आश्चर्य और चिन्ता का विषय है शराब के बढ़ते ठेके और बढती खपत.......
यह एक कडुवी सच्चाई है कि देश में शराबखोरी के चलते चाहें जितने बड़े हादसे हो जाएँ लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है हम सबको पूर्ण नशामुक्त समाज की स्थापना हेतु अपनी-अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हम सबका दायित्व है कि सम्पूर्ण मानवता को मद्य एवं मादक पदार्थों से बचाने हेतु अपनी-अपनी भूमिका को अंजाम दें। स्वयं नशीले पदार्थों का परित्याग करें। जन-जन तक इसके दुष्परिणामों और भ्रांतियों की जानकारी को पहुंचायें। 1- हमारे देश में एक ओर मद्य-निषेध विभाग शराब से बचने के लिए लोगों को नसीहतें करता है , दूसरी ओर आबकारी विभाग शराब की ख़ुद की दुकानें खुलवाता और इसकी बिक्री के लिए लाइसेंस प्रदान करता है | इसका नतीजा यह है कि शराब दूर-दराज़ गांवों तक पहुंच गयी है और उन लोगों का भी जीवन तबाह कर रही है जो अभी तक शराब की पहुंच से बाहर थे । यह भी कम आश्चर्य और चिन्ता का विषय नहीं है । 2- देखा जाये तो जिनको खाने को नहीं है परिवार भूख से तड़फ रहा है , बदन पर कपडे नहीं , पेट में अनाज नहीं पैर में चप्पल नहीं , मगर होठो से शराब ...