युगो-युगों की जंग इतनी जल्दी कैसे समाप्त होगी क्यूंकि तमाम विभीषण पैदा हो गये है. ( सत्य घटना )



युगो-युगों की जंग इतनी जल्दी कैसे समाप्त होगी क्यूंकि तमाम विभीषण पैदा हो गये है.
( सत्य घटना )


आज से दो साल पहले से मेरे खिलाफ ही मेरी एक दोस्त द्वारा षड्यंत्र रचा जा रहा था जिसे मैं समझ ना पाई । अपनी उस दोस्त की हर गलत बात को मैं सही समझती थी मुझे ऐसा लगता था कि मेरी दोस्त कभी गलत नही हो सकती और वो चाहें किसी को कुछ भी कह ले पर मेरा कभी अपमान नही करेगी । इसी विश्वास के सहारे मैं अपने दिल की हर बात उससे शेयर कर लेती थी । कभी भी मैंने उससे किसी की बुराई नही की ना कभी किसी के खिलाफ बोला, क्योंकि मुझे हमेशा ईश्वर पर भरोसा रहा है । अगर कोई मुझे कुछ सुना भी जाता तो मैं ये सोचकर सहन कर लेती थी कि “ईश्वर के घर देर है अंधेर नही l” मैं हमेशा बोझिल होते हुए माहौल को अपने उपर मजाक बनाकर हंस और हंसा देती l
मेरी सुबह 5 बजे उसके साथ होती थी हम दोनों लम्बी दूरी तय करके टहलने जाते थे इसी बीच हम दोनों दिल के गम हल्के करते और टहल कर 7 बजे तक वापस आ जाते । मेरे पास ऑफिस के कामों की जिम्मेदारी के अलावा घर के भी कार्य होते थे, इसलिए समय कम मिल पाता था l इसी बजह से मैं दिन में उससे कभी कभी ही बात कर पाती थी और उसके पास समय की कमी नही थी । घर का काम समाप्त होने के बाद वो कई दोस्तों से फोन पर बात करती या फिर उनके घर जाकर बात करती । इसके साथ ही वो मुझे अनदेखा करने लगी l उसने जिन लोगों से बात करनी शुरू की वो मेरी भी दोस्त थी लेकिन हाय हेलो तक ही सीमित थी । इसलिए मैंने कभी नही सोचा था कि जातिगत भवना के चलते गेम खेलकर मुझे नीचा दिखाने की प्लानिंग चल रही है और मैं ठहरी साफ दिल की, मुझे जो बात गलत लगती मैं सबके सामने कहकर भूल जाती । दिल मे कभी उन लोगों की बातों को नही रखा । एक साल के भीतर जो मेरे साथ मेरी दोस्त ने किया उसे में कभी भूल नहीं सकती आज तक नही उबर पाई हूँ.
एक छोटा सा वाक्या बताती चलूं कि, उसकी बेटी की शादी में महिला संगीत का प्रोग्राम था l सभी दोस्त सही समय पर पहुंच गये थे l मैं भी पहुंच गई थी हम लोगों ने ढोलक भी खूब बजाई और खूब गाने गाये l प्रोग्राम के अंत में एक काफी सभ्रांत महिला है वो भी आई और उनकी जेठानी भी आई थी l शादी भी हंसी ख़ुशी हो गई l कुछ दिनों बाद नवरात्रि में एक दोस्त के घर कीर्तन में सभी थे l मेरे घर के आस पास कुछ ठाकुर रहते हैं l तो जाहिर है कि आयेंगे अवश्य सभी l  जैसे ही वो सब आई तो मुझे सुनाकर बोल रही है हम ठाकुर हैं और ठाकुर ही रहेंगे l फिर उन सभ्रांत महिला कि जेठानी के आते ही तुरंत ही बात बदलते हुए बोली मेरी बेटी के महिला संगीत में तुम्हारी देवरानी ने धमाल मचा दिया l बहुत मजा आया l जबकि वो मुश्किल से 20 मिनट ही रुकी होंगीं l ये सुनकर दुःख तो हुआ कि हम सब 3 बजे से गा बजा रहे थे हमारी कोई वैल्यू नही और हमारी उल्टे बेइज्जती किये जा रही है l इस एक साल में कई छोटी - छोटी बातें हुईं जिन्हें मैंने महत्व ही नही दिया l लेकिन एक दिन तो हद ही हो गई । हालाँकि मेरा किचन पहले से मॉड्यूलर ही था लेकिन तोड़ कर और बड़ा किया जा रहा था इसलिए उन दिनों काम चल रहा था किचन में l मेरे घर किट्टी के दौरान वो भी आई हुई थी, अचानक बोली सुनीता किचन मॉड्यूलर बनवा लो नही तो तुम्हारी बहू भाग जाएगी । इस बात को किट्टी में आये कई मेम्बरों ने भी सुना l उसके मुंह से ये सुनकर मैं अवाक रह गई लेकिन कुछ बोली नही । जबकि उसके अलावा ये बात किसी को नहीं पता थी कि मेरे बेटे की रुकाई हो चुकी है । ये बात मेरे दोनों बेटों ने सुन ली, उनको भी बहुत खराब लगा, वो दोनों बहुत मायूस हो गए, बच्चों ने इतना जरुर कहा कि “आंटी इतनी पढ़ी लिखी होकर ऐसा कैसे कह सकतीं हैं, अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुयी है और इतनी बड़ी बद्दुआ दे दी आंटी ने l” अपनी दोस्त की बातो को सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ था l कई दिनों तक घर में चुप्पी छाई रही । मुझे भी बहुत धक्का लगा लेकिन मैने सोचा दोस्त अगर गलती करे तो भूल जाना चाहिए । ऐसा सोचकर मै सब भूल गई l मुश्किल से चार - पॉंच ही दिन गुजरे होंगे कि "वो दोस्त एक व्हाट्सअप ग्रुप चलाती हैं" उस ग्रुप में उसकी एक नई आई दोस्त एक मैसेज भेजती है कि .. "शूद्र कभी सम्मानित नही हो सकता और कभी पूजनीय नही हो सकता और कुछ महापुरुषों सहित बाबा भीमराव अम्बेडकर जी के लिए भी गलत बोला ।" मेरी छोटी बहिन जो कि उस समय इस मैसेज को देख रही थी उसने बदले में लिखा कि ....”मांफ करिए दी ! अब ग्रुप में जातिवाद भी आ गया । हमें हमारे लिए बाबा साहेब बहुत पूजनीय है ।" मेरी बहिन के लिखे कमेन्ट को नजरंदाज़ करते हुए ग्रुप में हंसी मजाक चल रहा था l ऑफिस के काम से निपट कर देर रात जब मैंने ये सब पढ़ा तो एक बारगी मुझे विश्वास ही नही हुआ तो फिर दुबारा ध्यान से पढ़ा । दिल को बहुत धक्का लगा और मेरी आँखों में आंसू आ गए । मैने जब ये देखा कि इस तरह की पोष्ट डालने वाली महिला और मेरी दोस्त हंसने वाले सिम्बल डाल रही थी और एक दूसरी घटिया विचारों वाली महिला मुझे ऑनलाइन देखकर उस ग्रुप में कह रही थी कि “सो जाइये सुनीता जी ।“ जबकि उसका पति खुद चन्द्रा है और एससी है । और वो महिला गुप्ता है अपने पति की सरनेम ना लगाकर गुप्ता लिखती है। उसके दोनों बच्चे भी गुप्ता ही लिखते हैं l ये सब देखकर मुझे बहुत गुस्सा आ गया जवाब मैं मैने भी जातिगत भावना को लेकर किये गये मैसेज के विरोध में लिखा कि... "तेरी औकात मेरे सामने ना के बराबर है और तू इस तरह की बात लिख रही है। और तुम इसे सपोर्ट कर रही हो । ग्रुप की एडमिन होकर भी तुम कुछ नही कह रही हो l जहां जातिगत भावना से प्रेरित पोस्ट होगी मैं ऐसे ग्रुप में नही रहूंगी" ऐसा कहते हुए मैं ग्रुप से निकल गई। इतना होने के बाद मेरी दोस्त ने सबको भड़काना शुरू कर दिया ।
ग्रुप में मेरे लिए लिखी बेसिरपैर की बकवास को पहले मेरी बहिन पढ़ती रही फिर मेरे कुछ दोस्त पढ़ते रहे और मुझे सुबूत सहित बताते रहे । सुनकर बहुत रोई मैं । फिर सोचा कि रोने से कुछ नही होगा इन जैसों की हरकतों का जवाब इन सबको वक्त देगा क्यूंकि समय के आगे दुनियां झुकी है l समय से बड़ा बलवान कोई नहीं l
दोस्त के भड़काने पर कुछ ने तो सीधे मुझे मैसेज के द्वारा उल्टा सीधा लिखा, लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया यही सोचकर कि चुप रहने से शायद सब ठीक हो जाये । फिर कुछ दिनों बाद मुझे लगा कि अपनी दोस्त से बात करके देखती हूँ और उससे पूंछती हूँ कि मुझसे गलती क्या हुई जो इतना सब कुछ हो रहा है । मेरा फोन उठाते ही बोली नमस्ते ! मै भी जवाब में नमस्ते कहते हुए बोली कि ये सब क्या हो रहा है क्यों इतना तमाशा फैला रखा है अगर कोई शिकायत है तो मुझसे डायरेक्ट कहो l क्यूँ ग्रुप में मेरी बेइज्जती करने पर उतारू हो । तो तुरंत बोली आपने जवाब में मेरी नई दोस्त को औकात दिखाई ये ठीक नही किया । तो मैने उसको बोला अगर उस समय तुम उससे कह देती कि इस तरह के मैसेज मत पोस्ट करों तो शायद ये सब नहीं होता l और रही बात मेरे जवाब देने की तो "जातिगत बात को कहकर उसने भी तो मुझे मेरी औकात दिखाई तो मैंने बदले में उसे उसकी औकात दिखाने की बात लिख दी तो क्या बुरा किया ।" 
इतना सुनते ही वो तेवर बदलकर बोली  "उसके दो -दो पैट्रोल पम्प है आपको ऐसा नही कहना चाहिए था"
ये सुनकर मुझे गुस्सा आ गया मैंने कहा कि “अगर दो दो पैट्रोल पम्प है तो वो उसके लिए हैं मेरे लिए नही और दो पैट्रोल पम्प होने से किसी की जाति को लेकर इतने घटिया विचार ग्रुप में कोई भी कैसे पोस्ट कर सकता है । और तुम उसको एक भी शब्द नहीं बोली ऐसा करके तुमने उसे सपोर्ट ही किया l मुझे सीधे कह देती तो मैं तुमसे दूर हो जाती, किट्टी भी छोड देती l लेकिन ये सब करने की क्या आवश्यकता पड़ गई तुम्हे l  
तो तुरंत बोली "सुनीता जी ये मेरे हसबैंड का डिपार्टमेंटल मामला है मेरी मजबूरी है इसलिए इस बात को जाने दीजिए ।"
मैने कहा ठीक है कोई बात नही अगर भाई साहेब से रिलेटेड है तो मैं अब कुछ नही कहूंगी । ऐसा कहते हुए मैंने फोन रख दिया l दुसरे दिन किट्टी थी जिसमें वो भी मेंबर थी l हम सब लोग किट्टी में एकत्रित हुए और हंसी ख़ुशी किट्टी सम्पन्न हो गई l सभी वापस घर आ गये l
( यहाँ पर ये अवगत कराती चलूं कि इसी तरह के उसके व्यवहार को लेकर मैंने ये वाकया होने के दस महीने पहले ही मॉर्निंग वाक को जाना छोड़ दिया था क्यूंकि मैं नहीं चाहती थी कि जो महिलाएं उसकी चाटुकारिता कर रहीं है मैं उनका सामना करूं और मुझे गुस्सा आये जिससे कोई बवाल हो जाये ऐसा सोचते हुए मैंने ना जाना ही उचित समझा )
किट्टी के अगले दिन दोस्त फिर मॉर्निग वाक पर गई । मैंने बहुत पहले इन फालतू की बातों के चलते मॉर्निंग वाक जाना बंद कर दिया था । जो महिलाएं उसकी चाटुकारिता कर करके उसे भड़का रहीं थी वो तुरंत बोली कि बड़ा खुश होकर सुनीता के साथ फोटो खिचवाई हो, क्या फिर दोस्ती हो गई। वहां पर भी इसने उन दो महिलाओं से कहा कि "सुनीता का फोन आया था दो घण्टे मेरा दिमाग चाट गई और इसलिए मैं उससे बात करने लगी, में थोड़े ही उससे बात करना चाहती थी ।" इन सारी बातों को मेरे ख़ास जानने वाले लोग सुन रहे थे क्यूंकि वो लोग भी वहां वॉक पर जाते थे l उन्होंने आकर मुझे बताया l
तो मैंने कहा कि बहुत सोच समझकर मैंने ही उसे फोन किया था ताकि सब ठीक हो जाये l लेकिन उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा l इसलिए अब जाने दो यार l कोई बात नहीं l मुझे किसी से कोई शिकायत भी नहीं l अब कभी बात नही करुँगी उससे और सोचूंगी मेरी कोई दोस्त नहीं l  
लेकिन शाम होने पर उन तीन महिलाओं में से एक महिला ने मुझे फोन किया और एक महिला होकर मां बहिन की गालियां दी, उस समय मेरे पास मेरी 6 दोस्त बैठी हुईं थीं जो उसी ग्रुप से जुड़ी थी l उन लोगों ने भी ये मां बहिन की गालियां सुनी । मैंने कोई जवाब नही दिया l मेरी सहन शक्ति जब जवाब देने लगी तो मैंने सारी बातें जो इन लोगों के साथ मिलकर मेरी दोस्त ने की थी सभी दोस्तों को व्हाट्सएप पर भेज दी l भेजी इसलिए कि वो सारी भी उसकी बातों में आकर मुझसे कन्नी काटने लगीं थी और वो मेरे जानने वालों में और मेरी सहेलियों में मेरी जाति को लेकर मुझे बदनाम करने लगी थी l सबको इन बातों से अवगत कराकर मैंने सारे फैसले उन पर छोड़ दिए ताकि अगर हम उन्हें सही लग रहे हैं तो हमसे सम्बन्ध रखें और गलत लग रहे हैं तो मुझसे दूर हो जाएँ l लेकिन इल्जाम लगाने से पहले एक बार ये सोच लें कि सुनीता की गलती याद से जरुर बताएं l
आखिरकार थक हारकर मैंने उससे दूरी बनाना ही उचित समझा l मैं अगर चाहती तो सुबूत सहित इन सबकी ठकुराई दो दिन में निकाल देती । लेकिन मै सोचती हूं कि ये सब ठीक नही है । इसलिए भूलने मैं ही भलाई समझी l
कहते हैं कि कम पढ़ी लिखी और दकियानूसी विचारों वाली महिलाये ही देश में जातिपांत की बात को बढ़ावा देती हैं l इनके विचार इतने भयानक होते है कि इनके विचारों से देश द्रोह की बू आती है l कैसे ये महिलाये अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दे पाती होंगी जिनकी नस नस में ठाकुरवाद घुसा हो l
और इसी बजह से पिछले कुछ महीनों से मैंने व्यथित हो जातिगत आधार पर फेसबुक न्यूज़ फीड में कुछ पोस्ट डाल दीं थीं l जिससे कुछ तथाकथित लोग मुझे भी जातिगत गलियां देने लगे l अब तो मन कसैला सा हो चुका है दिल में एक घृणा सी उत्पन्न हो गई है l आखिरकार ये कैसा ठाकुर वाद है जिसका नशा सर चढकर बोलता है l 

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