलाया नहीं
जा सकता है। हिंदी सिनेमा हो या राजनीति पूरी दुनिया में भारतीय महिलाओं ने देश का
नाम रौशन किया है l हर तरफ देश की नारियों का ही बोल-बाला रहा है l पहले पुलिस की
नौकरी में महिलाएं आने से हिचकती थी। हालांकि अब यह भ्रम टूट गया है। आज अपने-अपने
क्षेत्रों में नए-नए कीर्तिमान रचकर इस देश कि महिलाओं ने ये साबित कर दिया है कि
वो किसी भी तरह से पुरुषों से कम नहीं हैं.
कुछ कुछ स्थानों में जहाँ
अभी पूरी तरह से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं है l वहाँ वहाँ महिला सशक्तिकरण
प्रभावी होना समाज, देश और
दुनिया के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। देश को पूरी तरीके से विकसित
बनाने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत ही जरूरी है और इसके साथ ही महिलाओं को
सम्मान देना, इस देश की संस्कृति को सम्मान देना है। क्यूंकि महिलाएं आज देश की
पहचान बन चुकी हैंl किसी भी देश कि स्थिती का अंदाजा उस देश कि महिलाओं को देख कर लगाया जा सकता है। हमें ये
अच्छे से समझना होगा कि कोई भी देश तब तक तरक्की के शिखर पर नहीं पहुँच सकता जब तक
वहां की महिलाएं कन्धे से कन्धा मिला कर ना चलें। ये भी सत्य है कि महिलाओं कि उन्नति
या अवनति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्भर है।
यहाँ पर ये कहना उचित
होगा कि “अगर एक पुरुष को शिक्षित किया जाता है तो एक पुरुष ही शिक्षित होता है !
लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तब एक पूरी पीढ़ी शिक्षित होती है”l आज कल
सरकार महिलाओं के पक्ष को मजबूत बनाने के लिए हर उचित कदम उठा रही है | मकसद बेटियों को बेटों
की बराबरी कराने की, जो कि एक स्वस्थ समाज के गठन के लिए बहूत ही
महत्वपूर्ण है| सरकार ने बहुत सारे कानून बनाये हैं और काफी सारे समान
अधिकार भी दिए हैं लेकिन जब तक मानसिक तौर पर लोग महिलाओं को वो सम्मान वो अहमियत
नही देंगे तब तक हमारे देश का विकास कैसे संभव होगा l भारतीय संविधान में भी महिला
और पुरुष को एक समान अधिकार दिये जाने के बावजूद भी हमारा समाज इस बात को क्यूँ स्वीकार
नहीं कर पाता है.
हाँ मैं यहाँ पर एक बात
और कहना चाहूंगी कि एक बेहतर समाज बनाने के लिए बेटों की उतनी ही जरुरत होती है
जितनी की बेटियों की लेकिन एक बेहतर समाज के गठन में बेहतर सोच (बेटा
और बेटी को एक मानने की) रखने वाले इंसानों की काफी ज्यादा जरुरत रहती है| इसीलिए सबसे पहले
हमें अपनी सोच को बदलना होगा l अत: मेरा समाज से, इस देश से यह
अनुरोध है कि बदलते परिवेश में नारियों की स्वतंत्र मानसिकता को स्वीकार किया जाए
l क्यूंकि महिला है तो कल है.
हम आशा करते हैं कि आने
वाले इन सालों में देश की और अधिक महिलायें पूरी दुनिया में ज्यादा से ज्यादा
कीर्तिमान स्थापित करें l आज हम सभी महिलाएं एक संकल्प करें कि हम अपने पूर्वजों
के संस्कारों को संजोयेंगे, देश की आदर्श नारियों का अनुकरण कर अपना जीवन सफल
बनाएंगे।
सुनीता दोहरे
प्रबंध सम्पादक / इण्डियन
हेल्पलाइन न्यूज़
महिला अध्यक्ष / शराब
बंदी संघर्ष समिति
उप सम्पादक / सरस्वती
मंथन न्यूज़
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